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दलित विरोधी सरकार?

पहले आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग कर रहे दलितों को पंजाब सरकार ने जेल में डालकर उनके आंदोलन को कुचलने की कोशिश की थी और अब आरक्षित कोटे की जमीन लेने के लिए दलितों को जेल जाना पड़ रहा है। क्या इससे यह साबित नहीं होता कि हरियाणा सरकार की तरह पंजाब सरकार भी जाट सिखों को ही अहमिहत देती है, दलितों को नहीं

पंजाब के समाज और राज्य सरकार में दलितों का अच्छा रुतबा है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी स्वयं को दलित हितैषी बताते नहीं थकते। लेकिन हाल ही में पंजाब के जिला संगरूर में दलितों के लिए रिजर्व रखी गई जमीन पर बेजा कब्जे के मुद्दे पर पंजाब सरकार के रुख ने उसकी असली मंशा को उजागर कर दिया है।

पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल

जिले के हरियाणा के समीपवर्ती चार गांवों-भावपुर, बलदकलां, मतोई और भामनीवाला-में ज्यादातर हरियाणा के जाट रहते हैं। वे पंजाब सरकार द्वारा दलित-किसानों के लिए बुआई के लिए रिजर्व रखी गई जमीन का अभी तक इस्तेमाल करते आ रहे थे। लेकिन इस वर्ष पंचायती जमीनों को लेने के लिए जब दलित-किसानों ने प्रयासकिया तो यह जाट समाज को नागवार गुजरा और बदले की भावना से उसने दलित समाज का बहिष्कार कर दिया। वाल्मीकि जाति के राजपाल के अनुसार, खाप पंचायत से जुड़े जाट समाज के लोगों ने ऐलान करवाया कि चूहड़े-चमारों को खेतों मे ना घुसने दें, ना उनसे बात करें। दलितों के लिए पीने के पानी की सह्रश्वलाई भी बंद करवा दी गई और श्रीरविदास मंदिर के पुजारी की पिटाई भी की गई। प्रतिक्रिया स्वरूप, जब दलित समाज के लोगों ने इस बहिष्कार को भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज के राष्ट्रीय संचालक चौधरी यशपाल की अगुवाई में आंदोलन में तब्दील कर दिया और दो आरोपियों पर मामला दर्ज किया तो पुलिस ने दिखाने के लिए एक आरोपी को तो पकड़ा लेकिन एक को दिनभर थाने में रखकर छोड़ दिया। जबकि दलितों को जाति सूचक गालियां देने और उनका बहिष्कार करने का मामला आरोपियों पर दर्ज नहीं किया गया। वहीं, बलदकलां में बसपा के कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने जमकर लाठियां बरसाईं और 41 प्रदर्शनकारियों पर मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया।

पहले आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग कर रहे दलितों को पंजाब सरकार ने जेल में डालकर उनके आंदोलन को कुचलने की कोशिश की थी और अब आरक्षित कोटे की जमीन लेने के लिए दलितों को जेल जाना पड़ रहा है। क्या इससे यह साबित नहीं होता कि हरियाणा सरकार की तरह पंजाब सरकार भी जाट सिखों को ही अहमिहत देती है, दलितों को नहीं?

(फारवर्ड प्रेस के अगस्त 2014 अंक में प्रकाशित)


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लेखक के बारे में

राजेश मंचल

राजेश मंचल फारवर्ड प्रेस के लुधियाना (पंजाब) संवाददाता हैं

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