अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद प्रकरण एक लम्बे समय से विवाद का विषय रहा है। पिछली सदी के आखिरी दो दशकों की राजनीति तो इसी के इर्द-गिर्द नाचती रही। मैं नहीं समझता कि इसके विस्तार में जाने की कोई ज़रूरत है। लेकिन इस आलेख के लिए संक्षेप में चर्चा आवश्यक जान पड़ती है। अयोध्या का रामजन्मभूमि प्रकरण हिन्दुओं तक सीमित था। इसके नेता और कर्ता-धर्ता सब द्विज हिन्दू थे; ज्यादातर अयोध्या के अखाड़ों से जुड़े लोग। हिन्दुओं में दो तरह के राम हैं। एक सगुन राम हैं ; दूसरे निर्गुण राम। सगुन राम अयोध्या के राजा दशरथ और कौशल्या के पुत्र थे। उनकी एक जीवन गाथा है, जिसे लेकर अनेक लोक कथाएं हैं। इन कथाओं को लेकर भारतीय साहित्य में जाने कितनी काव्य-कथाएं रची गईं …
पूरा आर्टिकल यहां पढें : अगले तीन वर्षों में कोरेगांव की घटना रामजन्मभूमि मामले पर चढ़ बैठेगी!