h n

राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में ओबीसी को नहीं दिया जा रहा 27 प्रतिशत आरक्षण

संसदीय समिति की सिफारिश में कहा गया है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया को सभी विधि विश्वविद्यालयों, एनएलयू, विधि महाविद्यालयों और अन्य विधि संस्थानों में आरक्षण के सही क्रियान्वयन की निगरानी करनी चाहिए। यदि अनुपालन नहीं होता है तो बार काउंसिल ऑफ इंडिया को ऐसे संस्थानों की मान्यता वापस लेने पर विचार करना चाहिए। पढ़ें, यह खबर

देश के राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में पिछड़ा वर्ग के साथ हकमारी की जा रही है। इनमें ऑल इंडिया कोटा के तहत पिछड़ा वर्ग को देय 27 प्रतिशत आरक्षण को लागू नहीं किया जा रहा है। इसके कारण न्यायिक सेवा में पिछड़ा वर्ग की अपेक्षित भागीदारी सुनिश्चित नहीं हो पा रही है। इस बारे में डीएमके सांसद पी. विल्सन ने संसद में सवाल उठाया है। साथ ही उन्होंने सभी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखकर अनुपालन सुनिश्चित करने की मांग की। इसी सवाल को लेकर ऑल इंडिया ओबीसी स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआईओबीसीएसए) ने पहल करते हुए गत 14 अगस्त, 2025 को एक ज्ञापन बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एडवोकेट मनन कुमार मिश्र को सौंपा है।

एआईओबीसीएसए के अध्यक्ष जी. किरण कुमार ने बताया है कि संवैधानिक प्रावधान होने के बावजूद सभी 27 राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में से लगभग 24 में एलएलबी और एलएलएम में प्रवेश के लिए ऑल इंडिया कोटा के सीटों में निर्धारित 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किया जा रहा है। इसके विपरीत, लगभग 18 विश्वविद्यालयों ने स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तरों पर ईडब्ल्यूएस के लिए दस प्रतिशत आरक्षण लागू कर दिया है। यह ओबीसी छात्रों के साथ स्पष्ट भेदभाव व अन्याय को दर्शाता है।

किरण कुमार ने बताया कि एआईओबीसीएसए के एक प्रतिनिधिमंडल ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा से मिलकर इस बारे में उनका ध्यान आकृष्ट किया और राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में ऑल इंडिया कोटा के सीटों में भारत सरकार की आरक्षण नीति को तत्काल क्रियान्वयन करने की मांग की।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्र को ज्ञापन देते किरण कुमार

प्रतिनिधिमंडल ने अपने ज्ञापन में कार्मिक, जन शिकायत, कानून और न्याय से संबंधित विभागीय संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिसमें (रिपोर्ट के पैरा 2.37 और 2.38 में) स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कई राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय स्नातक और स्नातकोत्तर प्रवेश में एससी/एसटी/ओबीसी श्रेणियों के लिए आरक्षण का सही ढंग से पालन नहीं कर रहे हैं।

किरण कुमार ने बताया कि उपरोक्त समिति की सिफारिश में कहा गया है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया को सभी विधि विश्वविद्यालयों, एनएलयू, विधि महाविद्यालयों और अन्य विधि संस्थानों में आरक्षण के सही क्रियान्वयन की निगरानी करनी चाहिए। यदि अनुपालन नहीं होता है तो बार काउंसिल ऑफ इंडिया को ऐसे संस्थानों की मान्यता वापस लेने पर विचार करना चाहिए।

समिति की इसी सिफारिश के आलोक में एआईओबीसीएसए ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया से आग्रह किया है कि सभी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों को बाध्यकारी निर्देश जारी कर ऑल इंडिया कोटा सीटों में स्नातक और स्नातकोत्तर प्रवेश के लिए 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण नीति लागू कराई जाए। इसके साथ ही सभी मान्यता प्राप्त विधि संस्थानों में शिक्षकों की भर्ती में भी आरक्षण नीति के सख्त अनुपालन को सुनिश्चित किया जाए। एक मजबूत निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए और संस्थानों से समय-समय पर अनुपालन रिपोर्ट ली जाए। इसके अलावा भारत सरकार की आरक्षण नीति का उल्लंघन करने वाले संस्थानों की मान्यता वापस ली जाए।

एआईओबीसीएसए के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण लागू करते हुए ओबीसी को आरक्षण से वंचित करना गंभीर अन्याय है, जिसे तत्काल सुधारा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी दोहराया कि ओबीसी छात्रों के संवैधानिक अधिकारों के पूर्ण क्रियान्वयन तक संघर्ष जारी रहेगा।

(संपादन : राजन/नवल/अनिल)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, संस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

लेखक के बारे में

एफपी डेस्‍क

संबंधित आलेख

कैसे कांग्रेस ने आखिरकार पटेल और आंबेडकर को अपनाया?
राहुल गांधी के पहले तक कांग्रेस को कभी यह अहसास नहीं हुआ कि पटेल और आंबेडकर को वह सम्मान और स्वीकार्यता हासिल नहीं हुई...
बिहार : एसआइआर को लेकर सवर्ण जातियों में खामोशी और गैर-सवर्णों की बेचैनी के मायने
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर जब इतनी विसंगतियां सामने आ रही हैं, तब जो बात सबसे अधिक चौंका रही है, वह...
‘हां, मैं बहुजन कम्युनिस्ट हूं’
“मैं सचमुच में हवा में ही था। मैं जाति छुपाता था ताकि कोई नीच न समझे। लेकिन हम तो श्रमजीवी समाज हैं भाई। हमारे...
बिहार में दलितों के साथ हकमारी
बिहार सरकार अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत आवंटित धनराशि का उपयोग सड़कों, पुल-पुलिया, सरकारी भवनों और अन्य बड़े बुनियादी ढांचा आदि...
स्वामी प्रसाद मौर्या द्वारा पाखंड की पोल खोलने से हमलावर हुए ब्राह्मणवादी
उत्तर प्रदेश के रायबरेली में स्वामी प्रसाद मौर्या पर गत 6 अगस्त को हमला किया गया। इसके पहले भी उन पर ब्राह्मणवादियों ने हमला...