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गोकुलराज हत्‍याकांड : वे तर्क, जिनके कारण एससी-एसटी एक्‍ट के तहत दोषियों को मिली सजा

बचाव पक्ष के इस तर्क को अदालत ने नामंज़ूर कर दिया कि गोकुलराज की हत्‍या एक षड़यंत्र के तहत नहीं की गई थी। न्‍यायाधीश ने फैसले में साफ कहा कि दलित युवा की हत्‍या संविधान का खुल्‍लम-खुल्‍ला उल्‍लंघन था और इसका उद्देश्‍य जाति व्‍यवस्‍था को मजबूती देना था। बता रही हैं वी. गीता

गत 8 मार्च, 2022 को मदुरै, तमिलनाडू, की एक विशेष अदालत ने इंजीनियरिंग के युवा दलित विद्यार्थी गोकुलराज की 2015 में हुई हत्‍या के लिए 10 लोगो को दोषी ठहराते हुए सभी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। इस मामले में अभियोजन ने मौखिक तर्कों के अतिरिक्‍त, लिखित साक्ष्य भी प्रस्‍तुत किए थे, जो एक रोमांचक जासूसी कहानी की तरह लगते हैं। परन्‍तु इस अपराध की जघन्‍यता को देखते हुए इस दस्‍तावेज को ‘रोमांचक’ की जगह ‘वीभत्‍स’ कहना बेहतर होगा।

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लेखक के बारे में

वी. गीता

लेखिका वी. गीता एक अनुवादक, सामाजिक इतिहासकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। इन्होंने तमिल और अंग्रेजी में आधुनिक तमिल इतिहास, जाति, लैंगिक विषयों, शिक्षा और मानव अधिकार पर विस्तारपूर्वक लेखन किया है। इन्होने एस वी राजादुरई के साथ मिलकर द्रविड़ आन्दोलन और राजनीति पर भी लेखन किया है जिसका प्रकाशन ईपीडब्ल्यू (इकोनॉमिक एंड पालिटिकल वीकली) में किया गया है। इसके अलावा इनकी एक पुस्तक, जिसका शीर्षक है ‘‘टुवर्ड्स, अ नॉन-ब्राह्मिन मिलीनियमः फ्रॉम आयोथी थास टू पेरियार’’। इन्होंने पश्चिमी मार्क्सवाद पर भी कई प्रबंधों का लेखन भी किया है जिनमें एन्टेनियो ग्रामसी के जीवन और विचारों पर केन्द्रित एक विषद ग्रंथ शामिल है

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