बहुजन साप्ताहिकी
बीते 21 दिसंबर, 2021 को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समागम का आयोजन हुआ। देश भर के ओबीसी राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के इस जुटान को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र के मुखर ओबीसी प्रतिनिधि व उद्धव ठाकरे सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने राजनीतिक आरक्षण की मांग की।
अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद के अध्यक्ष भुजबल ने जोर देते हुए कहा कि जैसे अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण का प्रावधान है, वैसे ही ओबीसी के लिए भी राजनीतिक आरक्षण का निर्धारण हो। उन्होंने कहा कि यह मांग करने का सही समय है। अभी हो यह रहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थानीय निकायों में ओबीसी के आरक्षण को गलत ठहराया जा रहा है और इसका परिणाम यह हुआ है कि महाराष्ट्र में ओबीसी के हजारों लोगों को इससे वंचित कर दिया गया। यह बेहद खतरनाक स्थिति है। आनेवाले समय में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर पूरे देश में त्रिस्तरीय स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण को खत्म कर दिया जाएगा।

भुजबल ने कहा कि आज जो कुछ महाराष्ट्र में हुआ है, वही कल गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में भी रोक लगायी जाएगी।[मध्य प्रदेश में पंचायत चुनावों पर ही रोक लगा दी गयी है।] यह केवल राजनीतिक आरक्षण के खात्मे का सवाल नहीं है। इसका असर नौकरियों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले में ओबीसी आरक्षण पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ओबीसी आरक्षण तभी बचेगा जब इसे एससी-एसटी के आरक्षण के जैसे संवैधानिक मान्यता मिलेगी।
जातिवार जनगणना आज तक अनुत्तरित सवाल : अली अनवर
जातिवार जनगणना इस मुल्क में आजादी के बाद से आज तक अनुत्तरित सवाल है। धर्म के आर-पार जातिवार जनगणना जरूरी है। इससे सभी जातियों की संख्या और सामाजिक-आर्थिक हकीकत सामने आएगा। सामाजिक न्याय के लिए नीतियाँ व योजनाएं बनाने के लिए यह बेहद जरूरी है। ये बातें पूर्व राज्यसभा सांसद सह ऑल इंडिया पसमांदा महाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अली अनवर ने बीते 30 दिसंबर, 2021 को बिहार के भागलपुर में आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के बैनर तले आयोजित इस सम्मेलन में सामाजिक न्याय पर बढ़ते हमले के खिलाफ जातिवार जनगणना की मांग को लेकर वक्ताओं ने अपनी बातें रखीं।

मुख्य वक्ता अली अनवर ने कहा कि राज्यस्तर पर जातिवार जनगणना की बात जनगणना के साथ जातिवार जनगणना की मांग की लड़ाई को कमजोर कर रही है। जनगणना के साथ जातिवार जनगणना को वैधानिक मान्यता हासिल होगी। राज्यस्तर पर जातिवार जनगणना के आंकड़ें वैधानिक नहीं होंगे। वहीं विशिष्ट अतिथि के बतौर प्रसिद्ध चिकित्सक व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. पीएनपी पाल और जीरादेई के पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा ने कहा कि जातिवार जनगणना के सवाल पर संघर्षशील शक्तियों को एकजुट कर नीचे से लड़ाई खड़ी करनी होगी और किसान आंदोलन की तर्ज पर आगे बढ़ना होगा।
बहुजन चिंतक डॉ. विलक्षण रविदास ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि जातिवार जनगणना ओबीसी के सम्मान व पहचान से जुड़ा सवाल है, वर्चस्वशाली शक्तियां इसके खिलाफ हैं। जातिवार जनगणना की लड़ाई राजनेताओं के भरोसे नहीं लड़ी जा सकती है। इसके लिए व्यापक एकजुटता बनाकर सड़क पर लड़ाई तेज करना होगा।
वहीं सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के संयोजक रिंकु यादव ने कहा कि मोदी सरकार विरोधी विपक्ष की शक्तियां जातिवार जनगणना के सवाल पर मुखर नहीं हैं। नीतीश कुमार भाजपा के साथ रहते हुए राज्य में जातिवार जनगणना की बात करते हुए ओबीसी को ठग रहे हैं। सम्मेलन को सोशलिस्ट इम्पलॉयज वेलफेयर एसोसिएशन (सेवा) के राज्य संयोजक राकेश यादव और अतिपिछड़ा अधिकार मंच (बिहार) के संयोजक नवीन प्रजापति आदि ने भी संबोधित किया। सम्मेलन का संचालन गौतम कुमार प्रीतम ने किया।
तमिलनाडु : स्टलिन के निर्देश पर बनी सोशल जस्टिस मॉनिटरिंग कमेटी ने की पहली बैठक
बीते 29 दिसंबर, 2021 को तमिलनाडु सरकार के मुख्य सचिव मंगत राम शर्मा के कार्यालय में सोशल जस्टिस मॉनिटरिंग कमेटी की पहली बैठक हुई। इस बैठक में कमेटी की तरफ से राज्य शासन-प्रशासन में ओबीसी से जुड़ी अनेक महत्वपूर्ण सूचनाएं देने का निर्देश दिया गया। बताते चलें कि इस कमेटी का गठन मुख्यमंत्री एम. स्टलिन के निर्देश पर बीते 27 दिसंबर को किया गया।

कमेटी के अध्यक्ष प्रो. सुबा वीरापांडयन ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर बनी यह कमेटी देश में अपनी तरह की पहली कमेटी है। उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि कमेटी की उद्देशिका के विस्तृत और समग्र होने से राज्य में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के सभी तरह के मसलों व मुद्दों पर अनुश्रवण किया जा सकेगा। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में प्रो. वीरापांडयन ने बताया कि बैठक में तीन निर्णय लिये गए। इनमें राज्य में 69 प्रतिशत आरक्षण के अनुपालन के संबंध में पूरी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए मुख्य सचिव को कहा गया। साथ ही सामाजिक न्याय व युवाओं तथा छात्रों से जुड़े राज्य में संचालित हो रही योजनाओं व कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देने को कहा गया। इसके अलावा राज्य में सिर पर मैला उठाने की कुप्रथा को खत्म करने के लिए पहल करने संबंधी निर्देश भी दिए गए।
(संपादन : अनिल)
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