h n

हम हरियाणा को मजबूत राजनीतिक विकल्प देंगे : राव इंदरजीत सिंह

पूरे राज्य में आज दलित और ओबीसी वर्ग की बहू-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। सरकार के जातिवादी रवैये के कारण प्रशासन में भी एक खास जाति का ही बोलबाला है। हम प्रशासन में इस जाति के वर्चस्व को तोडऩे के लिए प्रतिबद्ध हैं। राव इंदरजीत सिंह से विशेष बातचीत

यादव परिवार में जन्मे 63 वर्षीय राव इंदरजीत सिंह, गुडग़ांव, हरियाणा से कांग्रेस के बागी सांसद हैं। उन्होंने एक अलग राजनीतिक संगठन हरियाणा इंसाफ मंच की स्थापना की है और उसे मजबूत करने में जुटे हैं। उपरोक्त टिप्पणी फारवर्ड प्रेस के प्रमुख संवाददाता अमरेंद्र यादव से उनकी बातचीत पर आधारित है

हरियाणा इंसाफ मंच एक सामाजिक और राजनीतिक मंच है। हम समाज के सभी तबकों के साथ न्याय के पक्षधर हैं। हम लोगों ने इस मंच का गठन राज्य को एक मजबूत राजनीतिक विकल्प देने के लिए किया है। आज हरियाणा में कांग्रेस का निजीकरण हो चुका है और इस पार्टी को चंद लोगों द्वारा चलाया जा रहा है। हरियाणा की सरकार द्वारा विकास कार्यों में भेदभाव बरता जा रहा है। राज्य को सबसे अधिक राजस्व दक्षिण हरियाणा से प्राप्त होता है लेकिन यहां विकास नाम की चीज नहीं है। रोजगार के अवसरों का सृजन व आधारभूत ढांचागत विकास केवल रोहतक जिले में हो रहा है।

पूरे राज्य में आज दलित और ओबीसी वर्ग की बहू-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। सरकार के जातिवादी रवैये के कारण प्रशासन में भी एक खास जाति का ही बोलबाला है। हम प्रशासन में इस जाति के वर्चस्व को तोडऩे के लिए प्रतिबद्ध हैं। अगर हरियाणा सरकार पक्षपात के आरोपों को नकारना चाहती है तो पिछले सालों में प्रदेश सरकार में नौकरी पाने वालों के 10वीं के प्रमाणपत्रों को जनता के सामने प्रस्तुत करे। इससे साफ हो जाएगा कि किस तरह से कांग्रेस की हुड्डा सरकार ने एक विशेष जाति और विशेष क्षेत्र के लोगों को नौकरियां दी हैं।

हरियाणा का दक्षिणी इलाका ‘अहीरवाल’ राज्य के गठन के समय से ही उपेक्षा का शिकार रहा है। यहां न तो कोई उद्योग-धंधा स्थापित हुआ और ना ही यहां पर कृषि की हालत बहुत अच्छी है। इस क्षेत्र में सड़कों और गलियों की हालत भी अत्यंत दयनीय है। शिक्षा के मामले में भी यह क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ है। मैं आरक्षण के बारे में अपनी सोच स्पष्ट करना चाहूंगा। मेरा मानना है कि सामाजिक समानता के लिए आरक्षण की आवश्यकता है लेकिन यह आर्थिक आधार पर होना चाहिए। जाति आधारित आरक्षण समाज को विभाजित कर रहा है। जाति आधारित आरक्षण के रोग ने बिहार और यूपी को बरबाद कर दिया है। हम हरियाणा को बरबाद नहीं होने देंगे।

(फारवर्ड प्रेस के जून 2013 अंक में प्रकाशित)

लेखक के बारे में

अमरेन्द्र यादव

अमरेन्द्र यादव फारवर्ड प्रेस के प्रमुख संवाददाता हैं।

संबंधित आलेख

देश में युद्ध की परिस्थितियां रहीं, इसलिए जातिगत जनगणना के सवाल पर हम अलर्ट मोड में हैं, चुप नहीं बैठेंगे : मनोज झा
ट्रंप के कहे का प्रतिकार तो हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी की ओर से होना चाहिए। बिना देर किए प्रतिकार होना चाहिए। क्योंकि यह सरकारों...
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य शिक्षा का आर्यकरण करना है
आर्य-द्रविड़ संघर्ष आज भी जारी है। केंद्र सरकार की शैक्षणिक नीतियां इसका उदाहरण हैं। नई शिक्षा नीति इस संघर्ष का एक हथियार है और...
भारतीय संविधान, मनुस्मृति और लोकतंत्र
“दंगे को छोड़ कर अन्य सभी अवसरों पर प्रत्येक जाति अपने को दूसरी जातियों से अलग दिखाने और रहने का प्रयास करती है।” आंबेडकर...
रांची विश्वविद्यालय : नाम तो बदल गया, लेकिन शैक्षणिक वातावरण में भी बदलाव की जरूरत
श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम से बदलाव किये जाने के बाद से स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई बेहद महंगी हो गई है। कई तरह...
वर्ण और जाति के सापेक्ष दो महापंचों की संपत्ति
यह सिर्फ दो न्यायाधीशों/व्यक्तियों के बीच धन-दौलत, जमीन-जायदाद और सोना-चांदी की तुलना नहीं है। वस्तुत: ये दो सामाजिक वर्ग-समूहों की धन-संपत्ति के ऐतिहासिक संबंधों...