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मोदी के जन्मदिन के मौके पर दलितों के लिए ‘भ्रमजाल’

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में धारा 370 और 35ए हटाये जाने से वहां के दलितों को राजनीतिक आरक्षण का लाभ मिला है। यह टिप्पणी उन्होंने ‘आंबेडकर एंड मोदी’ नामक किताब के लोकार्पण के बाद ट्वीट के जरिए की। पढ़ें, सैयद जैगम मुर्तजा की खबर

गत 16 सितंबर, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के एक दिन पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी और डॉ. आबेडकर के बीच साम्यता का उल्लेख किया। साथ ही उन्होंने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 और 35ए हटाये जाने के लेकर यह दावा किया कि इससे वहां दलितों को राजनीतिक आरक्षण का लाभ मिला है। जबकि पूर्व में विधानसभा की 87 सीटों में छह सीटें दलितों के लिए आरक्षित थीं। वहीं वर्तमान में परिसीमन आयोग द्वारा सात सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किये जाने की बात कही जा रही है। ये सभी सीटें जम्मू क्षेत्र में हैं।

ठाकुर दिल्ली में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोंविंद और पूर्व मुख्य न्यायधीश केजी बालाकृष्णन की मौजूदगी में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम आंबेडकर एंड मोदी: रिफॉर्मर्स आइडियाज़, परफॉर्मर्स इम्प्लीमेंटेशन” नाम से छपी किताब के विमोचन हेतु आयोजित था। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह किताब बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के विचारों या उनके विज़न का संकलन भर नहीं है, बल्कि यह बताती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किस तरह बाबा साहब के विचारों अपने आठ साल के शासन के दौरान धरातल पर उतारा है। उन्होंने आगे कहा कि देश के बहुजन तबक़ों के लिए बाबा साहेब का योगदान अतुलनीय है और मौजूदा समय में भारत जो भी है वह डॉ. आंबेडकर की सोच का नतीजा है। 

पूर्ववर्ती राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन के संग ‘आंबेडकर एंड मोदी’ पुस्तक का लोकार्पण करते अनुराग ठाकुर

पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने कहा– मोदी डॉ. आंबेडकर के सच्चे अनुयायी

पुस्तक का विमोचन करने के उपरांत पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शान में तमाम क़सीदे पढ़े। उन्होंने दावा किया कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के सच्चे अनुयायी हैं। 2010 में आयोजित गुजरात गौरव यात्रा का ज़िक्र करते हुए रामनाथ कोविंद ने कहा कि उस यात्रा में तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सजे हुए हाथी पर संविधान की प्रति रखी हुई थी जबकि स्वयं पैदल चल रहे थे। बाबा साहब द्वारा रचित संविधान के सम्मान का इससे बेहतर उदाहरण कोई दूसरा नहीं हो सकता।” 

नई शिक्षा नीति पर पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि “यह देश भर से आए दो लाख से अधिक सुझावों का नतीजा है लेकिन इसमें शामिल मातृभाषा में शिक्षा देने का विचार बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का है।”

केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट कर किये सच के विपरीत दावे

कार्यक्रम के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योग्य नेतृत्व में जिस तरह अनुच्छेद 370 और 35ए को ख़त्म किया गया, उसका सीधा लाभ जम्मू-कश्मीर में रह रहे एससी/एसटी वर्ग के लोगों को राजनीतिक आरक्षण के रूप में मिला। हालांकि अनुराग ठाकुर इस तथ्य को छिपा गए कि अनुच्छेद 370 ख़त्म होने से पहले भी जम्मू-कश्मीर राज्य में बहुजनों को आरक्षण का लाभ मिल रहा था। नई व्यवस्था में कुल सीटें बढने का असर आरक्षित सीटों की संख्या पर भी पड़ा है। 

इसी तरह राज्य के विघटन से पहले सरकारी नौकरियों में भी जम्मू-कश्मीर आरक्षण क़ानून-2004 के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग को नियमानुसार आरक्षण दिया जा रहा था। नई व्यवस्था में अब ईडब्लूएस कैटेगरी यानी आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण का लाभ मिलना शुरु हुआ है।

क्या है वास्तुस्थिति?

ग़ौरतलब है कि मई 2022 में परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर के लिए नई विधानसभा में सात सीट अनुसूचित जाति और नौ सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित करने की सिफारिश की है। इसके अलावा 90 सदस्यों वाली विधानसभा में दो सीटों पर कश्मीर से पलायन कर गए पंडितों को नामित करने की अनुशंसा की गई है। 2011 की जनगणना को आधार मानते हुए तीन सदस्यी परिसीमन आयोग ने जम्मू कश्मीर में तीन विधानसभा सीट बढ़ाने का फैसला किया। राज्य के विघटन से पहले लद्दाख जम्मू-कश्मीर राज्य का हिस्सा था। लद्दाख क्षेत्र के लिए विधानसभा का कोई प्रस्ताव अभी नहीं है। 

(संपादन : नवल/अनिल)


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लेखक के बारे में

सैयद ज़ैग़म मुर्तज़ा

उत्तर प्रदेश के अमरोहा ज़िले में जन्मे सैयद ज़ैग़़म मुर्तज़ा ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन और मॉस कम्यूनिकेशन में परास्नातक किया है। वे फिल्हाल दिल्ली में बतौर स्वतंत्र पत्रकार कार्य कर रहे हैं। उनके लेख विभिन्न समाचार पत्र, पत्रिका और न्यूज़ पोर्टलों पर प्रकाशित होते रहे हैं।

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