डा. डी आर जाटव साहित्य सम्मान समारोह
अलीगढ़: आनंद साहित्य सदन के तत्वावधान में ‘डा. डी आर जाटव साहित्य सम्मान समारोह’ का आयोजन 13 सितम्बर 2015 को अलीगढ़ में किया गया। समारोह में फरवर्ड प्रेस के सलाहकार संपादक प्रमोद रंजन, डा. मुंशीलाल गौतम और आनंद स्वरुप राकेश को सम्मानित किया गया। अलीगढ़ के सिद्धार्थ वैन्क्वेट हाल में बड़ी संख्या में उपस्थित गणमान्य बहुजन विचारकों और कार्यकर्ताओं के बीच यह सम्मान समारोह संपन्न हुआ। – एफपी डेस्क
चमारों को चाहिए भत्ता, कर्ज़
लखनऊ: 6 सितंबर को गांधी भवन, कैसरबाग में चमार समाज जागृति सम्मलेन का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष डा. पीएल पुनिया, विशिष्ट अतिथि पूर्व सांसदगण शीशराम रवि, आनंद प्रकाश गौतम, इशम सिंह व , मेधावी कीर्ति, जो जगजीवनराम की पोती हैं, आदि की उपस्थिति में आयोजन सम्पन्न हुआ। सम्मलेन में लंबित आरक्षण क़ानून एवं पदोन्नति में आरक्षण बिल को पारित करने, चमार जाति के बेरोजगार युवाओं को प्रतिमाह 7 हजार रुपये बेरोजगार भत्ता एवं तकनीकी रूप से प्रशिक्षित चमार युवाओं को 25 से 50 लाख रूपये का ऋण उपलब्ध करवाने की मांग सहित अनेक मांगे राखी गई। – राम प्रसाद आर्य
कल्याण में सत्यशोधकों का सम्मेलन
कल्याण: 4 और 5 अक्टूबर, २०15 को सातवीं सत्यशोधक गोलमेज परिषद् कल्याण मे संपन्न हुआ। उद्घाटक छगन भुजबळ (महाराष्ट्र केपूर्व उप मुख्यमंत्री) और अध्यक्ष प्रोफेसर श्रावण देवरे, संयोजक ज्ञानेश्वर गोबरे, डॉ. प्रकाश ढोकणे और डी. के. बापू माळी।
डंगवाल, राय को याद किया गया
नई दिल्ली: दस अक्टूबर को ‘रमणिका फाउंडेशन’ और ‘भारतीय दलित लेखक संघ’द्वारा मासिक कार्यक्रम (पाठ) का आयोजन किया गया, जिसमें ज्योति कृष्ण वर्मा, वाज़दा खान, अवनीश गौतम, रोहित प्रकाश व हेमलता यादव ने कविता पाठ किया। इस माह का आयोजन दिवंगत कवि वीरेन डंगवाल और वरिष्ठ आलोचक प्रोफेसर गोपाल राय की स्मृति को समर्पित था, जिसके अंतर्गत कवि पंकज चौधरी ने गोपाल राय और वीरेन डंगवाल को श्रद्धांजलि देते हुए उनके साहित्यिक अवदान को याद किया। रमणिका फाउंडेशन की तरफ से ‘युद्धरत आम आदमी’ पत्रिका के कार्यकारी संपादक पंकज चौधरी और भारतीय दलित लेखक संघ की तरफ से बीएस आनंद ने अध्यक्षता करते हुए कार्यक्रम के अंत में अपने विचार रखे। कविता गोष्ठी का संचालन सुमन कुमारी ने किया। -एफपी डेस्क
दलित महिलाओं ने दिखाई अपनी ताकत
सोनीपत (हरियाणा): दिल्ली से चिपका हरियाणा जैसे 1 अक्टूबर को ठिठक गया। वह हरियाणा, जहाँ आज भी महिलाओं को मुँह उघाड़कर चलने पर तोहमत दी जाती है, शाम के बाद उनका घर से निकलना दूभर है और घर से स्कूल दूर होने पर जहाँ अभी भी लड़कियों की पढाई बंद कर दी जाती है, जो लिंग अनुपात के मामले में देश में सबसे पिछडे राज्यों में है, जहाँ कोख में ही लड़कियों को मरवा देने का चलन है, जो पितृसत्ता और जातिगत उत्पीडऩ का नर्क है, जहाँ महिलाएँ उफ़ करने से तक डरती हैं। लेकिन एक अक्टूबर को जब सोनीपत में राष्ट्रीय दलित महिला आंदोलन और नैकडोर के नेतृत्व में हजारों महिलाएँ सड़कों पर निकलीं तो मानो उन्होंने एक नए दौर की शुरुआत की घोषणा की। ये महिलाएँ दलित महिला सम्मान यात्रा की समाप्ति पर आयोजित ‘महिला सम्मान और अधिकार सम्मेलन’ में हिस्सा लेने आयीं थीं और चाहती थीं कि उनको भी समाज में वही मान-सम्मान, बराबरी और अधिकार मिलें जो हज़ारों सालों से केवल मर्दों के हिस्से में रहे हैं. अभी यह केवल शुरुआत ही है। महिलाओं की बराबरी, सम्मान और अधिकार की लड़ाई को मुक़ाम तक पहुँचने में कई साल लगेंगे। लेकिन एक सुगबग़ाहट तो शुरू हो चुकी है। और यह सुगबग़ाहट अब महिला सम्मान यात्रा की छोटी सी टीम की नहीं है बल्कि उन हज़ारों महिलाओं की है, जो सम्मेलन में पूरी ताक़त के साथ शामिल हुईं थी। -रजनी तिलक
कुश्ती में दिव्या ने जीता एशियाई गोल्ड
भोपाल: ओबीसी वर्ग के नाई समाज से ताल्लुक रखने वाली 16 वर्षीय दिव्या सेन ने मध्य जून में दिल्ली में आयोजित एशियन कैडिट रेसलिंग चैंपियनशिप-2015 में स्वर्ण पदक जीत कर लम्बे समय से फ्रीस्टाइल कुश्ती में पिछड़ रहे भारत का नाम रौशन किया है। चैंपियनशिप के अंतिम दिन 14 जून को मेजबान भारत के हिस्से में एक गोल्ड आया। दिव्या ने 70 किग्रा भार वर्ग में मंगोलिया की ब्यामबादोरज सेतसेबायार को 3-2 से शिकस्त दी। लड़कों के 46 किग्रा भार वर्ग में फ्रीस्टाइल में मोनू ने कांस्य पदक जीता। ग्रीको रोमन स्टाइल के 85 किग्रा वर्ग में दीपक और 100 किलो में सुमित ने कांस्य पदक जीते। फ्रीस्टाइल में भारत दूसरे स्थान पर रहा। दिव्या सेन अब तक 40 मेडल जीत चुकी हैं। दिल्ली राज्य स्तरीय मुकाबलों में 14 गोल्ड मेडल हासिल करने के साथ ही दिव्या के नाम नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में लगातार आठ बार गोल्ड मेडल जीतने का रिकार्ड है। वह 2013 से लगातार विश्व कुश्ती चैंपीयनशिप में भाग ले रही है। दिव्या की इस कामयाबी पर दिल्ली से लगभग 500 किमी दूर मध्य प्रदेश के खरगौन जिले में 15 जून को जश्र मनाया गया। -हुसैन ताबिश
गांव का छोरा बन गया लाटसाहब
भोपाल: अगर दिल में कुछ कर गुजरने की चाह हो तो बड़ी-से बड़ी बाधाएं भी बौनी साबित हो जाती है और रास्ते खुद पथिक को मंजिल का पता देते हैं। मध्यप्रदेश के गुना जिले की चाचौड़ा तहसील के एक बेहद छोटे से गांव पैंची के प्रदुम्न मीणा ने यह साबित कर दिखाया है। प्रदुम्न ने देश के सवाधिक प्रतिष्ठित संघ लोकसेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में सफलता अर्जित कर एक मिसाल कायम की है। प्रदुम्न, ओबीसी समाज के एक निम्र मध्यमवर्गीय किसान परिवार से आते हैं। महज आठवीं तक पढ़े-लिखे माता-पिता की संतान प्रदुम्न ने इस परीक्षा में 745वां स्थान हासिल किया है। प्रदुम्न कहते हैं कि कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद, उनके पिता रामेश्वर मीणा और मां विद्याबाई मीणा ने हमेशा उन्हें और उनके भाई को उच्च शिक्षा अर्जित करने के लिए प्रेरित किया। प्रदुम्न का छोटा भाई मध्यप्रदेश पुलिस सेवा में है। -हुसैन ताबिश