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उत्तर प्रदेश : भाजपा फिर बनी ठाकुरों, ब्राह्मणों और बनियों की पार्टी

भाजपा का सामाजिक चरित्र में मामूली परिवर्तन हुआ है। चूंकि भाजपा ने पूरा चुनाव ठाकुर जाति से आनेवाले योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ा तो इसका फायदा ठाकुर जाति के उम्मीदवारों को मिला है। इस बार के विधानसभा में सबसे अधिक ठाकुर जाति के विधायक हैं। जबकि भाजपा एक बार फिर ठाकुर, ब्राह्मण और बनियों की पार्टी साबित हुई है। सुशील मानव की प्रस्तुति

उत्तर प्रदेश में फिर से भाजपा सरकार में लौट आयी है। हालांकि इस बार उसके सीटों में कमी आयी है। लेकिन बावजूद 403 सीटों वाले विधानसभा में वह 255 सीटों के साथ शीर्ष पर है। यदि हम भाजपा के विजेताओं की सूची देखें तो यह स्पष्ट होता है कि भाजपा फिर एक बार ठाकुरों, ब्राह्मणों और बनियों की पार्टी साबित हुई है। वहीं गैर सवर्णों में सबसे अधिक सीटें कुर्मी जाति के भाजपा उम्मीदवारों ने जीती हैं। यदि कुल 403 सीटों के सापेक्ष देखें तो इस बार सबसे अधिक ठाकुर जाति के सदस्य हैं। इनमें 55 भाजपा के तथा 4 समाजवादी पार्टी व एक-एक निषाद पार्टी, लोकतांत्रिक जनसत्ता दल व बहुजन समाज पार्टी के हैं।

यानी आंकड़ों के हिसाब से देखें तो इस बार नरेंद्र मोदी, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा ने जो जीत हासिल की है, उसमें सबसे अधिक मुनाफा एक बार फिर ब्राह्मण और ठाकुर समाज के लोगों को हुआ है। इसका अनुमान इसी मात्र से लगाया जा सकता है कि इस बार विधानसभा में भाजपा के कुल 98 ठाकुर व ब्राह्मण सदस्य हैं। इनमें ब्राह्मणों की संख्या 43 है।

एक नजर में अहम जातियों के नवनिर्वाचित भाजपा विधायकों की संख्या

कुल विधायक255
ठाकुर55
ब्राह्मण43
कायस्थ2
बनिया23
कुर्मी33
जाटव16
पासी15
कुशवाहा12
यादव2

इसके अलावा यदि उपरोक्त आंकड़ों में 23 बनिया और 2 कायस्थ समुदाय के विजेताओं को मिला दें तो भाजपा के कुल 255 में से 123 ठाकुर, ब्राह्मण और बनिया हैं जो कि कुल हिस्सेदारी के हिसाब से करीब 50 फीसदी है। 

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर

गौर तलब है कि इस बार भाजपा ने किसी भी मुसलमान को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया था। साथ ही यादवों से भी उसने परहेज किया था। वजह यह कि वह यह मानती रही है कि यादव और मुसलमान उसके समर्थक नहीं हैं। लिहाजा इस बार भाजपा के टिकट से केवल दो यादव जीते हैं। इसके विपरीत भाजपा ने ओबीसी में गैर यादवों को अधिक टिकट दिया था। भाजपा की ओर से केवल 8 यादवों को टिकट दिया गया था, जिनमें केवल दो ही जीत सके। 

(संपादन : नवल/अनिल)

(सारणी परिवर्द्धित :  16 मार्च, 2022 11:43 AM)

(आलेख परिवर्द्धित : 17 मार्च, 2022 6:36 PM)

(आलेख परिवर्द्धित : 17 मार्च, 2022 11:00 PM)


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लेखक के बारे में

सुशील मानव

सुशील मानव स्वतंत्र पत्रकार और साहित्यकार हैं। वह दिल्ली-एनसीआर के मजदूरों के साथ मिलकर सामाजिक-राजनैतिक कार्य करते हैं

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