तारीख थी 25 अगस्त, 2024। मौका था गैर-सवर्ण राजनीति की धरोहर को सहेजने का। वर्ष 1918 में इसी दिन मंडल आयोग के अध्यक्ष बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल यानी बी.पी. मंडल का जन्म हुआ था। इसी मौके पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन सेवा इंडिया की ओर पटना के जगजीवन राम शोध संस्थान में किया गया। इसकी खासियत यह थी कि इसमें मंडल आयोग की अनुशंसाओं के लागू होने के बाद लाभान्वित सभी वर्ग के लोग शामिल हुए। मंच पर भी और सभागार में भी।
यह इसलिए भी उल्लेखनीय है क्योंकि बिहार जैसे राज्य में जातीय दायरे की परंपरा विकसित होती जा रही है। आमतौर पर नायक व नायिकाओं की जयंती या पुण्यतिथि उनकी जाति के लोग ही मनाते हैं या सरकार मनाती है। इस दायरे में लगभग हर नायक-नायिका बांध दिए गये हैं। इसमें गुनाह किसी नायक-नायिका का नहीं है, बल्कि समाज में व्याप्त जातीय अस्मिता में बांधने का यत्न उनके ही समर्थक करते हैं। उदाहरण के लिए जगदेव प्रसाद कोइरियों की धरोहर हो गये हैं तो दारोगा प्रसाद राय यादव की थाती। लेकिन इस बार आयोजित बी.पी. मंडल की जयंती समारोह इससे अलग था।
इस मंच पर बिहार लोकसेवा आयोग के पूर्व सदस्य डॉ. शिवजतन ठाकुर थे तो भाकपा माले के सांसद सुदामा प्रसाद भी मौजूद थे। दोनों अति पिछड़ा वर्ग के। एक की जाति नाई और दूसरे कानू। पूर्व सांसद व पसमांदा आंदोलन के प्रणेता अली अनवर अंसारी भी आयोजन की शोभा बने हुए थे। कांग्रेस नेता चंदन यादव भी अपने सरोकारों के साथ मंच साझा कर रहे थे। अधिवक्ता अरुण कुशवाहा ने भी कानूनी पहलू पर चर्चा की। पूर्व विधायक रवींद्र सिंह (कोइरी जाति) ने भी अपने अनुभव साझा किये। सेवा इंडिया की संरचना में ढांचागत सामाजिक विविधता और सरोकार की एकरूपता के साथ सभी जाति और समाज के लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम के संचालक और सेवा इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव राकेश यादव ने वक्ताओं में सामाजिक और भौगोलिक प्रतिनिधित्व का पूरा ख्याल रखा। इस आयोजन में कई राज्यों के सांगठनिक पदाधिकारी और प्रतिनिधि आये हुए थे। उन सबों को अपनी बात रखने का मौका मिला।
सेवा इंडिया का आयोजन इस मायने में भी महत्वपूर्ण था कि जिस विषय पर विमर्श का आयोजन किया गया था, वह सामयिक भी था और जरूरी भी। विमर्श का विषय था– ‘बिहार में विस्तारित आरक्षण पर कोर्ट का कुठाराघात, कितना उचित, कितना अनुचित?’।
इस मुद्दे पर सभी वक्ताओं ने साफ शब्दों में कहा कि सवर्ण आधिपत्य वाली न्यायापालिका गैर-सवर्णों के सरोकार और हित पर सदैव कुठाराघात करती रहती है। मंडल आयोग के लागू करने की घोषणा के बाद भी उसे लागू करने में तीन साल से अधिक समय लग गए थे। नौकरी के साथ शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण किस्तों में लागू किया गया। जबकि सवर्णों के लिए आरक्षण बिना किसी अध्ययन, अनुशंसा और आयोग के एक झटके में लागू कर दिया गया। वह भी नौकरी के साथ शिक्षण संस्थाओं में भी। इस पर न्यायपालिका ने सभी मर्यादाओं को ताक पर रख दिया। यही है न्यायापालिका का जातिवादी चरित्र।
कार्यक्रम में सेवा इंडिया द्वारा प्रकाशित ‘नेपथ्य के नायक’ (खंड 2) और ‘सामाजिक न्याय का घोषणा पत्र’ का लोकार्पण किया गया। ‘नेपथ्य के नायक’ के दूसरे खंड में गैर-सवर्ण समाज के 25 नायकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें उनके सामाजिक योगदान और संघर्ष को बारीकी के साथ शब्दबद्ध किया गया है। वहीं ‘सामाजिक न्याय का घोषणा पत्र’ एक तरह से 1939 में प्रकाशित ‘त्रिवेणी संघ का बिगुल’ का विस्तार कहा जा सकता है। समय और परिस्थितियां भले ही अलग-अलग हों, लेकिन सरोकार एक ही है। हालांकि सेवा इंडिया के राकेश यादव कहते हैं कि ‘त्रिवेणी संघ का बिगुल’ लगभग सौ साल पहले का सामाजिक दस्तावेज है, जिसमें उस समय का इतिहास दर्ज है। वह सामाजिक न्याय की एक धरोहर है, जबकि ‘सामाजिक न्याय का घोषणा पत्र’ एक सूचनापरक दस्तावेज है। दोनों के बीच तुलना करना उचित नहीं है।
मंडल जयंती पर वक्ताओं ने बी.पी. मंडल के व्यक्तित्व और योगदान पर प्रकाश डालने के साथ विस्तारित आरक्षण पर कोर्ट की रुकावट पर भी अपनी राय रखी। आयोजकों की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, सेमिनार को संबोधित करते हुए प्रो. शिवजतन ठाकुर ने कहा कि देश में आरक्षण की सबसे बड़ी दुश्मन भाजपा है और भाजपा की सहयोगी पार्टियां भी आरक्षण का दुश्मन बन गई हैं। उन्होंने आगे कहा कि आरक्षण की लड़ाई आप तब तक नहीं जीत पाएंगे, जब तक शिक्षित नहीं हो सकेंगे। राज्यसभा के पूर्व सदस्य अली अनवर अंसारी ने कहा कि भारत का इतिहास मंडल के पहले और बाद जिस तरह की बहुजन चेतना से जाग्रत हुआ है, वह अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि अगर मंडलवादी राजनीतिक शक्तियां एकजुट रहतीं तो देश को आज यह फासीवादी दौर नहीं देखना पड़ता। वहीं कांग्रेस नेता चंदन यादव ने कहा कि सामाजिक न्याय और आरक्षण को मनुवादी ताकतें न कल पसंद करती थीं, न उन्हें आज पसंद है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में सामाजिक न्याय आंदोलन और जातिगत जनगणना की लड़ाई मुखर ढंग से लड़ी जा रही है।
लोकसभा के सदस्य सुदामा प्रसाद ने कहा कि आरक्षण को बचाने के लिए न्यायपालिका एवं सदन की लड़ाई के साथ-साथ सड़क पर भी मोर्चा बनाना पड़ेगा। देश के किसानों ने हमें आंदोलन का जो रास्ता दिखाया है, उसी मार्ग पर आगे बढ़कर बिहार के पिछड़ों का विस्तारित आरक्षण बचाया जा सकता है। सामाजिक कार्यकर्ता शशि प्रभा ने अपने वक्तव्य में लोगों से अपील की कि आप मानसिक गुलामी से मुक्त होकर अंधविश्वास और पाखंड का त्याग कीजिए।
सेवा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गोविंद सिंह, सेवा के राष्ट्रीय संगठन प्रमुख डॉ. वी.सी. यादव, सेवा उत्तर प्रदेश के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. पी.एन. सिंह, सेवा बिहार के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुसुम पटेल, सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अरविंद गुप्ता, सेवा बिहार के प्रांतीय कोषाध्यक्ष अनुज कुशवाहा एवं बिहार के अनेक बहुजन बुद्धिजीवियों ने कार्यक्रम को संबोधित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बी.पी. मंडल की फोटो पर माल्यार्पण कर तथा भारत के संविधान की प्रस्तावना का पाठ करके किया गया। प्रस्तावना का पठन संगठन सचिव कमलेश कुमार ने किया। इस मौके पर डॉ. दिनेश पाल ने बी.पी.मंडल के संघर्षपूर्ण जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उनकी अनुशंसाओं से पिछड़ा वर्ग को एक नया आयाम मिला।
‘नेपथ्य के नायक खंड-2’ पुस्तक की चर्चा करते संपादक अरुण नारायण ने कहा कि यह साजिशन नेपथ्य में रखे गये नायकों को सामने रखने का उपक्रम है और यह लगातार जारी रहेगा। रामनरेश यादव ने ‘सामाजिक न्याय का घोषणापत्र’ नामक पुस्तिका के प्रकाशन के उद्देश्यों पर बात करते हुए कहा कि पुस्तिका ओबीसी के सामाजिक न्याय की लड़ाई को धार देने में मददगार साबित होगी। ओबीसी की एकजुटता जरूरी है। हमारी एकजुटता ही बिहार में बढ़े हुए पिछड़े वर्गों का आरक्षण की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। सेवा के राष्ट्रीय महासचिव राकेश यादव ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए सेवा संगठन की उपादेयता पर बात की। अनुज कुशवाहा ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रवीण यादव ने किया। इस मौके पर रविकांत निराला, विद्यार्थी विकास, अधिवक्ता के.पी. यादव, डॉ. बिनोद पाल, संतलाल कुशवाहा, अब्दुल मनान, नीता यादव, धर्मवीर चौधरी, अनुराग यादव, अशोक यादव, राजनारायण आदि ने भी सभा को संबोधित किया।
(संपादन : राजन/नवल/अनिल)
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