h n

आज़ादी का अमृत महोत्सव : ब्राह्मण राज के 75 साल

ब्राह्मणों की विजय का यह 75वां साल चल रहा है। 1947 के ब्राह्मण-राज से आज के हिंदू राज तक सत्ता के सारे पायदानों को देख लीजिए, हरेक पायदान पर ब्राह्मण बैठा हुआ मिलेगा। इसलिए आज़ादी के अमृत महोत्सव में ब्राह्मण का आनंद ब्रह्मानंद है। बता रहे हैं कंवल भारती

जब भी आज़ादी की वर्षगांठ पर चर्चा होती है, तो दक्षिण और वाम दोनों खेमों के लोग अलग-अलग तरह से बातें करते हैं। दक्षिण खेमा जहां खुशी से उन्मत्त होता है, वहीं वाम खेमा कहता है कि यह आज़ादी झूठी है। इसमें ईमानदार अभिव्यक्ति दक्षिण खेमे की है, और वाम खेमे की अभिव्यक्ति दोहरेपन की है। हकीकत यह है कि दोनों खेमों के मुखिया ब्राह्मण हैं, जो भारत के सबसे आजाद प्राणी हैं, शासक वर्ग हैं और जिनके लिए सकल पदार्थ आसानी से सुलभ हैं।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : आज़ादी का अमृत महोत्सव : ब्राह्मण राज के 75 साल

लेखक के बारे में

कंवल भारती

कंवल भारती (जन्म: फरवरी, 1953) प्रगतिशील आंबेडकरवादी चिंतक आज के सर्वाधिक चर्चित व सक्रिय लेखकों में से एक हैं। ‘दलित साहित्य की अवधारणा’, ‘स्वामी अछूतानंद हरिहर संचयिता’ आदि उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं। उन्हें 1996 में डॉ. आंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार तथा 2001 में भीमरत्न पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

संबंधित आलेख

‘धर्मनिरपेक्ष’ व ‘समाजवादी’ शब्द सांप्रदायिक और सवर्णवादी एजेंडे के सबसे बड़े बाधक
1975 में आपातकाल के दौरान आरएसएस पर प्रतिबंध लगा था, और तब से वे आपातकाल को अपने राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते...
हूल विद्रोह की कहानी, जिसकी मूल भावना को नहीं समझते आज के राजनेता
आज के आदिवासी नेता राजनीतिक लाभ के लिए ‘हूल दिवस’ पर सिदो-कान्हू की मूर्ति को माला पहनाते हैं और दुमका के भोगनाडीह में, जो...
दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के ऊपर पेशाब : राजनीतिक शक्ति का कमजोर होना है वजह
तमाम पुनरुत्थानवादी प्रवृत्तियां सर चढ़कर बोल रही हैं। शक्ति के विकेंद्रीकरण की ज़गह शक्ति के केंद्रीकरण की प्रवृत्ति बढ़ रही है। ऐसे दौर में...
नीतीश की प्राथमिकता में नहीं और मोदी चाहते नहीं हैं सामाजिक न्याय : अली अनवर
जातिगत जनगणना का सवाल ऐसा सवाल है कि आरएसएस का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति का जो गुब्बारा है, उसमें सुराख हो जाएगा, उसकी हवा...
मनुस्मृति पढ़ाना ही है तो ‘गुलामगिरी’ और ‘जाति का विनाश’ भी पढ़ाइए : लक्ष्मण यादव
अभी यह स्थिति हो गई है कि भाजपा आज भले चुनाव हार जाए, लेकिन आरएसएस ने जिस तरह से विश्वविद्यालयों को अपने कैडर से...