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बिहार में गुंडा बैंक और जातिगत दबंगई की शिकार हुई दलित महिला

घटना के एक दिन पहले दलित समुदाय की पीड़िता ने आरोपी प्रमोद सिंह यादव द्वारा हमला किए जाने की बाबत सूचना स्थानीय पुलिस को दी थी। लेकिन पुलिस की असंवेदनशीलता ने आरोपी काे इतना दुस्साहसी बना दिया कि उसने न केवल पीड़िता को नग्न कर मारपीट की, बल्कि अपने बेटे से उसके मुंह पर पेशाब तक करवाया। बिहार की राजधानी पटना में घटित इस लोमहर्षक घटना के बारे में बता रहे हैं सुशील मानव 

महज 1500 रुपए के उधार की रक़म पर ब्याज की वसूली के लिए बिहार की राजधानी पटना में एक दलित समाज की महिला को निर्वस्त्र करके उसके मुंह पर पेशाब कर दिया गया। घटना पटना के खुसरुपुर थाना क्षेत्र के मोसिमपुर गांव की है। इस गांव में चमार जाति के लोगों का भी एक टोला है। इसी टोले की एक महिला ने गांव के दबंग प्रमोद सिंह यादव से दो साल पहले क़रीब 1500 रुपए उधार लिये थे। पीड़िता के मुताबिक उसने पूरी रकम ब्याज के साथ लौटा दी है, लेकिन प्रमोद सिंह यादव की नीयत बदल गई और वह महिला से कर्ज़ पर ब्याज के लिए तगादे करने और प्रताड़ित करने लगा। 

बताते चलें कि पीड़िता एक सरकारी स्कूल में रसोईंया का काम करती है, जिसके बदले में उसे हर महीने 1600 रुपए मिलते हैं। जबकि उसके पति सुबोध दास निर्माण कार्य में दिहाड़ी मज़दूरी का काम करते हैं, जो कभी मिलती है तो कभी नहीं मिलती। दंपत्ति के चार बच्चे हैं, जिनकी उम्र 7 से 18 साल के बीच है।

गत 22 सितंबर, 2023 की सुबह आरोपी प्रमोद सिंह यादव अपने लोगों के साथ पीड़िता के घर पहुंचा और उसके साथ मारपीट की तथा उसे नंगा करके गांव में घुमाने की धमकी देकर जल्द से जल्द पैसा लौटाने को कहकर चला गया। उसी दिन पीड़िता शिक़ायत लेकर थाने पहुंची, लेकिन वहां उसकी शिक़ायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अगले दिन 23 सितंबर की रात क़रीब 10 बजे प्रमोद सिंह यादव, उसके बेटे अंशु और चार अन्य लोगों ने मिलकर महिला को नंगा करके लाठी-डंडों से जमकर पीटा। फिर प्रमोद सिंह यादव के कहने पर उसके बेटे अंशु ने महिला के मुंह पर पेशाब किया और पेशाब पीने को बाध्य किया। मारपीट के क्रम में महिला का सिर फट गया और वो किसी तरह अर्द्धनग्न हालत में ही भागकर अपने घर पहुंची। बाद में महिला की शिक़ायत पर एससी/एसटी एक्ट में केस दर्ज़ किया गया है। 

इस घटना के बाद पता चला है कि इस इलाके में ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था इस कदर ध्वस्त हो चुकी है कि दबंग जातियों के लोग गुंडा बैंक चलाते हैं। वे ग़रीब लोगों को ज़रूरत पड़ने पर ब्याज पर पैसा देते हैं। और फिर उन्हें मार-पीटकर व डरा-धमकाकर ज़्यादा रकम वसूलते हैं। 

पीड़िता की जेठानी विद्या बताती हैं कि गत 23 सितंबर की रात 10 बजे वह शौच के लिए बाहर गई। चूंकि उनके घर में पानी नहीं था तो वह जल्दी जल्दी में बिना पानी लिये ही शौच के लिए निकल गई और अपनी देवरानी से बोली कि मुख्य सड़क पर जो चापाकल है, वहां से पानी लेकर वह शौच स्थल पर आए। शौच स्थल पर विद्या देवी काफी इंतज़ार करती रही, पर जब देवरानी नहीं आई तो वो वैसे ही खेत से उठकर पीड़िता के घर गई तो वह अपने घर पर नहीं थी। फिर वह चापाकल पर गई तो तब भी वह वहां नहीं थी। फिर थोड़ी देर बाद उसने देखा कि पीड़िता रोती हुई हाथ में कपड़ा लिए नंगी अवस्था में ही दूसरी ओर से भागी चली आ रही है और उसके सिर से ख़ून बह रहा है। विद्या देवी दौड़कर महिला की ओर गई। वह उनसे रोते हुए लिपट गई और बेहोश हो गई। जेठानी व एक अन्य पड़ोसी जैसे तैसे पीड़ित महिला का शरीर ढंककर उसे कमरे में ले गए। वहां से पुलिस को फोन किया गया। एंबुलेंस करके महिला को रात में ही अस्पताल ले जाया गया, जहां उसके सिर में चार टांके लगे। डंडे की मार से उनकी देह काली पड़ी हुई है। 

पीड़िता के अनुसार उसने प्रमोद सिंह यादव से महज 1500 रुपए कर्ज़ लिये थे। पैसा देते समय कर्ज़ के पैसे पर किसी तरह के ब्याज की बात नहीं हुई थी। महिला ने स्कूल से पैसा मिलते ही महज 10 दिन में ही उसका कर्ज़ लौटा भी दिया था और कर्ज़ की बात आई-गई हो गई। लेकिन बीते 21 सितंबर को अचानक प्रमोद सिंह यादव उनके घर आ धमका और सूद मांगने लगा। इस पर महिला ने कहा कि कर्ज़ तो उसने चुका दिया था तो उसने कहा कर्ज चुका दिया है, तो सूद तो देना होगा। इस पर महिला ने कहा कि वो ग़रीब लोग हैं सूद नहीं दे पाएंगे। इस पर प्रमोद सिंह ने ईंट उठाकर मारा जो पीड़िता की छाती में जाकर लगा। इसके बाद अगले दिन 22 सितंबर को जब वो मुख्य सड़क पर लगे चापाकल पर पानी लेने गई तो प्रमोद सिंह यादव ने उसे लाठी से मारा। 22 सितंबर की घटना पर पीड़िता के परिजनों ने 112 नंबर पर डायल करके शिक़ायत दर्ज़ करवाया था। पीड़िता की शिक़ायत पर पहुंची पुलिस ने प्रमोद सिंह यादव के घर जाकर उससे बात की और वापिस लौट गई। इससे प्रमोद सिंह यादव का दुस्साहस और बढ़ गया। पुलिस के जाने के बाद प्रमोद सिंह यादव महिला के घर पहुंचा और उसको धमकाते हुए बोला– पुलिस को तुमने बताया है, तुमको नंगा करके मारेंगे और फिर अगले दिन यानि 23 सितंबर को प्रमोद सिंह यादव दिन भर पीड़ित महिला के घर के आस-पास मंडराता रहा। 

इसके बाद 23 सितंबर की रात 10 बजे जब पीड़िता विद्या देवी के शौंच जाने के लिए चापाकल से पानी भर रही थी तो प्रमोद सिंह यादव वहां आ धमका और महिला से कहा तुम्हारे पति को बंधक बना रखा है। यह सुनते ही पीड़ित महिला दौड़कर प्रमोद सिंह यादव के घर पहुंची। वहां पहुंचते ही प्रमोद सिंह यादव, उसके बेटे अंशु सिंह और चार अन्य लोगों ने मिलकर महिला पर हमला कर दिया। उसके देह से कपड़े नोंच दिये और प्रमोद सिंह यादव ने अपने बेटे से उसके मुंह पर पेशाब करवाया। 

घटना के विरोध में प्रदर्शन करतीं महिलाएं

पीड़िता ने 24 सितंबर की सुबह खुसरुपुर थाने में प्रमोद सिंह, बेटे अंशु सिंह और चार अन्य लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज़ करवाया। इसके बाद 26 सितंबर को प्रमोद सिह यादव को गिरफ्तार किया गया। वहीं पुलिस ने पीड़िता के कई आरोपों को खारिज़ कर दिया है। खुसरुपुर थाने के प्रभारी गंगा सागर सिंह का कहना है कि मुंह पर पेशाब करने की बात में सत्यता नहीं है। वो कहते हैं कि पीड़िता के अलावा इसका कोई गवाह नहीं है। 

गौरतलब है कि घटना के वक्त़ सियाराम यादव खुसरुपुर थाना के थानाध्यक्ष थे। लेकिन 24 सितंबर को उनका तबादला कर दिया गया और उनकी जगह गंगा सागर सिंह थानाध्यक्ष बने। नए थानाध्यक्ष का कहना है कि लंबे समय से दोनों पक्षों के बीच कर्ज का लेन-देन चल रहा था। मामला 20-25 हजार रुपए के कर्ज का है। 

पटना ग्रामीण एसपी इमरान मसूद ने आरोपी की गिरफ्तारी के बाद मीडिया बयान में कहा है कि दोनों पक्षों के बीच विवाद का कारण रुपए का लेन-देन था। गिरफ्तार प्रमोद सिंह यादव ने इस बात की जानकारी दी है कि महिला के ऊपर उसका पंद्रह हजार रुपए बकाया है, पीड़िता का कहना है कि उसने उससे महज 1500 रुपए लिये थे। 

हास्यास्पद : घटना के 72 घंटे के अंदर मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी की सूचना पटना पुलिस द्वारा सोशल मीडिया पर सार्वजनिक की गई

बता दें कि 3 हजार की आबादी वाले इस गांव में यादवों की आबादी सबसे ज्यादा है। जबकि चमार जाति के 7-8 परिवार ही हैं जोकि भूमिहीन हैं और यादवों के खेतों में मज़दूरी करते हैं। गांव के दलित बिरादरी के लोगों का कहना है कि यादव बिरादरी के लोग अक्सर ही गाली गलौज देते हैं। उनके अत्याचार से तंग होकर 3-4 दलित परिवार गांव छोड़कर चला गया। इस घटना के बाद संभव है कि और लोग भी गांव छोड़ दें। 

खुसरूपुर की घटना के ख़िलाफ़ भाकपा माले और ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेन एसोसिएशन (ऐपवा) ने पटना में प्रतिवाद सभा आयोजित करके मांग किया कि सूदखोरी के जकड़न में कराहते बिहार के ग्रामीण समाज को सरकार मुक्ति दिलाए। घटना के अगले ही दिन ऐपवा और माले की एक टीम पीड़ित परिवार से मिलने भी पहुंची थी, जिसमें पालीगंज के विधायक नेता संदीप सौरव, ऐपवा नेता शशि यादव, फुलवारी के विधायक गोपाल रविदास, ऐपवा राज्य सचिव अनीता सिन्हा आदि शामिल थे। माले विधायक संदीप सौरभ बताते हैं कि यहां गुंडा बैंक चलता है। इस घटना से कर्ज़ लेने वाले सभी लोग घबराए हुए हैं। और ऐसे कई लोग कर्ज़ के डर से घर छोड़कर भाग गए हैं। यहां कई दलित परिवार हैं, जो आमतौर पर प्रवासी मज़दूर हैं। ये मज़दूर गांव के दबंगों से कर्ज़ लेकर बड़े शहरों में काम की तलाश में जाते हैं और मेहनत मज़दूरी करके कर्ज़ चुकाते हैं। 

इस घटना ने देश भर के लोगों को चिंतित कर दिया है। दलित लेखक संघ की पूर्व अध्यक्ष और साहित्यकार अनीता भारती महिलाओं के लिए आर्थिक सपोर्ट सिस्टम बनाने पर ज़ोर देते हुए कहती हैं कि अभी महिला आरक्षण बिल की बात हो रही है। उसी तरह महिलाओं के लिए आर्थिक सपोर्ट सिस्टम बनाना पड़ेगा, जिससे दलित महिलाओं को उनकी कमज़ोर आर्थिक स्थिति से उबरने में मदद मिले। वह ग्रामीण बैंकिंग ढांचे पर सवाल खड़े करते हुए कहती हैं कि भारत में सूदखोरों के पास पहुंचना इतना आसान काम है कि कोई डॉक्युमेंट नहीं देना पड़ता। ज़मीन, घर, गहना कुछ भी है, उसे दे दो तो वो गिरवी रखकर पैसा दे देते हैं। कुछ नहीं हैं तो ऊंची ब्याज पर भी पैसे दे देते हैं, और बीच-बीच में पकड़कर बेगार करवाते हैं। जबकि बैंकों के पास पहुंचना बहुत कठिन काम है। पहले तो बैंक इस तरह की स्थिति पैदा करते हैं कि कोई उनसे लोन ही न ले, खास करके हाशिए के समाज के लोगों को। बड़ी जातियों और पूंजीपतियों को लोन देने में उन्हें कोई गुरेज़ नहीं है, लेकिन हाशिए के समाज के लोगों से उन्हें सब तरह के दस्तावेज चाहिए। अगर वे इतने समर्थ ही होते तो वे लोन लेने ही क्यों जाते। तमाम ग्रामीण बैंक बने तो ग्रामीणों के नाम पर ही हैं, लेकिन उसमें जो वर्चस्वशाली ताक़तें हैं, ऊंची जाति के दबंग लोग हैं, उनको ये सब आसानी से मिल जाता है। लेकिन हाशिए के समाज की औरतें, जो किसी भी तरह से अपना गुज़ारा कर रही हैं, उन्हें बैंकों से लोन नहीं मिलता और फिर कभी बीमार पति और बच्चों की दवा के लिए कभी किसी अन्य ज़रूरत के लिए उन्हें सूदखोरों के पास हाथ फैलाना पड़ता है, जिसकी क़ीमत उन्हें इस तरह से चुकाना पड़ता है। महिलाओं पर तमाम तरह की हिंसा का बढ़ना रुग्ण समाज की निशानी है, जिसके ख़िलाफ़ लड़ना ही होगा। 

कर्ज़ के बदले बलात्कार का शिकार होना पड़ा

पटना में दलित महिला के साथ घटित उपरोक्त घटना कोई इकलौती घटना नहीं है। पिछले तीन-चार महीने में ही देश के तमाम राज्यों में ऐसी कई घटनाएं घटित हुई हैं, जब ब्याज पर महज कुछ हजार रुपए के कर्ज़ की अदायगी दलित और हाशिए की महिलाओं को यौनहिंसा से चुकानी पड़ी है। 

राजस्थान के नागौर जिले में इसी साल अगस्त में एक मामला सामने आया था, जहां एक सूदखोर ने पीड़ित महिला से पैसे वसूलने के लिए बलात्कार किया। दरअसल महिला के पति को पैरालिसिस हो गया। इलाज के लिए महिला ने पैसे जुटाने की बहुत कोशिश की, पर नाकाम रही। इसी दौरान किसी ने उसे नागौर में दिल्ली दरवाजा के पास रहने वाले सूदखोर मेहरदीन से ब्याज पर पैसे लेने की सलाह दी। मेहरदीन ब्याज पर पैसे देने का ही काम करता है। महिला मेहरदीन के पास गई और ब्याज पर 10 हजार रुपये कर्ज़ ले आयी। बाद में महिला ने मेहरदीन को पांच हजार रुपये लौटा दिये। साथ ही वह हर माह 500 रुपए ब्याज के रूप में देती रही। बावजूद इसके मेहरदीन महिला को ब्याज के लिए परेशान करता रहा। एक दिन जब महिला का पति घर से बाहर कहीं गया था, उसी दिन मेहरदीन पैसा लेने के बहाने महिला के घर में घुसकर उसका रेप किया और वीडियो भी बना लिया। उस वीडियो के दम पर वो फिर महिला को ब्लैकमेल करके उदयपुर एक होटल में ले जाकर वहां भी रेप किया और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया। बदनामी से आहत महिला ने तालाब में कूदकर खुदकुशी करने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय लोगों ने उसे बचा लिया। बाद में पीड़िता की तहरीर पर आरोपी को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। 

इसी साल फरवरी में महाराष्ट्र के पुणे में एक साहूकार ने एक शख्स को बांधकर उसकी आंखों के सामने उसकी पत्नी से बलात्कार किया और उसका वीडिया बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया। पीड़ित व्यक्ति ने आरोपी साहूकार से 40 हजार रुपए कर्ज़ लिये थे, जिसे वह समय पर लौटा पाने में असमर्थ रहा था। वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद 26 जुलाई, 2023 को इस मामले में केस दर्ज़ करके आरोपी को गिरफ्तार किया गया। 

राजधानी दिल्ली में सत्ता के बुलडोजर का शिकार बन रही दलित बस्तियों को बचाने के संघर्ष में लगी सामाजिक कार्यकर्ता संगीता गीत इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहती हैं कि दलित महिला के साथ आप कुछ भी कर सकते हैं। यह इस देश में आम है। जब तक जाति समस्या इस देश की जड़ में है तब तक महिला सशक्तिकरण की बात बेमानी है। जाति उत्पीड़न इसलिए हैं क्योंकि दलित आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं तो उच्च जाति द्वारा वर्चस्व कायम होने को दलित भी अपना नियति मानते हैं, इसीलिए सहते हैं लेकिन आप खैरलांजी याद करिए जहां महिलाओं के साथ रेप हुआ और नग्न शरीर पड़ा मिला, क्योंकि वहां उन्होंने खुद को दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ ब्राह्मणवादी विचार को चोट दी। तो जब दलित खुद एकजुट होकर इस ब्राह्मणवादी विचार को टक्कर देंगे तो ये घटनाएं नहीं होंगी। 

(संपादन : राजन/नवल/अनिल)

लेखक के बारे में

सुशील मानव

सुशील मानव स्वतंत्र पत्रकार और साहित्यकार हैं। वह दिल्ली-एनसीआर के मजदूरों के साथ मिलकर सामाजिक-राजनैतिक कार्य करते हैं

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