हाल ही में गत 9 जुलाई को ओडिशा के रायगड़ा जिले में एक आदिवासी प्रेमी युगल को क्रूर सजा सुनाई गई। यह इलाका छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा पर आता है। प्रेमी युगल को बैलों के स्थान पर जोता गया और उनकी पीठ पर चाबुक बरसाए गए। उन्हें सजा देनेवाले पंच इतने भर से नहीं रूके। उन्होंने प्रेमी युगल को गांव से बहिष्कृत भी कर दिया। इसके अलावा इस पूरी घटना की वीडियो रिकार्डिंग की गई और सोशल मीडिया पर डाला गया।
मिली जानकारी के अनुसार घटना रायगड़ा जिले के कल्याणसिंहपुर नामक प्रखंड के कंजामाझिरा गांव की है। बताया जा रहा है कि डोंगरिया कोंद समुदाय के प्रेमी युगल को कड़ी सजा इस कारण से दी गई क्योंकि दोनों एक ही गोत्र के हैं। इलाके के इस आदिवासी समुदाय में समान गोत्र में शादी प्रतिबंधित है। इसके बावजूद प्रेमी युगल द्वारा प्रेम करने पर स्थानीय आदिवासी समुदाय ने अपनी पंरपरा की दुहाई देते हुए उक्त सजा दी।
सोशल मीडिया पर एनडीटीवी द्वारा जारी वीडियो में देखा जा सकता है कि स्थानीय लोग प्रेमी युगल को खेत में बैलों की मानिंद जुए से जोत कर उन्हें जमीन जोतने के लिए मजबूर कर रहे हैं। कुछ लोग उनकी पीठ पर डंडे से हांकते-पीटते नजर आ रहे हैं।

महत्वपूर्ण यह कि इक्कीसवीं सदी में भी यह सब परंपरागत समाज व्यवस्था के नाम पर किया गया। इस संबंध में छत्तीसगढ़ एसोसिएशन फॉर जस्टिस एण्ड इक्वालिटी के संयोजक व पीयूसीएल, छत्तीसगढ़ के पूर्व अध्यक्ष डिग्री प्रसाद चौहान ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि स्थानीय समुदाय का यह कृत्य मध्ययुगीन-सामंती परंपराओं का अनुसरण है, जो देश की आज़ादी के बाद भी पितृसत्तात्मक और जातिवादी मान्यताओं को आज के समाज में भी बनाए रखना चाहता है। यह कृत्य आधुनिक काल के समूचे सभ्यता पर एक गोल धब्बा है।
चौहान कहते हैं कि यह बर्बर कृत्य मौलिक और मानवाधिकारों का उल्लंघन तथा मानवीय गरिमा का अपमान करने वाला है। यह भारतीय संविधान में निहित समानता, स्वतंत्रता और न्याय के सिद्धांतों का भी गंभीर उल्लंघन है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग किया है कि इस घटना की निष्पक्ष जांच कर अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। इसके अलावा उन्होंने पीड़ित प्रेमी युगल को तत्काल सुरक्षा, सहायता और पुनर्वास प्रदान करने की मांग की।
(संपादन : राजन/नवल/अनिल)
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