जोतीराव फुले और सावित्रीबाई फुले को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ सम्मान से सम्मानित किया जाय। यह मांग राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के सदस्यों ने की। आज 28 मार्च, 2023 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर आयोजित विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया। महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. बबनराव तायवाड़े ने कहा कि फुले दंपत्ति के महान त्याग को देखते हुए भारत सरकार को उन्हें भारत रत्न सम्मान से सम्मानित किया जाना चाहिए।
बताते चलें कि डॉ. भीमराव आंबेडकर को वर्ष 1990 में मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ सम्मान से सम्मानित किया गया था। डॉ. बबनराव तायवाड़े की उपरोक्त मांग का समर्थन कार्यक्रम में शरीक हुए राज्यसभा सदस्य बिधा मस्तान राव, बदुगुक लिंगया यादव, विधिराज रविचंद्र, मोपीदेवी वेंकटरमन ने भी किया।
विरोध प्रदर्शन में देश भर के विभिन्न राज्यों के विभिन्न ओबीसी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसकी जानकारी देते हुए महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव सचिन राजुरकर ने बताया कि प्रतिनिधियों में विदर्भ क्षेत्र के ओबीसी नेता डॉ. अशोक जीवतोड़े, प्रो. जोगेंद्र कवाडे, हरियाणा से राजबाला सैनी, तेलंगाना से श्रीनिवास जजुला, आंध्र प्रदेश से शंकर अन्ना, युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष घाटे, बिहार से मुकेश नंदन, शिव प्रसाद साहू, रजनीश गुप्ता, नरेश साहू, मध्यप्रदेश से विनय कुमार आदि शामिल रहे। इनके अलावा नेपाल से वीर बहादुर महतो भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।

इस अवसर पर सभी वक्ताओं ने राष्ट्रीय जनगणना में ओबीसी समुदाय की जातिवार जनगणना की मांग की। इसके अलावा महासंघ की ओर से केंद्र सरकार को एक ज्ञापन दिया गया। इसमें केंद्र सरकार के स्तर पर ओबीसी मामलों के लिए एक पृथक मंत्रालय बनाने संबंधी मांग शामिल है। इसके अलावा देश में ओबीसी समुदाय के लिए विधायिका में 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 243 डी(6) और अनुच्छेद 243 टी(6) में संशोधन करने की मांग भी की गई।
विरोध प्रदर्शन के दौरान यह मांग की गई कि केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों में ओबीसी संवर्ग के लिए 27 प्रतिशत हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाय तथा इस संबंध में सरकार के स्तर पर श्वेत पत्र जारी किया जाय। साथ ही यह मांग भी की गई कि रोहिणी आयोग की अनुशंसाओं को जातिवार जनगणना के बाद ही लागू किया जाए। महासंघ की ओर से यह मांग की गई कि ओबीसी किसानों, खेत मजदूरों के लिए साठ वर्ष की आयु के बाद पेंशन योजना लागू की जाय। महासंघ की ओर से यह मांग भी की गई कि न्यायपालिका के क्षेत्र में तहसील स्तर के न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश पद की नियुक्ति में ओबीसी को आरक्षण दिया जाए।
(संपादन : नवल/अनिल)
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