देश में भाजपा के अत्यधिक उभार से सबसे दुखदायक स्थिति बहुजनों की राजनीति करने वाले दलों की है। आप लोग कहेंगे कि यह कहना किस तरह उचित है। इसका जवाब बड़ा रोचक है। इन दलों के नेताओं का समान रूप से मानना है कि मुसलमानों का एक मुश्त वोट लेने के लिये भाजपा का डर बना रहना चाहिये। इस कोशिश में ही यह दल सत्तासीन रहते हुए भी ठोस सामाजिक बदलाव से भागते रहे हैं। इन्होंने व्यवस्था परिवर्तन की जगह सत्तासीन होने में सारा ज़ोर लगाया है।