h n

‘Samajwad’ and ‘Bahujan’ – It’s time they really meant it!

-

क्लिक करें :

SP-BSP alliance vs Kamandal politics II

उपरोक्त सामग्री अभी सिर्फ हिंदी में उपलब्ध है। अगर आप इसका अंग्रेजी अनुवाद करना चाहते हैं तो कृपया संपर्क करें। गुणवत्तापूर्ण अनुवादों को हम आपके नाम के साथ प्रकाशित करेंगे।  Email : editor@forwardpress.in


[फारवर्ड  प्रेस भारत के  सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से दबाए गए तबकों – यथा, अन्य पिछडा वर्ग, अनुसूचित जनजातियों, विमुक्त घुमंतू जनजातियों, धर्मांतरित अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दों को आवाज देने लिए प्रतिबद्ध है। यह एक द्विभाषी (अंग्रेजी-हिंदी) वेबसाइट है। हम हर सामग्री  हिंदी व अंग्रेजी में प्रकाशित करते हैं, ताकि इन्हें यथासंभव देश-व्यापी पाठक वर्ग मिल सके। लेखक व स्वतंत्र पत्रकार अपने लेख दोनों में से किसी एक भाषा में भेज सकते हैं।

फारवर्ड प्रेस के इस अभियान का सुचारू रूप से संचालन के लिए ऐच्छिक योगदान करने के इच्छुक अनुभवी अनुवादकों का  स्वागत है]

मुखपृष्ठ पर जाने के लिए यहां क्लिक करें :

 

लेखक के बारे में

बदरे आलम और संजय कुमार

संबंधित आलेख

यूपी में हार पर दलित-बहुजन बुद्धिजीवियों ने पूछे अखिलेश और मायावती से सवाल
पौने पांच साल की ‘लंबी छुट्टी’ के बाद सिर्फ ‘तीन महीने की सीमित सक्रियता’ से भला पांच साल के लिए कोई नयी सरकार कैसे...
बहस-तलब : दलितों के उपर अंतहीन अत्याचार और हम सवर्ण
जातिगत भेदभाव भारतीय समाज को आज भी खोखला कर रहा है। इसकी बानगी राजस्थान के सुरेन्द्र गागर नामक एक दलित युवक की आपबीती के...
बहस-तलब : उड़ीसा के इन गांववालों पर क्यों जुल्म ढा रही सरकार?
जब गांववालों ने गांव में ही रहकर इसका सामना करने का निर्णय लिया तो पुलिस और कंपनी के लोगों ने मिलकर गांव के बाहर...
पानी की बुंद-बुंद को तरसते बुंदेलखंड में आरक्षित सीटों का हाल
अपनी खास सांस्कृतिक, सामाजिक, भौगोलिक विशेषताओं के लिए जाना जानेवाला बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में विस्तारित है। इस इलाके में बड़ी समस्या...
चुनावी मौसम में किसका पक्ष रख रहे हैं यूपी के हिंदी अखबार?
बीते 5 फरवरी को दैनिक हिन्दुस्तान के प्रयागराज संस्करण के पृष्ठ संख्या 9 पर एक आलेख नजर आया– ‘आगरा मंडल : असल मुद्दे जाति...