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यदि बहनों के साथ हुए अन्याय के खिलाफ नहीं जीत सके तो हर जीत बेमानी : बजरंग पुनिया

‘अब वे कह रहे हैं कि जिन महिला खिलाड़ियों ने शिकायत दर्ज करायी है, उन्हें सामने लाओ। अब आप ही बताएं कि उनकी सोच क्या है? हमारी सात खिलाड़ियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया है। जब तक हमें न्याय नहीं मिल जाता, हम पीछे नहीं हटनेवाले। हम यहीं डटे रहेंगे। फिर पांच दिन लगे या पांच सौ दिन।’ पढ़ें, बजरंग पुनिया से बातचीत

देश के कुश्ती खिलाड़ी इन दिनों दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलनरत हैं। सात महिला खिलाड़ियों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष व भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह शरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया है। हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कोर्ट को कहा है कि वह प्रारंभिक जांच के बाद ही फैसला करेगी कि वह प्राथमिकी दर्ज करेगी या नहीं। इस पूरे मामले में दलित-बहुजन समाज से आनेवाले कुश्ती के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बजरंग पुनिया, जो इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, ने खुलकर बातचीत की। प्रस्तुत है इस बातचीत का संपादित अंश

आपलोगों को कब लगा कि अब आंदोलन किया जाय?

देखिए, वह [बृजभूषण सिंह शरण] जो कर रहा था, उसके खिलाफ आवाज तो फेडरेशन में पहले से उठ रही थी। कुछ लोग बोलने से डर रहे थे। वे आगे नहीं आना चाहते थे। करीब तीन महीना पहले हमलोगों ने उनसे कहा कि आपलोग डरें नहीं, हम आपके लिए खड़े होंगे। हम अपनी कुर्बानी देने को तैयार हैं। फिर हम सीनियर खिलाड़ियों ने आपस में तय कर यह निर्णय लिया कि हम अन्याय के खिलाफ लड़ेंगे।

किस तरह का डर था खिलाड़ियों में?

डर कई तरह के थे। एक तो यही कि जो पाॅवर में है, वह कैरियर तबाह कर सकता है। दूसरी बात यह कि जिनके साथ वह अन्याय कर रहा था, वे लड़कियां थीं। आप जानते ही हैं कि इस देश में लड़कियों पर होने वाले अत्याचार के बाद समाज उन्हें किस तरह देखता है। तो यह एक सामाजिक कारण भी रहा कि महिला खिलाड़ी अपने ऊपर होनेवाले अत्याचार को सहने को मजबूर थीं। अब वे कह रहे हैं कि जिन महिला खिलाड़ियों ने शिकायत दर्ज करायी है, उन्हें सामने लाओ। अब आप ही बताएं कि उनकी सोच क्या है? हमारी सात खिलाड़ियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया है। जब तक हमें न्याय नहीं मिल जाता, हम पीछे नहीं हटनेवाले। हम यहीं डटे रहेंगे। फिर पांच दिन लगे या पांच सौ दिन। 

कुश्ती के खिलाड़ी बजरंग पुनिया व अन्य

कुश्ती के क्षेत्र में अब दलित-बहुजन आगे आ रहे हैं। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं। क्या आपको नहीं लगता है कि इस पूरे मामले में सामाजिक पक्ष भी एक कारण है?

देखिए, सामाजिक कारण तो है। लेकिन हम तो केवल इतना जानते हैं कि हम वोट बैंक नहीं हैं। यदि हम वोट बैंक होते तो हमारी बात भी सुनी जाती और कार्रवाई होती।

लेकिन आप खिलाड़ी हैं। आपने खेल के क्षेत्र में देश का नाम बढ़ाया है। लोग आपको पसंद करते हैं। फिर वोट बैंक नहीं हैं, का मतलब क्या है?

देखिए, खेल देखना और पसंद करना अलग बात है और जिस मुद्दे पर हम लड़ रहे हैं, उस मुद्दे पर हमारे साथ खड़ा होना अलग बात है। आज हमें इस बात की खुशी है कि समाज के लोग हमारे साथ खड़े हो रहे हैं। हम तो यह कह रहे हैं कि आप चाहे किसी भी राजनीतिक दल के हों, संगठन के हों, हमारी बहनों के साथ जो अत्याचार हुआ है, उसके खिलाफ हमारे साथ खड़े हों।

दिल्ली पुलिस के घेरे में जंतर-मंतर पर पहलवानों का विरोध प्रदर्शन

दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह प्राथमिकी दर्ज करने के पहले प्रारंभिक जांच करेगी? क्या आपको लगता है कि दिल्ली पुलिस दबाव में है?

देखिए, यह सवाल कायदे से आपको दिल्ली पुलिस से ही पूछनी चाहिए कि वह ऐसा क्यों कह रही है। रही बात दबाव की तो मैंने कहा न कि वह [बृजभूषण सिंह शरण] बहुत पॉवरफुल रहा है। वह सत्ता में है और छह बार से सांसद है। उसके अंदर कई विधायक और पूरा-का-पूरा तंत्र है।

आपको लगता है कि आपको न्याय मिलेगा?

हां, हम सभी को न्यायालय पर विश्वास है और हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री तक हमारी बात पहुंचे तथा वे हमें न्याय दिलाएं।

आपने बताया कि तीन महीने से आप सब आंदोलनरत हैं। ऐसे में आप सभी का अपना अभ्यास प्रभावित नहीं हो रहा है, जबकि अभी कई महत्वपूर्ण प्रतियोगिताएं होनी हैं?

हां, आपने ठीक कहा। पिछले तीन महीने से हम केवल पांच प्रतिशत ही अभ्यास कर पा रहे हैं। आगे एशियन गेम्स है। हम इसकी तैयारी में जुटे हैं। लेकिन हम यह मानते हैं कि यदि हम अपनी बहनों के साथ होनेवाले अन्याय के खिलाफ इस लड़ाई में नहीं जीत सकेंगे तो हमारे लिए किसी भी प्रतिस्पर्द्धा में जीतने का कोई महत्व नहीं होगा।

(संपादन : राजन/अनिल)


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लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

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