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पटना में आयोजित परिचर्चा में सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के खिलाफ उठी आवाज

दीपंकर भट्टाचार्य ने लद्दाख के आंदोलन से जुड़े सोनम वांगचुक का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें छठी अनुसूची और अलग राज्य की मांग करने के कारण एनएसए के तहत जेल भेज दिया गया है। ऐसे ही उत्तराखंड में पेपर लीक के खिलाफ नारा देने वाले छात्रों पर कार्रवाई हुई और बिहार में संविदा कर्मियों तथा बर्खास्त कर्मचारियों की स्थायी नौकरी की मांग को दबाने के लिए भाजपा कार्यालय के सामने बेरहमी से लाठीचार्ज किया गया। पढ़ें, यह खबर

गत 28 सितंबर, 2025 को शहीद भगत सिंह की जयंती के मौके पर बिहार की राजधानी पटना के आईएमए सभागार में आयोजित परिचर्चा में लद्दाख के सामाजिक व पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी की निंदा की गई। ‘बिहार बदलाव के मुद्दे और दिशा’ को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आज देश में आवाज़ उठाने वालों को जेलों में ठूंसा जा रहा है। उन्होंने लद्दाख के आंदोलन से जुड़े सोनम वांगचुक का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें छठी अनुसूची और अलग राज्य की मांग करने के कारण एनएसए के तहत जेल भेज दिया गया है। ऐसे ही उत्तराखंड में पेपर लीक के खिलाफ नारा देने वाले छात्रों पर कार्रवाई हुई और बिहार में संविदा कर्मियों तथा बर्खास्त कर्मचारियों की स्थायी नौकरी की मांग को दबाने के लिए भाजपा कार्यालय के सामने बेरहमी से लाठीचार्ज किया गया।

इस परिचर्चा को सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार), ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम समाज और ऑल इंडिया पीपल्स फोरम (आईपीएफ) के संयुक्त बैनर तले आयोजित किया गया।

दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने संगठित होने का नारा दिया था, लेकिन आज संगठित होने की हर कोशिश को कुचलने की राजनीति चल रही है। यह फासीवाद है। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि राजनीतिक कैदी उमर खालिद अब तक जेल में हैं। उन्होंने बिहार में फैलाए जा रहे सांप्रदायिक माहौल की ओर इशारा करते हुए कहा कि भाजपा नेता बहुमत की राजनीति करने के लिए बांग्ला भाषा को बांग्लादेशी भाषा कह रहे हैं और पूरे मुस्लिम समुदाय को रोहिंग्या और बांग्लादेशी घोषित करने का अभियान चला रहे हैं। इसी के साथ उन्होंने आरोप लगाया कि हाल ही में पूर्वी चंपारण के ढाका विधानसभा क्षेत्र में 80 हज़ार मतदाताओं के नाम वोटर सूची से गायब करने की कोशिशें की गईं। यह मताधिकार पर सीधा हमला है और बिहार की जनता को इन वोटचोरों को गद्दी से उतार फेंकना होगा।

दलित मुद्दों पर बोलते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि इस सवाल को हमें केवल आरक्षण के दायरे में सीमित करके नहीं देखना चाहिए। इसमें भूमि सुधार के सवाल को भी जोड़ कर देखना होगा। उन्होंने बिहार में पुलिस नियुक्ति में 78 पदों की चोरी का जिक्र करते हुए कहा कि इसके खिलाफ आंदोलन करने वाले दलित युवाओं पर बर्बर लाठीचार्ज हुआ। जातिगणना के आधार पर 65 प्रतिशत आरक्षण की मांग के संदर्भ में यह और भी बड़ी चोरी साबित होती है।

भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में 94 लाख परिवार गरीबी की मार झेल रहे हैं, क्योंकि रोजगार का संकट गहरा है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार दावा करती है कि अडानी रोजगार देंगे, लेकिन सच्चाई यह है कि उन्हें 1050 एकड़ जमीन मात्र एक रुपये सालाना के पट्टे पर दे दी गई है और वहां दस लाख से अधिक पेड़ काटे जाने वाले हैं। जबकि यही सरकार गरीबों को बसने के लिए जमीन देने से इनकार करती रही है। उन्होंने कहा कि बिहार में कृषि आधारित उद्योग की अपार संभावनाएं हैं, जिन्हें स्थानीय रोजगार और किसानों के हित में विकसित करना चाहिए, न कि राज्य को कॉरपोरेट घरानों की लूट की प्रयोगशाला बनाया जाए।

परिचर्चा के दौरान मंचासीन दीपंकर भट्टाचार्य सहित अन्य वक्तागण

अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय वंचितों और शोषितों का हक़ है और उसमें किसी भी तरह की कटौती स्वीकार नहीं की जाएगी। भगत सिंह की कुर्बानी और आज़ादी आंदोलन की ऊर्जा के आधार पर डॉ. आंबेडकर ने हमें संविधान दिया।

इस मौके पर पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर अंसारी ने कहा कि हमलोगों को एकजुट रहना है और विचारधारा के लाइन पर सीधा खड़ा होना है। इस साल बिहार में होने वाले विधानसभा का चुनाव सिर्फ बिहार का चुनाव नहीं है। यह देश का चुनाव है। भारत के मुस्तकबिल का चुनाव है। देश के मुट्ठी भर लोगों के पास सर्वाधिक संपत्ति है। अमीरी और गरीबी के बीच खाई बढ़ गई है।

अली अनवर अंसारी ने चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि हमलोग ईवीएम के जरिए वोटों में हेराफेरी की ओर ध्यान दिला रहे थे और अब यह सामने आ रहा है कि उनलोगों ने वोट चोरी कर लिया। सारे संवैधानिक संस्थानों पर भाजपा का कब्जा हो गया है। उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए को पराजित कर देंगे तो देश में भाजपा कमजोर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि गैर-बराबरी का सवाल स्थाई सवाल है। डॉ. आंबेडकर ने कहा था कि देश आजाद भी होगा और गैर-बराबरी रहेगी तो आजादी का कोई मतलब नहीं होगा।

विधान पार्षद शशि यादव ने कहा कि बिहार बदलाव के मुहाने पर है। वर्तमान सरकार बहुत कम मानदेय पर स्कीम वर्कर्स से बंधुआ मजदूर की तरह काम करवा रही है। स्त्रियों की शिक्षा को बेहतर करना होगा। सामाजिक न्याय की लड़ाई में महिलाएं भी भागीदार हैं और महिलाओं का अधिकार सामाजिक न्याय का ही सवाल है। संविधान में डॉ. आंबेडकर के प्रयासों से जो वोट का अधिकार मिला था, उस बुनियादी अधिकार को आज भाजपा सरकार छीन रही है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि भगत सिंह की आज जयंती है। उन्होंने भी देश को दिशा दी थी और बिहार आज जब बदलाव की बात कर रहा है तो इसे भी दिशा की जरूरत है। विकास की बड़ी-बड़ी बातें हो रही है लेकिन आज भी पलायन है बिहार में। दलित व पिछड़े लोग गरीब हैं। युवा बेरोजगार हैं। आज कॉर्पोरेट को बिहार में जमीन कौड़ी की भाव में दिया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि संवैधानिक संस्थानों पर लगातार प्रहार कर के लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा है। बिहार में बदलाव के मुद्दे यहां के जनता के मुद्दे हैं। इनमें बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि शामिल हैं।

परिचर्चा को कांग्रेस के अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष शशि भूषण पंडित, पासमांदा मुस्लिम महाज के मुख्तार अंसारी, जावेद अनवर, योगेन्द्र पासवान, आइसा राज्य सह-सचिव कुमार दिव्यम ने भी संबोधित किया। इस परिचर्चा का संचालन आईपीएफ के संयोजक कमलेश शर्मा एवं सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के सचिव सुबोध यादव ने किया। जबकि धन्यवाद ज्ञापन मंजू शर्मा ने दिया।

(संपादन : नवल/अनिल)


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