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दारापुरी और सिद्धार्थ सहित अन्य की रिहाई के लिए वाराणसी में विरोध प्रदर्शन, जमानत नहीं दिये जाने पर 21 से पूरे प्रदेश में आंदोलन

गोरखपुर में गत 10 और 11 अक्टूबर को गिरफ्तार किए गए एस.आर. दारापुरी, श्रवण कुमार निराला और डॉ. सिद्धार्थ सहित छह सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए वाराणसी में विरोध प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर राज्यपाल के नाम ज्ञापन में मांग की गई कि सभी को तुरंत रिहा किया जाए तथा उनके खिलाफ मुकदमे वापस लिये जाएं। पढ़ें, यह खबर

भूमिहीन दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के लिए ज़मीन की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गत 10 अक्टूबर को आंबेडकर जन मोर्चा के सदस्यों सहित छह सामाजिक कार्यकर्ताओं व बुद्धिजीवियों को गैरकानूनी ढंग से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इनमें उत्तर प्रदेश के पूर्व आईजी एस.आर. दारापुरी, आंबेडकर जन मोर्चा के संयोजक श्रवण कुमार निराला और पत्रकार व लेखक डॉ. सिद्धार्थ रामू शामिल हैं। इन्हें जल्द से जल्द रिहा करने व इनके खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने की मांग को लेकर 16 अक्टूबर को वाराणसी में विरोध मार्च निकाला गया तथा राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन स्थानीय जिला प्रशासन को दिया गया। 

इस बारे में पूर्वांचल बहुजन मोर्चा के संयोजक अनूप श्रमिक ने कहा कि यदि आगामी 20 अक्टूबर को जिला सत्र अदालत से जमानत नहीं दी गई तो 21 अक्टूबर से पूरे प्रदेश में आंदोलन चलाया जाएगा। विरोध प्रदर्शन के बाद आयोजित जनसभा में अनूप श्रमिक, डॉ. छेदीलाल निराला, मनीष शर्मा, सुक्खू मरावी, सागर गुप्ता, शहजादी ध्रुव (दिशा), विनय (बीएसएम), ज़ुबैर खान, करीम रंगरेज, अधिवक्ता संगठन से प्रेम प्रकाश यादव, राम दुलार, राजेश यादव, सुरेंद्र कुमार, अशोक कुमार आदि उपस्थित रहे।

श्रमिक ने बताया कि उत्तर प्रदेश में दलितों, आदिवासियों, अतिपिछड़ों के नाम पर राजनीति करने वाली सत्ता दल असल मे बहुजन प्रश्नों को लेकर बेहद नकारात्मक रवैया रखती आयी है, जिससे दलितों-पिछड़ों के आरक्षण, बैकलॉग के पदों की भर्ती लगभग रोक दी गई हैं। वहीं दलितों पर हिंसा में बढ़ोतरी हुई है। दलितों और आदिवासियों के ज़मीनों को गैर-दलित खरीद सकते हैं, यह आदेश देकर प्रदेश सरकार ने दबंगों और भूमाफियाओ का दलितों के ज़मीन हड़पने की खुली छूट दे दी है। वही शहरी इलाकों में विकास और चौड़ीकरण के नाम पर सफाईकर्मियों, और अन्य गरीबों के स्लम बस्तियों को लगातार उजाड़ा जा रहा है। पिछले एक-दो दशकों में जिन भूमिहिनों को ग्राम समाज की ज़मीन का पट्टा भी प्राप्त हुए, उनमें से 80 प्रतिशत को आज तक कब्ज़ा नहीं मिल सका। 

विरोध प्रदर्शन करते विभिन्न जनसंगठनों के लोग

अनूप ने कहा कि अगर सरकार कहती है कि उनके पास सरकारी पट्टे की भूमि आवंटन के लिए उपलब्ध नहीं है तो एससी-एसटी स्पेशल सब प्लान के बजट के तहत खरीद कर दे। इसके अलावा शहरी इलाकों में सफाईकर्मियों सहित सड़को के किनारे रहने वाले अन्य गरीबों को तत्काल आवासीय सुविधा प्रदान की जाए।

उन्होंने यह भी कहा कि गोरखपुर में सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा भूमिहीनों को जमीन देने की मांग करने पर सरकार द्वारा किया गया दमनकारी कृत्य निंदनीय है। उन्होंने कहा कि विरोध मार्च का आयोजन पूर्वांचल बहुजन मोर्चा, कम्युनिस्ट फ्रंट, पीएस-4 एवं बनारस नागरिक समाज द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। उन्होंने कहा कि शास्त्री घाट कचहरी से जिला मुख्यालय तक विरोध प्रदर्शन के बाद एक ज्ञापन राज्यपाल के नाम स्थानीय जिला प्रशासन को सौंपा गया। इसमें आंबेडकर जन मोर्चा के अध्यक्ष श्रवण कुमार निराला सहित उनके संगठन के गिरफ्तार साथियों और समर्थन में गए पूर्व आईजी एस.आर. दारापुरी, पत्रकार डॉ. सिद्धार्थ रामू एवं अन्य पत्रकारों को तत्काल रिहा किया करने, उनके ऊपर लगाए फर्जी मुकदमे वापस लिये जाने, उत्तर प्रदेश के दलितों, आदिवासियों एवं अन्य भूमिहीनों को कानून के अनुसार कम से कम एक एकड़ भूमि आवंटन किये जाने की मांग शामिल है।

विरोध प्रदर्शन के बाद जनसभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जमीन की मांग और जमीन के लिए आंदोलन खासकर दलितों के लिए जमीन का आंदोलन संविधान के अनुरूप है और सौ फ़ीसदी जायज़ है। ऐसे में हर दलित भूमिहीन को जमीन देने के बजाय सरकार इस आंदोलन को दमन के बल पर दबा देना चाहती है, जो कि संभव नहीं है।

(संपादन : नवल/राजन/अनिल)


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