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समाज और संस्कृति

दुनिया लेखकों से चलती है (भाग 2)
शैव और वैष्णव दर्शन की मान्यता में ज़मीन आसमान का अंतर है और दोनों दर्शन के अनुयायियों में खूब लंबे समय तक वैचारिक लड़ाई हुई है। इसीलिए तुलसीदास को दोनों में समन्वय करना पड़ता है।...
दुनिया लेखकों से चलती है (भाग 1)
‘बहुजन’ से अभिप्राय केवल संख्या के आधार पर बहुजन से नहीं है, बल्कि तथाकथित मुख्यधारा की धार्मिक और सामाजिक व्यवस्था के द्वारा हज़ारों साल से कुछ चंद लोगों द्वारा बहुसंख्यक आबादी को धर्म और संस्कृति...
दलित अध्ययन : सबाल्टर्न से आगे
दलित स्टडीज के पहले खंड (2016) ने इस नए अध्ययन क्षेत्र को स्थापित किया, दलित राजनीति और सोच को उनके ऐतिहासिक संदर्भों में प्रस्तुत किया और प्रतिनिधित्व, आरक्षण, नारीवाद और पहचान जैसे मुद्दों की पड़ताल...
गांधी के अछूतोद्धार की साजिश के बारे में बताती है मेरी फिल्म ‘कल्लू गांधी’ : कैलाश चंद
“इस फिल्म की कहानी महात्मा गांधी की एक इच्छा पर आधारित है। इसके दस्तावेजी प्रमाण हैं कि वर्ष 1927 में उन्होंने अपनी यह इच्छा व्यक्त की थी कि मेरा पुनर्जन्म हो तो एक भंगी के...
तालियों की गड़गड़ाहट से नहीं दरकती राजस्थानी लोक-कलाकारों की ‘जाति’ की दीवार
मांगणियार और लंगा राजस्थान के लोकसंगीत की विरासत को रेगिस्तान के बीच बसे अपने गांवों से बहुत दूर...
जानें, कश्यप समुदाय का गन्ना उत्पादन और श्रमण धर्म-दर्शन से संबंध
कुछ अति-पिछड़ी जातियां आज ‘प्रजापति कश्यप’ को अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाकर राजनीतिक ताकत बनने का प्रयत्न कर रही...
प्रोफेसर बी.पी. महेश चंद्र गुरु के पहले परिनिर्वाण दिवस पर उनका स्मारक लोकार्पित
प्रोफेसर गुरु तार्किकता से कभी समझौता नहीं करते थे। उनके इस गुण और न्याय के प्रति उनकी असाधारण...
बुद्ध को वैदिक धर्मानुयायी और हिंदू बताने वाले सर्वपल्ली राधाकृष्णन की बौद्धिक बदमाशी
अपने प्राक्कथन में राधाकृष्णन बुद्ध और बौद्ध धम्म को ब्राह्मण, हिंदू और वैदिक परंपरा को आगे बढ़ाने वाले...
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