h n

बिहार में जातिगत जनगणना, तो महाराष्ट्र में क्यों नहीं? (संदर्भ : महाराष्ट्र में सामाजिक न्याय की राजनीति)

मंडल आयोग के लिए शुरू हुए आंदोलन की पृष्ठभूमि में लालू-मुलायम ने अपनी अपनी प्रभावी पार्टियां स्थापित कीं और कांग्रेस-भाजपा की ब्राह्मणी छावनी को सफलतापूर्वक मात दिया। वह 1990 के दशक का दौर था। ठीक उसी समय यहां महाराष्ट्र में क्या हो रहा था? पढ़ें, श्रावण देवरे के विशेष आलेख श्रृंखला का पहला भाग

अंततः गत 1 जून, 2022 को बिहार सरकार ने सर्वदलीय बैठक करके जाति आधारित जनगणना के लिए सर्वसम्मति प्राप्त कर लिया। इसके अगले ही दिन राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक हुई और एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें यह तय किया गया कि जातिगत जनगणना को कैसे अंजाम दिया जाएगा। अब इस पर बिहार विधानसभा में विचार होना है। इसके लिए आगामी 24 जून को मानसून सत्र आहूत किया गया है। इस दौरान राज्य सरकार एक विधेयक सदन में पेश करेगी और वहां पारित होने के बाद राज्यपाल की मंजूरी के उपरांत यह क्रियाशील होगा। हालांकि इस कानून के अनुसार अब बिहार में विशेष समय सीमा के अंदर जाति आधारित जनगणना होगी ऐसी तीव्र अपेक्षा की जानी चाहिए।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : बिहार में जातिगत जनगणना, तो महाराष्ट्र में क्यों नहीं? (संदर्भ : महाराष्ट्र में सामाजिक न्याय की राजनीति)

लेखक के बारे में

श्रावण देवरे

अपने कॉलेज के दिनों में 1978 से प्रगतिशील आंदोलन से जुड़े श्रावण देवरे 1982 में मंडल कमीशन के आंदोलन में सक्रिय हुए। वे महाराष्ट्र ओबीसी संगठन उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए। उन्होंने 1999 में ओबीसी कर्मचारियों और अधिकारियों का ओबीसी सेवा संघ का गठन किया तथा इस संगठन के संस्थापक सदस्य और महासचिव रहे। ओबीसी के विविध मुद्दों पर अब तक 15 किताबें प्राकशित है।

संबंधित आलेख

फ्रैंक हुजूर के साथ मेरी अंतिम मुलाकात
हम 2018 में एक साथ मिलकर ‘21वीं सदी में कोरेगांव’ जैसी किताब लाए। आगे चलकर हम सामाजिक अन्याय मुक्त भारत निर्माण के लिए एक...
पसमांदा मुसलमानों को ओबीसी में गिनने से तेलंगाना में छिड़ी सियासी जंग के मायने
अगर केंद्र की भाजपा सरकार किसी भी मुसलमान जाति को ओबीसी में नहीं रखती है तब ऐसा करना पसमांदा मुसलमानों को लेकर भाजपा के...
क्या महाकुंभ न जाकर राहुल गांधी ने सामाजिक न्याय के प्रति अपनी पक्षधरता दर्शाई है?
गंगा में डुबकी न लगाकार आखिरकार राहुल गांधी ने ज़माने को खुल कर यह बताने की हिम्मत जुटा ही ली कि वे किस पाले...
यूपी : विधानसभा में उठा प्रांतीय विश्वविद्यालयों में दलित-बहुजन शिक्षकों के उत्पीड़न का सवाल
कुलपतियों की नियुक्ति में वर्ग विशेष के दबदबे पर सवाल उठाते हुए डॉ. संग्राम यादव ने कहा कि “विभिन्न राज्य विश्वविद्यालयों में एक ख़ास...
एससी, एसटी और ओबीसी से जुड़े आयोगों को लेकर केंद्र की नीयत में खोट : जी. करुणानिधि
सामान्य नीतिगत मामले हों या ओबीसी वर्ग की समस्याओं से जुडे मामले, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने प्रभावी ढंग से उनका प्रतिनिधित्व नहीं किया...