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विरोध की घोषणा करते हुए मिजोरम में छात्रों ने एक जुलूस निकाला। इस जुलूस में लगभग 30 हजार लोग शामिल हुए। जुलूस के मार्ग पर जो पोस्टर लगे थे उनमें अत्यंत खतरनाक नारे लिखे थे। ऐसा ही एक नारा था 'हलो चायना, बाय-बाय इंडिया'

वर्तमान में उत्तर-पूर्वी भारत धूं-धूं कर जल रहा है। उत्तर पूर्व के सभी राज्यों में केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) कानून में किए गए बदलाव का विरोध हो रहा है। विरोध इतना तीव्र हो गया है कि कुछ स्थानों पर तो गणतंत्र दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों का बहिष्कार किया गया।

कल 26 जनवरी 2019 को हालत यह रही कि मिजोरम की राजधानी आईजॉल में गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित राजकीय कार्यक्रम का वहां की जनता ने बहिष्कार किया।

मिजोरम एक तरफ राज्यपाल कुम्मानम राजशेखन और मुख्यमंत्री सहित सूबे के तमाम बड़े अधिकारी मौजूद रहे और झांकियां निकाली जा रही थीं, लेकिन उन्हें देखने के लिए कोई मौजूद नहीं था। बड़ी संख्या में लोग परेड गाउंड के बाहर अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे थे।

एनआरसी कानून में बदलाव का मिजोरम सहित पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में हो रहा है भारी विरोध

केंद्र सरकार का कहना है कि नए बदलावों की वजह से भारत की सीमा में घुसपैठ करने वालों को नागरिकता नहीं मिल सकेगी। वहीं इसका एक पक्ष यह भी है कि सरकार ने बांग्लादेश और पाकिस्तान सहित दुनिया के किसी भी हिस्से में रहने वाले हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान इसी कानून में कर दिया है।

मिजोरम की राजधानी आईजॉल में गणतंत्र दिवस का बहिष्कार करते लोग

केंद्र सरकार के फैसले का विरोध पूर्व से हो रहा था। यह विरोध गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रभावकारी रूप में सामने आया जब लोगों ने इसका खुलकर विरोध किया। इस तरह के विरोध की घोषणा करते हुए मिजोरम में छात्रों ने एक जुलूस निकाला। इस जुलूस में लगभग 30 हजार लोग शामिल हुए। जुलूस के मार्ग पर जो पोस्टर लगे थे उनमें अत्यंत खतरनाक नारे लिखे थे। ऐसा ही एक नारा था ‘हलो चायना, बाय-बाय इंडिया’।

सवाल उठता है कि क्या ऐसे कानून देश की एकता और अखंडता की कीमत पर बनाए जाएंगे?

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)

(इनपुट : इंडियन एक्सप्रेस, 25 जनवरी 2019)


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लेखक के बारे में

एल.एस. हरदेनिया

लेखक वरिष्ठ पत्रकार व धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हैं।

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