दलित पैंथर : एक आधिकारिक इतिहास
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यह ‘डॉ. आंबेडकर के बाद ज.वि. पवार द्वारा लिखित आंबेडकरवादी आंदोलन’ पर पुस्तक श्रृंखला की चौथी पुस्तक है। वे मानते हैं कि “दलित पैंथर्स का काल, आंबेडकर के बाद के दलित आंदोलन का स्वर्णकाल था”। पवार का मानना है कि “इस आंदोलन के साथ मेरे जुड़ाव का दौर मेरे जीवन का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कालखंड था और इसीलिए मैंने अपनी कहानी की बजाय दलित पैंथर आंदोलन की आत्मकथा लिखने को प्राथमिकता दी।”
पवार जिसे विनम्रता के साथ पैंथर्स का संक्षिप्त इतिहास कहते हैं, वह वास्तव में आंबेडकर के अवसान के बाद के महाराष्ट्र में दलित समुदाय के परिप्रेक्ष्य से इस संगठन और उसकी गतिविधियों को प्रस्तुत करता है – विशेषकर दलितों से सम्बंधित सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और मनोवैज्ञानिक मुद्दों और चुनौतियों के सन्दर्भ में। इस पुस्तक में एक उपन्यासकार (बलिदान का लेखक) का सृजनात्मक शिल्प शुष्क ऐतिहासिक तथ्यों के अनगढ़ कंकाल को कलात्मक रूप में प्रस्तुत करने में कामयाब रहा है।
भारत के आधुनिक इतिहास, और विशेषकर सबाल्टर्न दलित आंदोलनों, के अध्येताओं के लिए यह उपयोगी पुस्तक है। बहुजन कार्यकर्ता इससे बहुत कुछ सीख सकते हैं। इस पुस्तक के बिना कोई भी व्यक्तिगत या अकादमिक पुस्तकालय अधूरा होगा।
– आयवन कोस्का, प्रधान संपादक, फारवर्ड प्रेस
ज.वि. पवार का यह दावा बिलकुल उचित है कि दलित पैंथर्स: एन ऑथोरिटेटिव हिस्ट्री, इस आन्दोलन की आत्मकथा है।*
– द वायर
सामाजिक न्याय और जाति आधारित उत्पीड़नों के खिलाफ संघर्षों में रूचि रखने वाले पाठकों को 1970 के दशक के दलित पैंथर आन्दोलन पर ज.वि. पवार की पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए।*
-हिंदुस्तान टाइम्स
पवार ने आत्मालोचना ने परहेज़ नहीं किया है और अपनी गलतियों को स्वीकारा है। पैंथर पर अपने लेखन को ‘ऑथोरिटेटिव’ कहने के लिए सबसे ज्यादा योग्य कोई व्यक्ति यदि है तो वे ज.वि. पवार हैं।*
-हरनाम सिंह वर्मा, पूर्व सदस्य, उत्तरप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग.
आंबेडकर के बाद के दलित आन्दोलन के लिए ज. वि. पवार एक प्रकार के एनसाईक्लोपीडिया हैं. वे दलित पैंथर के संस्थापकों में से एक हैं परन्तु अन्यों के विपरीत, वे कभी व्यक्तिगत ख्याति के पीछे नहीं भागे। वे आंबेडकरवादी दलित आन्दोलन के प्रति प्रतिबद्ध और अपनी विचारों पर दृढ़ बने रहे।*
– आनंद तेलतुंबड़े
फारवर्ड प्रेस में ‘दलित पैंथर्स*’
https://www.forwardpress.in/2018/01/the-dalit-panther-as-a-convergence-of-hope-and-rage/
https://www.forwardpress.in/2018/02/dalit-panther-dalit-asmita-ke-lie-sanghrs-ka-ahvan/
मीडिया में ‘दलित पैंथर्स*’
https://thewire.in/caste/dalit-panthers-jv-pawar-interview
https://thewire.in/214393/examining-evolution-dalit-politics/?utm_source=alsoread
http://indianculturalforum.in/2018/06/07/j-v-pawar-dalit-panthers/
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*उपरोक्त टिप्पणियां इसी किताब के अंग्रेजी संस्करण के संदर्भ में की गई हैं
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