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बहुजन साप्ताहिकी : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण की विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई पूरी

इस बार पढ़ें जबलपुर हाईकोर्ट में ओबीसी व ईडब्लयूएस आरक्षण से संबंधित खबर के अलावा गेल ऑम्वेट की प्रथम स्मृति दिवस के मौके पर किताबों के लोकार्पण व झारखंड में सियासी उठापटक के बारे में

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली अनेक याचिकाओं की सुनवाई गत 26 अगस्त, 2022 को सम्पन्न हो गई। इसमें अहम मामला प्रमेश जैन नामक अधिवक्ता द्वारा दायर एक याचिका है, जिसके जरिए ओबीसी/एससी/एसटी तथा आर्थिक आधार पर कमजोर वर्गों के लोगों के लिए आरक्षण को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि इन सभी वर्गों के लिए आरक्षण के कारण आरक्षण की अधिकतम सीमा जो कि 50 प्रतिशत तय है, का उल्लंघन हो रहा है। 

इस संबंध में मध्य प्रदेश सरकार के पक्षकार अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दूरभाष पर जानकारी दी कि हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू तथा न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की। इस सुनवाई में जिन सवालों पर विचार किया गया है, उनमें एक सवाल यह भी है कि क्या हाईकोर्ट को 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा के निर्धारण करने से संवंधित याचिका की सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार है? इसके अलावा यह भी कि जब सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की खंडपीठ ने 8 अगस्त, 2020 को अंतरिम आदेश में ओबीसी व ईडब्ल्यूएस के आरक्षण से संबंधित याचिकाओं को पांच जजो की संवैधानिक बेंच को रेफर किया है तो क्या ऐसी स्थिति में हाईकोर्ट के पास इस मामले में सुनवाई का क्षेत्राधिकार है? 

गौर तलब है कि इस मामले में अब अगली सुनवाई आगामी 29 अगस्त, 2022 को होगी। यह भी संभावना जतायी जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की खंडपीठ भी इसी दिन ओबीसी आरक्षण व ईडब्ल्यूएस के मामलों की सुनवाई शुरू करेगी।

गेल ऑम्वेट की प्रथम स्मृति दिवस के मौके पर अनेक किताबों का लोकार्पण

प्रसिद्ध समाजाशास्त्री डॉ. गेल ऑम्वेट को उनकी प्रथम स्मृति दिवस (25 अगस्त, 2021) के मौके पर देश के बौद्धिक जगत ने कृतज्ञतापूर्वक स्मरण किया। एक कार्यक्रम महाराष्ट्र के कसेगांव, सांगली में गत 24 अगस्त को आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान डा. भरत पाटणकर व प्राची पाटणकर द्वारा संयुक्त रूप से लिखित किताब ‘झपाटलेले सहजीवन’, ‘गेल ऑम्वेट एंड हर लीगेशी’ (संपादन : नागमणि राव व अन्य), ‘बेगमपुरा शोधत’ (‘सीकिंग बेगमपुरा’ का मराठी अनुवाद) और ‘वी विल स्मैश दिस प्रिजन’ का मराठी अनुवाद ‘ह्यो तुरूंग फोदायचा हय् गा’ का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर डॉ. वंदना सोनालकर, रमा गोरख और भालचंद कांगो ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. वंदना महाजन ने की।

गेल ऑम्वेट की प्रथम स्मृति दिवस के मौके पर किताबों का लोकार्पण करते अतिथि

झारखंड में सियासी खेल जारी

अब यह साफ हो गया है कि झारखंड के बरहेट विधानसभा क्षेत्र में फिर चुनाव होंगे। वजह यह कि चुनाव आयोग की रपट के अनुशंसा पर राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता खारिज कर दी गई है। यह मामला मुख्यमंत्री के पद पर रहते खनन पट्टा अपने नाम करवाने से जुड़ा है। हालांकि अब इस अफवाह पर विराम लग गया है कि सोरेन को आगे चुनाव नहीं लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। लेकिन इसके बावजूद झारखंड में सियासी खेल जारी है। हालांकि इसके कारण सोरेन सरकार की सेहत पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है। वजह यह कि झारखंड विधानसभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा के 30, कंग्रेस के 18, राजद व भाकपा माले के एक-एक सदस्य हैं तथा इनका योग 50 है जो कि सोरेन के पक्ष में है। वहीं भाजपा के पक्ष में केवल 30 सदस्य ही हैं। 

बिहार : राजद के प्रदेश कार्यालय में किताबों की भरमार

इन दिनों भले ही राजद नेताओं द्वारा प्रदेश राजद कार्यालय के विस्तार को लेकर राज्य सरकार से बड़े भूखंड की मांग के विरोध में भाजपा नेताओं द्वारा आलोचना की जा रही है, लेकिन एक बात सत्य है कि राजद का प्रदेश कार्यालय इन दिनों किताबों की समस्याओं से जुझ रहा है। दरअसल, उपमुख्यमंत्री व राजद के नेता तेजस्वी यादव द्वारा आह्वान किया गया था कि राजद कोटे के सभी मंत्री किसी तरह का गुलदस्ता स्वीकार न करें और इसके बदले किताब-कॉपी-कलम लें। यही आह्वान उन्होंने अपने समर्थकों से भी की। इसका परिणाम यह हुआ है कि करीब तीन महीने पहले राजद के प्रदेश कार्यालय में शुरू की गई लाइब्रेरी में किताबों के लिए जगह कम पड़ रही है। राजद के प्रदेश कार्यालय से जुड़े एक कर्मी ने बताया है कि किताबों को रखने के लिए एक विशेष कर्मचारी की नियुक्ति हुई है। लेकिन अभी तक उसने काम शुरू नहीं किया है।

(संपादन : अनिल/नवल)


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