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बडे पैमाने पर मनाएं महिषासुर दिवस : शिबू सोरेन

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन से प्रमोद रंजन व नवल किशोर कुमार की बातचीत

”मुझे असुर होने पर गर्व है”  

नवल किशोर कुमार (बाएं), शिबू सोरेन के साथ
नवल किशोर कुमार (बाएं), शिबू सोरेन के साथ

‘हम आदिवासी भारत के मूल निवासी हैं। बाहर से आए सभी ने हमारा हक छीना है। हमें अपने अधिकार से वंचित रखने के लिए तरह-तरह के पाखंड किए गए। हमें जंगली तो कहा ही गया, हमें तो इंसान भी नहीं माना गया, खासकर हिंदू धर्म ग्रंथों में तो हमारे लिए असुर शब्द का इस्तेमाल किया गया, लेकिन मुझे गर्व है कि मैं असुर हूं और मुझे अपनी धरती से प्यार है।’

फोन पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री 68 वर्षीय शिबू सोरेन की आवाज बहुत स्पष्ट सुनाई नहीं देती। उम्र अधिक होने और अस्वस्थ होने की वजह से वे बहुत अधिक बात नहीं कर पाते, लेकिन जब फारवर्ड प्रेस के उपसंपादक नवल किशोर कुमार ने उनसे फोन पर बात की तो उन्होंने अत्यंत ही सहज तरीके से रावण को अपना कुलगुरु बताया।

दिशोम गुरु (यानी देश का गुरु) का दर्जा पा चुके शिबू सोरेन बताते हैं कि जब बचपन में वे रावणवध और महिषासुर मर्दिनी दुर्गा के बारे में सु्नते थे, तब अजीब सा लगता था। अजीब लगने की वजह यह थी कि महिषासुर और उसकी वेशभूषा बिल्कुल हम लोगों के जैसी थी। वह हमारी तरह ही जंगलों में रहता था, गाएं चराता था, शिकार करता था। फिऱ एक सवाल, जो मुझे परेशान करता था, वह यह कि आखिर देवताओं को हम असुरों के साथ युद्ध क्यों लडऩा पड़ा होगा। फिर जब और बड़ा हुआ तो सारी बात समझ में आई कि यह सब अभिजात्य वर्ग की साजिश थी, हमारे जल, जंगल और जमीन पर अधिकार करने के लिए।

श्री सोरेन कहते हैं कि जब उन्हें वर्ष 2005 में झारखंड का मुख्यमंत्री बनने का मौका पहली बार मिला, तब उन्होंने झारखंड में रहनेवाले असुर जाति के लोगों के कल्याण के लिए एक विशेष सर्वे कराने की योजना बनाई थी। इसका उद्देश्य यह था कि विलुप्त हो रही इस जाति को बचाया जा सके और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। इनका यह भी कहना है वर्ष 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने पर भी मैंने इस दिशा में एक ठोस नीति बनाने की पहल की, लेकिन ऐसा न हो सका। बहरहाल, श्री सोरेन चाहते हैं कि आज की युवा पीढ़ी अभिजात्यों द्वारा फ़ैलाए गए अंधविश्वास की सच्चाई को समझे और नए समाज के निर्माण में अपना योगदान दे।


(उपरोक्‍त ब्‍योरा  पत्रकार  नवल किशोर कुमार द्वारा सितंबर , 2011 में  शिबू सोरेन से  फोन पर की गयी बातचीत पर आधारित है, जिसे फारवर्ड प्रेस के अक्‍टूबर, 2011 अंक  में प्रकाशित  ‘देखो मुझे, महाप्रतापी महिषासुर की वंशज हूं मैं’  शीर्षक कवर स्‍टोरी से उद्धृत किया गया है। जबकि इसके मध्‍य में प्रदर्शित विडियो  में  बातचीत 4 नवंबर, 2015 को  शिबू सोरेने के रांची स्थिति सरकारी आवास  की गयी है। विडियो में  फारवर्ड प्रेस के सलाहकार संपादक प्रमोद रंजन ने दिशोम गुरू  से महिषासुर दिवस के संदर्भ में युवाओं के नाम उनका संदेश  जानना चाहा था। यह विडियो पहली बार प्रकाशित हो रहा है) 

महिषासुर से संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए  ‘महिषासुर: एक जननायक’ शीर्षक किताब देखें।  ‘द मार्जिनलाइज्ड प्रकाशन, वर्धा/ दिल्‍ली।  मोबाइल  : 9968527911,

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‘महिषासुर: एक जननायक’ का अंग्रेजी संस्करण भी ‘Mahishasur: A people’s Hero’ शीर्षक से प्रकाशित है।

लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

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