ग्रेटर टोरंटो के आंबेडकरवादी व अन्य बहुजन संगठनों ने 4 जून, 2016 को आंबेडकर की 125वी जयंती मनाने के लिए एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया। यह ऐतिहासिक न सही परन्तु एक महत्वपूर्ण अवसर निश्चित ही था। कार्यक्रम को टोरंटो के यॉर्क विश्वविद्यालय व टोरंटो में भारत के कनस्युलेट जनरल के सहयोग से किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता यॉर्क विश्वविद्यालय के लिबरल आर्ट्स व प्रोफेशनल स्टडीज विभाग की डीन डाक्टर अनन्या मुख़र्जी-रीड थीं। उन्होंने कहा कि आंबेडकर भारत के लिए ही नहीं बल्कि कनाडा के लिए भी आज भी प्रासंगिक हैं। कनाडा के फर्स्ट नेशन आदिवासियों के साथ हुए अन्याय के परिष्कार की प्रक्रिया अभी शुरू ही हुई है। उन्होंने कहा कि वे व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास कर रहीं हैं कि यॉर्क विश्वविद्यालय में आंबेडकर छात्रवृत्ति की स्थापना हो, जिससे सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों पर शोध करने वाले ज़रूरतमंद विद्यार्थियों की मदद की जा सके।
अनेक दलितबहुजन नेताओं ने कनाडा में रह रहे अपने समुदाय के लोगों का आह्वान किया वे कि अपने उन लोगों को न भूलें जिन्हें वे अपने पीछे भारत छोड़ आये हैं। कुछ नेताओं ने प्रवासी दलितबहुजनों से कहा कि उन्हें उत्तरप्रदेश में 2017 में होने वाले चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास करने चाहिए। कुछ ने खुलकर बसपा का समर्थन किया।
दलित फ्रीडम नेटवर्क, कनाडा के डॉ. डेविड लुंडी ने भारत में दलितबहुजन बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से गुणात्मक शिक्षा दिलवाने में मदद करने की बात कही।
फारवर्ड प्रेस के आयवन कोस्का ने आंबेडकर के नायक मूसा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें फुले की कुतुबना और आंबेडकर के नक़्शे का उपयोग कर सबके लिए समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के “प्रॉमिस्ड लैंड” तक पहुँचने की राह खोजना चाहिए।
धन्यवाद ज्ञापन और समापन टिपण्णी आंबेडकर इंटरनेशनल मिशन (एआयएम), कनाडा के अध्यक्ष और कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ बहुजन (आंबेडकराईट, बुद्धिस्ट, रविदास्सी, वाल्मीकि, बेकवर्ड्स एंड माइनॉरिटीज) ऑर्गनाइजेशनस), ग्रेटर टोरंटो एरिया के संयोजक प्रो. अरुण गौतम ने की। एआयएम ने 2 दिसम्बर, 2015 को यॉर्क विश्वविद्यालय को डॉ. आंबेडकर की मूर्ति दान कर उसकी स्थापना वहां की थी।