h n

आपके और उनके देश का नरक

पार्रीकर को स्वीकार करना होगा कि जब गुजरात के दलितों को सिर्फ इसलिए पीटा गया था क्योंकि वे एक मरी गाय की खाल निकाल रहे थे, न सिर्फ उन्हें पीटा गया वरन उन्हें एक कार से बांधकर घसीटा भी गया, जब उनके साथ ऐसा क्रूर व्यवहार हो रहा था उस समय उन्हें यह महसूस हो रहा होगा कि वे नरक में हैं

Pakistani-School-Attackहमारे रक्षा मंत्री कहते हैं कि पाकिस्तान जाना नरक के समान है। पहली बात तो यह कि क्या जनाब रक्षा मंत्री को नरक की हकीकत मालूम है? क्या वे किसी नरक की यात्रा पर गए हैं? क्योंकि स्वर्ग-नरक की हकीकत तो कल्पनीय है। प्रसिद्ध शायर गालिब के अनुसार ‘‘हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन, दिल को बहलाने को ‘गालिब’ ये ख्याल अच्छा है।’’ सच पूछा जाए तो कुछ ऐसी परिस्थितियां होती हैं, जिनके चलते हम महसूस करते हैं कि हम स्वर्ग में हैं या नरक में। इस तरह की परिस्थितियां अकेले पाकिस्तान में ही नहीं हमारे देश समेत दुनिया के सभी देशों में पाई जा सकती हैं।

वर्ष 2013 में मुझे पाकिस्तान जाने का अवसर मिला। अमरीका की एक संस्था है, जो एशिया में सद्भाव और धर्मनिरपेक्ष के मूल्यों के लिए काम करती है। इस संस्था की ओर से मुझे एक सम्मान मिला था। सम्मान प्रदान करने के लिए पाकिस्तान के कराची शहर को चुना गया था। मेरे अलावा पाकिस्तान की एक महिला शीमा किरमानी को भी सम्मान मिलना था। शीमा पाकिस्तान की बच्चियों को शास्त्रीय नृत्यों का प्रशिक्षण देती हैं। पाकिस्तान के तानाशाह ज़िया-उल-हक ने उन्हें आदेश दिया था कि वे पाकिस्तान की बच्चियों को भारतीय नृत्य न सिखाएं। पर उन्होंने ज़िया-उल-हक के आदेश को नहीं माना। उन्होंने ज़िया-उल-हक से कहा कि आप मुजरा सुनना बंद कर दें तो वे नृत्य का प्रशिक्षण देना बंद कर देंगी। क्या इस तरह का दृढ़ निश्चय नरक में रहते हुए संभव है?

हमें दिए गए सम्मान समारोह के कार्यक्रम में बहुत लोग आए थे। इनमें साहित्यकार, शायर, वकील, शिक्षक और पत्रकार शामिल हुए थे। इस समारोह के चलते तो ऐसा नहीं कहा जा सकता कि पाकिस्तान नरक है। मैं 15 दिनों तक पाकिस्तान में रहा। परंतु इस बीच किसने हमें होटलों में ठहराया, किसने हमें टैक्सी उपलब्ध कराई, किसने हमारी मेहमान नवाजी की, पता नहीं लगा। लाहौर के अनारकली बाज़ार में हमने अपनी बहू, पोतियों के लिए कुछ खरीददारी की। दुकानदार को जब यह पता लगा कि हम हिन्दुस्तानी हैं, तो उसने खरीदे गए कपड़ों की आधी कीमतें लीं। क्या इस तरह की मेहमाननवाजी नरक में प्राप्त हो सकती है? पाकिस्तान के प्रवास के दौरान हमें लाहौर में आयोजित एक लिटररी फेस्टीवल में शामिल होने का मौका मिला। फेस्टीवल के दौरान भारतीय शास्त्रीय नृत्यों का प्रदर्शन होता था। वहां हमने सआदत हसन मन्टो पर एक नाटक देखा। जिस पर्चे में नाटक परिचय दिया गया था, उसमें पाकिस्तान की सरकार के सांस्कृतिक रवैये पर व्यंगात्मक टिप्पणी की गई। प्रतिदिन कार्यक्रम के अंत में एक बैंडबाजे का कार्यक्रम होता था। बैंड के कार्यक्रम के समाप्त होने पर नारा लगाया जाता था ‘‘दहशतगर्दी मुर्दाबाद’’। नारे लगाने वाले युवक श्रोताओं से अपील करते थे कि वे इतने ज़ोर से नारे लगाएं, जिससे उनकी आवाज़ सारे देश में सुनाई पड़े। क्या ऐसी बात नरक में कही जा सकती है?

पाकिस्तान के युवकों से हमारी लंबी बातें हुईं। सबका कहना था कि हमने हिन्दुओं को भगाकर गलती की। यदि हिन्दू यहां रहते और हमारा देश धर्मनिरपेक्ष होता तो हम भी उतनी प्रगति करते जितनी भारत ने की है। क्या इस तरह की बात नरक में रहने वाले करते?

पाकिस्तान में एक कानून है जिसके अनुसार, जो खुदा की आलोचना करे, ईश निंदा करे उसे फांसी की सज़ा दी जा सकती है। यह आरोप है कि इस कानून का उपयोग व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए किया जाता है। इस कानून के आधार पर एक ईसाई महिला को जेल में डाल दिया गया था। इस महिला के पक्ष में पाकिस्तान के पंजाब सूबे के गर्वनर सलमान तासीर खड़े हुए। वे उस ईसाई महिला से मिलने जेल भी गए। तासीर साहब की यह ‘‘हरकत’’ वहां के कट्टरपंथियों को पसंद नहीं आई। कुछ दिनों बाद उन्हीं के एक सुरक्षाकर्मी ने उनकी हत्या कर दी। सलमान तासीर ने जो हिम्मत दिखाई, अपने उसूलों के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई, शायद उन्हें इस महान कार्य के लिए उन्हें स्वर्ग में स्थान मिला होगा। जिस मुल्क में तासीर जैसे साहसी व्यक्ति रहते हों उस मुल्क को नरक कहना बेईमानी है।

फिर यदि रक्षा मंत्री पाकिस्तान को नरक मानते हैं तो उन्हें अपने सहयोगी राम माधव को अखंड भारत की कल्पना करने से रोकना था। राम माधव नरक (पाकिस्तान) को अखंड भारत का अंग बनाना चाहते हैं। फिर उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की इस बात के लिए निंदा करनी थी कि उन्होंने नरक के प्रधानमंत्री को उनके शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए क्यों बुलाया, उन्हें मोदी को रोकना था कि वे बिना पूर्व कार्यक्रम के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से मिलने गए और उनकी मां से मिले।

Unaपार्रीकर जी दुनिया का कोई देश पूरी तरह से न तो नरक होता है और ना ही स्वर्ग। पाकिस्तान में भी अनेक ऐसी घटनाएं हुई हैं, जो शायद नरक में भी नहीं होतीं, जैसे पेशावर के एक स्कूल में सैंकड़ों बच्चों को मारा जाना, जैसे लाल मस्जिद में घुसकर नमाज़ अदा करने वालों की हत्या करना, जैसे बेनज़ीर भुट्टो की हत्या करना आदि। शायद पार्रीकर की मान्यता होगी कि भारत स्वर्ग है। परंतु पर्रीकर को स्वीकार करना होगा कि जब गुजरात के दलितों को सिर्फ इसलिए पीटा गया था क्योंकि वे एक मरी गाय की खाल निकाल रहे थे, न सिर्फ उन्हें पीटा गया वरन उन्हें एक कार से बांधकर घसीटा भी गया, जब उनके साथ ऐसा क्रूर व्यवहार हो रहा था उस समय उन्हें यह महसूस हो रहा होगा कि वे नरक में हैं।

जब 1984 में सिक्खों का कत्लेआम किया गया था तब उन्हें भी यह लगा होगा कि क्या भारत नरक हो गया है। इसी तरह जब गुजरात में 2002 में मुसलमानों का कत्लेआम किया गया था तब क्या उन्हें यह नहीं लगा होगा कि वे दोज़ख में रह रहे हैं? उन बच्चियों, महिलाओं को उस समय कैसा लगता होगा जब उनके साथ बलात्कार किया जाता है, उन बच्चों और बच्चियों को कैसा लगता होगा जब उनका अपहरण कर उन्हें वैश्यावृत्ति के गर्त में फेंक दिया जाता है।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि किसी भी देश के बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि वह नरक  है। प्रत्येक देश में नरक व स्वर्ग दोनों ही होते हैं। अंतर इतना होता है कि नरक जैसी परिस्थितियों के विरूद्ध कितनी आवाजें उठती हैं, उन परिस्थितियों को समाप्त करने के लिए कितने प्रयास होते हैं। पूरे पाकिस्तान को नरक कहकर पार्रीकर ने वहां के उन लोगों को अपमानित किया है जो पाकिस्तान में नरक जैसी परिस्थितियों को समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे ही लोगों में महान सूफी गायक अमजद साबरी थे जिनकी निर्मम हत्या कर दी गई थी। साबरी पाकिस्तान में सूफी संतों का संदेश अपने अद्भुत गायन कला के द्वारा फैलाते थे। ऐसे व्यक्ति की हत्या करना एक नारकीय कृत्य ही है।

आखिर हम कब तक एक दूसरे से लड़ते रहेंगे? शासकों का रवैया और मजबूरी कुछ भी हो, दोनों देशों के आम लोगों को शांति और सद्भाव के प्रयास मिलजुल कर करना होगा। इस संदर्भ में कर्नाटक की अभिनेत्री एवं कांग्रेस नेत्री राम्या का मैं अभिनंदन करता हूं, जिन्होंने हिम्मत करके यह कहा कि ‘‘पाकिस्तान नरक नहीं है। वहां के लोग भी हमारे जैसे हैं। अभी हाल में मैं पाकिस्तान गई थी। मुझे कहीं ऐसा महसूस नहीं हुआ कि पाकिस्तान नरक है’’। उनके इस कथन को लेकर उनके विरूद्ध देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। मैं उनकी निंदा करता हूं जिन्होंने उनके विरूद्ध इस तरह का आरोप लगाया है। हमारे संविधान के अनुसार हमें दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण रवैया रखना चाहिए। जब तक किसी राष्ट्र से हमारे कूटनीतिक संबंध रहते हैं हम उस राष्ट्र को अपना दुश्मन राष्ट्र नहीं कह सकते। इस तरह जिन लोगों ने भी राम्या पर आरोप लगाया है दरअसल वे ही संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं और संविधान का उल्लंघन एक गंभीर अपराध है।

लेखक के बारे में

एल.एस. हरदेनिया

लेखक वरिष्ठ पत्रकार व धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हैं।

संबंधित आलेख

‘कितने अर्थशास्त्री किसी कारखाने के अंदर गए हैं?’
प्रोफेसर ज्यां द्रेज़ का कहना है कि शैक्षणिक समुदाय का भारत की राजनीति में कोई ख़ास प्रभाव नहीं है। और यह भी कि अमरीकी...
अकादमिक शोध में आचार्यों का खेल– सब पास, आदिवासी फेल
विभिन्न विश्वविद्यालयों में पिछले दो दशकों में प्राध्यापक बने आदिवासियों का अनुभव भी कम भयानक नहीं है। वे बताते हैं कि कैसे आदिवासी विषय...
झारखंड : केवाईसी की मकड़जाल में गरीब आदिवासी
हाल ही में प्राख्यात अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज के नेतृत्व में एक टीम ने झारखंड के आदिवासी इलाकों में सर्वे किया और पाया कि सरकार...
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : आंबेडकरवादी पार्टियों में बिखराव के कारण असमंजस में दलित मतदाता
राज्य में दलित मतदाता और बुद्धिजीवी वर्ग आंबेडकवादी नेताओं की राजनीति और भूमिकाओं से तंग आ चुके हैं। आंबेडकरवादी राजनेता बहुजन समाज के हितों...
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : दलित राजनीति में बिखराव
भाजपा, अजीत पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ मिलकर उन जातियों को लुभाने की कोशिश कर रही है, जो पारंपरिक...