”मुझे असुर होने पर गर्व है”
‘हम आदिवासी भारत के मूल निवासी हैं। बाहर से आए सभी ने हमारा हक छीना है। हमें अपने अधिकार से वंचित रखने के लिए तरह-तरह के पाखंड किए गए। हमें जंगली तो कहा ही गया, हमें तो इंसान भी नहीं माना गया, खासकर हिंदू धर्म ग्रंथों में तो हमारे लिए असुर शब्द का इस्तेमाल किया गया, लेकिन मुझे गर्व है कि मैं असुर हूं और मुझे अपनी धरती से प्यार है।’
फोन पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री 68 वर्षीय शिबू सोरेन की आवाज बहुत स्पष्ट सुनाई नहीं देती। उम्र अधिक होने और अस्वस्थ होने की वजह से वे बहुत अधिक बात नहीं कर पाते, लेकिन जब फारवर्ड प्रेस के उपसंपादक नवल किशोर कुमार ने उनसे फोन पर बात की तो उन्होंने अत्यंत ही सहज तरीके से रावण को अपना कुलगुरु बताया।
दिशोम गुरु (यानी देश का गुरु) का दर्जा पा चुके शिबू सोरेन बताते हैं कि जब बचपन में वे रावणवध और महिषासुर मर्दिनी दुर्गा के बारे में सु्नते थे, तब अजीब सा लगता था। अजीब लगने की वजह यह थी कि महिषासुर और उसकी वेशभूषा बिल्कुल हम लोगों के जैसी थी। वह हमारी तरह ही जंगलों में रहता था, गाएं चराता था, शिकार करता था। फिऱ एक सवाल, जो मुझे परेशान करता था, वह यह कि आखिर देवताओं को हम असुरों के साथ युद्ध क्यों लडऩा पड़ा होगा। फिर जब और बड़ा हुआ तो सारी बात समझ में आई कि यह सब अभिजात्य वर्ग की साजिश थी, हमारे जल, जंगल और जमीन पर अधिकार करने के लिए।
श्री सोरेन कहते हैं कि जब उन्हें वर्ष 2005 में झारखंड का मुख्यमंत्री बनने का मौका पहली बार मिला, तब उन्होंने झारखंड में रहनेवाले असुर जाति के लोगों के कल्याण के लिए एक विशेष सर्वे कराने की योजना बनाई थी। इसका उद्देश्य यह था कि विलुप्त हो रही इस जाति को बचाया जा सके और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। इनका यह भी कहना है वर्ष 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने पर भी मैंने इस दिशा में एक ठोस नीति बनाने की पहल की, लेकिन ऐसा न हो सका। बहरहाल, श्री सोरेन चाहते हैं कि आज की युवा पीढ़ी अभिजात्यों द्वारा फ़ैलाए गए अंधविश्वास की सच्चाई को समझे और नए समाज के निर्माण में अपना योगदान दे।
(उपरोक्त ब्योरा पत्रकार नवल किशोर कुमार द्वारा सितंबर , 2011 में शिबू सोरेन से फोन पर की गयी बातचीत पर आधारित है, जिसे फारवर्ड प्रेस के अक्टूबर, 2011 अंक में प्रकाशित ‘देखो मुझे, महाप्रतापी महिषासुर की वंशज हूं मैं’ शीर्षक कवर स्टोरी से उद्धृत किया गया है। जबकि इसके मध्य में प्रदर्शित विडियो में बातचीत 4 नवंबर, 2015 को शिबू सोरेने के रांची स्थिति सरकारी आवास की गयी है। विडियो में फारवर्ड प्रेस के सलाहकार संपादक प्रमोद रंजन ने दिशोम गुरू से महिषासुर दिवस के संदर्भ में युवाओं के नाम उनका संदेश जानना चाहा था। यह विडियो पहली बार प्रकाशित हो रहा है)
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‘महिषासुर: एक जननायक’ का अंग्रेजी संस्करण भी ‘Mahishasur: A people’s Hero’ शीर्षक से प्रकाशित है।
We tribe inheri names from Grand fathers, mothers, dead uncles etc. Mahisasur is synonymous of Maisa+ Asur = Maisasur= Mahisasur. Till today name of Maisa still prevailing and it is named to many new born in the principle of inheritance. As per view of Sibu Soren Tribes are actually successor genes of Maisa. Rights of Tribes were snatched by killing Tribal ,Castes Hero’s in remote paste.
Very good
बिल्कुल सही है पर कुछ दोगले जो पदाधिकारी बन कर अपने लोग को ही ठगने का काम कर रहा है उनको भी समाज और जूता से मारने की आवश्यक्ता है चुकी वो लोग और अपने लोग को डूबाने में लगे है।
इस में यह कहा लिखा है हर आदिवाशी दलित असुर हे अगर कोई इंसान आपका गलत करता है तो क्या आप उसे सजा नहीं देते हो क्या माहिषासुर अगर गलत होगा तो सजा मिलेगी आप मुझे यह बताए की हिन्दू धर्म में लिखा है कि सब असुर हे Srawat9260@gmail.com par plz.. Mujhe jankari be ek Agyani Balak Suresh Rawat Aadiwashi
Der se hi sahi , Dosto sachchaai to saamne aakar rahegi,,,
Aadiwasi is dhara ki asli santaan hai ,, jinhe Ashur ka naam de ke Brahman varg ne unki jal ,jameen , aakaash chhin liya aur sadiyo tak Bhagwan ke naam ka dar dikha kar shasan karte rahe…..
par ab nahi,,, apni asliyat pahchaano doato paakhand aur Aadambar se sur raho…