सावित्रीबाई फुले के साहित्य का यह संकलन ‘काव्यफुले’ (1854) से शुरू होता है, जिसके प्रकाशन के समय वे मात्र 23 वर्ष की थीं और इसका अंत ‘बावन्नकशी सुबोध रत्नाकर’ (1892) से होता है। इन दो...
सरकारी विभागों में भटों के वर्चस्व को समाप्त करने के लिए तथा शूद्रों के प्रतिनिधित्व को स्थापित करने के लिए फुले के द्वारा सुझाये गये उपाय पर गौर करें तो वर्तमान में हम जिस आरक्षण...
जोतीराव फुले के मुताबिक, बाणासुर ने अपने युद्ध में जीते हुए सारे धन को गिनकर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन उसकी पूजा की और कृष्ण पक्ष के चौदहवें दिन तथा महीने के...
एक गैर-भारतीय की पद्धति क्या है? गैर-भारतीय काम करता है किसी भारतीय व्यक्तित्व पर या भारतीय समाज पर तो वह कैसे काम करता है— उसका एक नमूना है यह किताब। पढ़ें, डॉ. सिद्धार्थ का संबोधन