पिछले दिनों राम के अपमान के लिए जेल भेजे गये मैसूर के दलित प्रोफ़ेसर की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। 17 जून को प्रोफ़ेसर बी पी महेश चंद्र गुरू को मैसूर की अदालत ने डेढ़ साल पुराने एक मुक़दमे में जेल भेज दिया था। प्रोफ़ेसर गुरू के खिलाफ 3 जनवरी 2015 को एक हिंदूवादी संगठन ने यह कहते हुए मुकदमा दायर कराया था कि उन्होंने कथित तौर पर ‘भगवान राम का अपमान’ किया है। तीन दिन जेल में रहने के बाद कल 20 जून को प्रोफ़ेसर गुरू ने जमानत की याचिका लगाई थी, लेकिन पुलिस ने अदालत के सामने उनके खिलाफ एक साल पुराना एक और मामला रखा, जिसके बाद अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया। इस नये मामले में प्रोफसर महेशचन्द्र गुरू के साथ तीन और लोगों पर ‘धार्मिक भावना आहत’ करने का मुकदमा दर्ज था। हालांकि पुलिस ने गुरू के अलावा अन्य तीन लोगों को गिरफ्तार नहीं किया है।
निलंबन की कार्रवाई
इस बीच मैसूर विश्वविद्यालय ने उन्हें निलंबित कर दिया है। फॉरवर्ड प्रेस से बात करते हुए मैसूर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर रंगप्पा ने बताया कि आज सुबह ( मंगलवार की सुबह) सिंडिकेट की बैठक में प्रोफ़ेसर गुरू के निलंबन का फैसला लिया गया है।
क्या कहते हैं क़ानूनविद
अदालत ने 17 जून को प्रोफ़ेसर गुरू को यह कहते हुए जेल भेज दिया था कि पिछले दो तारीखों पर वे अदालत के सामने नहीं आये थे, जबकि प्रोफ़ेसर ने अपनी अकादमिक व्यस्तता से अदालत को अवगत कराया। मुम्बई हाई कोर्ट के एडवोकेट निहाल सिंह कहते हैं कि ‘अदालत प्रोफ़ेसर गुरू को जेल भेजने से बच भी सकती थी। ऐसे मामले में जब अभियुक्त तीसरी बात खुद उपस्थित हुआ हो और पिछले दो बार न आने के कारण बताये हों, तो उसकी नौकरी देखते हुए उसे जेल भेजने से बचा जा सकता था, बल्कि यह जेल न भेजने का पर्याप्त आधार हो सकता था।’
बढ़ते ही जा रहे हमले
सवाल है कि क्या दलित प्रोफ़ेसर के मामले में अदालत से लेकर विश्वविद्यालय तक कुछ विशेष सक्रियता दिखाई जा रही है। यह सवाल इसलिए भी बनता है कि हाल के दिनों में देश भर में एक ख़ास पैटर्न दिख रहा है।एक ओर ब्राह्मणवादी मिथकों के द्वारा जनता, खासकर दलित –बहुजन जनता के सांस्कृतिक अनुकूलन के खिलाफ विभिन्न तर्कवादी दलित –बहुजन विचारकों ने अपनी आवाज तेज की है, तो दूसरी ओर ब्राह्मणवादी हिंदुत्व की ताकतें तेज हमलावर भी हुई हैं। मानवसंसाधन विकास मंत्री ने संसद में ‘देवी दुर्गा के तथकथित अपमान’ पर हंगामा किया तो ऐसी ताकतों को सरकारी प्रोत्साहन सा मिलता दिखा। इसके बाद ही हैदराबाद में प्रोफ़ेसर कांचा आयलैया के खिलाफ ‘हिन्दुओं की भावना’ भड़काने के नाम पर मुकदमा हुआ और गिरफ्तार करने की कोशिश हुई। उधर छतीसगढ़ के मानपुर कस्बे में आल इंडिया मूलनिवासी बहुजन सेन्ट्रल संघ के संयोजक विवेक कुमार को देवी दुर्गा के सन्दर्भ में एक फेसबुक टिप्पणी के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। इस टिप्पणी के बाद हिंदुवादी उपद्रवियों ने तोड़फोड़ की, बाजार बंद का आह्वान किया, जिसकी आड़ लेकर पुलिस ने विवेक कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, अभी वे 70 दिन बाद जमानत पर रिहा हुए हैं और अब प्रोफ़ेसर महेश चन्द्र गुरु के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई की जा रही है।