एक सफल लेखक जो लिखता है, समाज उसे सच मानता है, लेकिन मिथकीय तौर पर यदि जीते-जागते मनुष्य को ही अमानवीय ऊर्जा और लोक-शत्रु का रूपक दे दिया जाय तथा हज़ारों भावी लेखक उसी रूपक...
जब तक हम जाति-आधारित उत्पादन व्यवस्था और जेंडर के सवाल को एक-दूसरे से जोड़ कर विश्लेषण नहीं करेंगे तब तक जाति, लिंग भाव और उत्पादन व्यवस्था में ब्राह्मणवाद कैसे घुसा है, समझ ही नहीं पाएंगे।...
सरकार ने जेल को बिरसा मुंडा संग्रहालय और मेमोरियल पार्क में तब्दील कर दिया है। अंदर दाखिल होने के लिए पचास रुपए का टिकट लगता है। टिकट लिया और विशाल द्वार से होते हुए अंदर...
सोहराय पर्व की परंपरा अत्यंत प्राचीन मानी जाती है। इसकी जड़ें मानव सभ्यता के उस युग से जुड़ी हैं जब मनुष्य ने खेती-बाड़ी और पशुपालन को जीवन का आधार बनाया था। इतिहासकारों के अनुसार, इसका...