पूँजीवादी ब्राह्मणवाद के नायक हैं अटल बिहारी वाजपेय
(अटल बिहारी वाजपेयी : 25 दिसंबर 1924 – 16 अगस्त 2018)
अटल बिहारी वाजपेयी को भाजपा दधिचि की तरह इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है। उनके अस्थि अवशेषों को चार हजार कलशों में भरकर देश के अलग-अलग हिस्सों में समारोहपूर्वक विसर्जित किया जा रहा है। जाहिर तौर पर उनकी यह कोशिश उन्हें महान बनाने की है। लेकिन सच यह है कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसा कोई कार्य नहीं किया जिसके लिए उन्हें याद किया जाए। अलबत्ता प्रधानमंत्री के रूप में उनके द्वारा लिये गये निर्णयों को कारण जनता पर जो प्रतिकूल असर पड़ा, इसके लिए उन्हें जरुर याद किया जाएगा।
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