पंजाब के सीएम के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी कितने स्वीकार होंगे? पंजाब की राजनीति में यह प्रश्न बेशक कोई मायने न रखता हो, लेकिन पंजाब के दलित-हल्कों में यह प्रश्न इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शायद पंजाब में पहला अवसर होगा जब कोई दलित पूरे समय के लिये पंजाब की बागडोर अपने हाथों में लेगा। करीब 111 दिन (विधानसभा चुनाव की आधिकारिक घोषणा होने तक) पंजाब के मुख्यमंत्री रहे चरण सिंह चन्नी के इस छोटे-से कार्यकाल को सियासी क्षेत्र में यदि बहुत चमकदार न भी माना जाये, तो भी इसे बुरा नहीं कहा जा सकता। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा प्रस्तुत की गई तमाम अड़चनों के बीच चरणजीत सिंह चन्नी ने जिस प्रकार पंजाब राज्य की सत्ता को अपने इस छोटे से कार्यकाल में चलाया, वह उनकी कार्यक्षमता को तो दर्शाता ही है, अपने प्रतिद्वन्द्वी से कैसे निबटना है, इस सूझ-बूझ का परिचय भी देता है।
लेखक के बारे में

द्वारका भारती
24 मार्च, 1949 को पंजाब के होशियारपुर जिले के दलित परिवार में जन्मे तथा मैट्रिक तक पढ़े द्वारका भारती ने कुछ दिनों के लिए सरकारी नौकरी करने के बाद इराक और जार्डन में श्रमिक के रूप में काम किया। स्वदेश वापसी के बाद होशियारपुर में उन्होंने जूते बनाने के घरेलू पेशे को अपनाया है। इन्होंने पंजाबी से हिंदी में अनुवाद का सराहनीय कार्य किया है तथा हिंदी में दलितों के हक-हुकूक और संस्कृति आदि विषयों पर लेखन किया है। इनके आलेख हिंदी और पंजाबी के अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। इनकी प्रकाशित कृतियों में इनकी आत्मकथा “मोची : एक मोची का अदबी जिंदगीनामा” चर्चा में रही है