h n

कबतक हाशिए पर रहेंगे ओबीसी मुसलमान?

लेखक जुबैर आलम बता रहे हैं कि ओबीसी नेतृत्व में आपको हिन्दू नेता मिल जायेंगे लेकिन आपको ठीक से चार मुस्लिम नेता भी नहीं मिलेंगे जिनकी पहचान ओबीसी नेता की हो। ओबीसी के स्थापित नेतागणों को बताना चाहिए लगभग तीस साल के इस सफर में आखिर क्यों मुस्लिम समुदाय से ओबीसी नेतृत्व सामने नहीं ला पाये?

देश में भाजपा के अत्यधिक उभार से सबसे दुखदायक स्थिति बहुजनों की राजनीति करने वाले दलों की है। आप लोग कहेंगे कि यह कहना किस तरह उचित है। इसका जवाब बड़ा रोचक है। इन दलों के नेताओं का समान रूप से मानना है कि मुसलमानों का एक मुश्त वोट लेने के लिये भाजपा का डर बना रहना चाहिये। इस कोशिश में ही यह दल सत्तासीन रहते हुए भी ठोस सामाजिक बदलाव से भागते रहे हैं। इन्होंने व्यवस्था परिवर्तन की जगह सत्तासीन होने में सारा ज़ोर लगाया है।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : कबतक हाशिए पर रहेंगे ओबीसी मुसलमान?

लेखक के बारे में

जुबैर आलम

जुबैर आलम जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में शोधार्थी हैं तथा स्वतंत्र रूप से विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर लेखन कार्य करते रहे हैं

संबंधित आलेख

बहुजनों के वास्तविक गुरु कौन?
अगर भारत में बहुजनों को ज्ञान देने की किसी ने कोशिश की तो वह ग़ैर-ब्राह्मणवादी परंपरा रही है। बुद्ध मत, इस्लाम, अंग्रेजों और ईसाई...
ग्राम्शी और आंबेडकर की फासीवाद विरोधी संघर्ष में भूमिका
डॉ. बी.आर. आंबेडकर एक विरले भारतीय जैविक बुद्धिजीवी थे, जिन्होंने ब्राह्मणवादी वर्चस्व को व्यवस्थित और संरचनात्मक रूप से चुनौती दी। उन्होंने हाशिए के लोगों...
मध्य प्रदेश : विकास से कोसों दूर हैं सागर जिले के तिली गांव के दक्खिन टोले के दलित-आदिवासी
बस्ती की एक झोपड़ी में अनिता रहती हैं। वह आदिवासी समुदाय की हैं। उन्हें कई दिनों से बुखार है। वह कहतीं हैं कि “मेरी...
विस्तार से जानें चंद्रू समिति की अनुशंसाएं, जो पूरे भारत के लिए हैं उपयोगी
गत 18 जून, 2024 को तमिलनाडु सरकार द्वारा गठित जस्टिस चंद्रू समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को सौंप दी। इस समिति ने...
नालंदा विश्वविद्यालय के नाम पर भगवा गुब्बारा
हालांकि विश्वविद्यालय द्वारा बौद्ध धर्म से संबंधित पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। लेकिल इनकी आड़ में नालंदा विश्वविद्यालय में हिंदू धर्म के पाठ्यक्रमों को...