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Anuj Kumar

दलित-बहुजनों के पैरोकार प्रेमचंद
प्रेमचंद का साहित्य एक तरह से अपने समय का ऐसा दस्तावेज है, जिसमें सामाजिक कुरीतियों, धार्मिक पाखंडों, जमींदारों...
पितृसत्तावादी सामंती समाज में पारिवारिक ‘बंधुआ’ की कहानी
एक बंधुआ मजदूर वे भी होते हैं जो सूदखोरों के हत्थे नहीं चढ़ते, लेकिन ब्राह्मणवादी व्यवस्था उन्हें बंधुआ...