h n

थेरी : मुक्ति मार्ग पर स्त्री

कड़े नियमों के बावजूद बड़े पैमाने पर स्त्रियाँ बौद्ध संघों में आईं। बौद्ध भिक्षुणी थेरी कहलाती थीं। संघ में आकर उन्होंने खुद को कई सामाजिक प्रतिबंधों से मुक्त पाया।

बुद्ध ने बड़ी मुश्किल से संघों में स्त्रियों के प्रवेश की अनुमति दी। संघ में आने वाली स्त्रियों के लिए कड़े नियम लागू किये गए। इन नियमों में एक नियम था कि किसी भी आयु की बौद्ध भिक्षुणी के लिए युवा बौद्ध भिक्षु को सम्मान देना होगा और उसके आने पर खडा होना होगा। कड़े नियमों के बावजूद बड़े पैमाने पर स्त्रियाँ बौद्ध संघों में आईं। बौद्ध भिक्षुणी थेरी कहलाती थीं। संघ में आकर उन्होंने खुद को कई सामाजिक प्रतिबंधों से मुक्त पाया। उन्होंने कविताओं में इस मुक्ति के गीत लिखे, जिनके संग्रह को थेरी गाथा कहा जाता है। थेरी गाथा बहुजन साहित्य की अपूर्व थाती हैं।

भिक्षुणियां भिन्न-भिन्न जाति-कुलों की थीं। उदाहरणत: पूर्णिका दासी पुत्री थी। शुभा, सुनार की पुत्री और चापा एक बहेलिए की लड़की थी। अड्ढ-काशी, अभय-माता, विमला और अम्बपाली जैसी गणिकाएँ भी थीं। गृहपति और वैश्य (सेठ) वर्ग की महिलाओं में पर्णा, चित्रा और अनोपमा थी। मैत्रिका, अमतरा, उत्तमा, चन्दा, गुप्ता, दन्तिका और सोमा ब्राह्मण-वंश की थीं। खेमा, सुमना, शैला और सुमेध; कोसल, मगध और आलवी राजवंशों की महिलायें थीं। महाप्रजापती गौतमी, तिष्या, अभिरूपा नन्दा, आदि सामन्तों की लड़कियां थीं।

सभी पेंटिंग्स डॉ. लाल रत्नाकर की

 

 

(फारवर्ड प्रेस के मई 2016 अंक में प्रकाशित)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +919968527911, ईमेल : info@forwardmagazine.in

लेखक के बारे में

एफपी डेस्‍क

संबंधित आलेख

सवर्ण व्यामोह में फंसा वाम इतिहास बोध
जाति के प्रश्न को नहीं स्वीकारने के कारण उत्पीड़ितों की पहचान और उनके संघर्षों की उपेक्षा होती है, इतिहास को देखने से लेकर वर्तमान...
त्यौहारों को लेकर असमंजस में क्यों रहते हैं नवबौद्ध?
नवबौद्धों में असमंजस की एक वजह यह भी है कि बौद्ध धर्मावलंबी होने के बावजूद वे जातियों और उपजातियों में बंटे हैं। एक वजह...
संवाद : इस्लाम, आदिवासियत व हिंदुत्व
आदिवासी इलाकों में भी, जो लोग अपनी ज़मीन और संसाधनों की रक्षा के लिए लड़ते हैं, उन्हें आतंकवाद विरोधी क़ानूनों के तहत गिरफ्तार किया...
ब्राह्मण-ग्रंथों का अंत्यपरीक्षण (संदर्भ : श्रमणत्व और संन्यास, अंतिम भाग)
तिकड़ी में शामिल करने के बावजूद शिव को देवलोक में नहीं बसाया गया। वैसे भी जब एक शूद्र गांव के भीतर नहीं बस सकता...
ब्राह्मणवादी वर्चस्ववाद के खिलाफ था तमिलनाडु में हिंदी विरोध
जस्टिस पार्टी और फिर पेरियार ने, वहां ब्राह्मणवाद की पूरी तरह घेरेबंदी कर दी थी। वस्तुत: राजभाषा और राष्ट्रवाद जैसे नारे तो महज ब्राह्मणवाद...