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मध्यप्रदेश में ओबीसी राजनीति : अल्पेश देंगे शिवराज को चुनौती

अल्पेश ठाकोर गुजरात में नरेंद्र मोदी को कड़ी चुनौती देने के बाद अब मध्यप्रदेश में ओबीसी समाज के ही शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं। उनके मुताबिक कांग्रेस इस बार अपने घोषणा पत्र में दलितों और आदिवासियों के अलावा ओबीसी के मुद्दों को भी शामिल करेगी। नवल किशोर कुमार की रिपोर्ट :

गुजरात के कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकोर देश में खुद को ओबीसी राजनेता कहने का साहस करने वाले युवा नेता हैं। हाल ही में संपन्न हुए गुजरात चुनाव में भाजपा को हालांकि जीत मिली, लेकिन नाकों चने चबाने भी पड़े। इसकी मुख्य वजहों में अल्पेश ठाकोर एक हैं। अब उन्होंने ओबीसी राजनीति को नया आयाम देने के लिए मध्यप्रदेश में हुंकार भरा है। उन्होंने कहा है कि विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा को हराने के लिए गुजरात विधानसभा चुनाव की तर्ज पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों को एकजुट किया जाएगा।

अल्पेश ठाकोर : अोबीसी राजनीति का युवा चेहरा

ओबीसी के लिए आंदोलन से बनी पहचान

अल्पेश ठाकोर का जन्म 7 नवंबर 1975 को हुआ। वर्ष 2011 में उन्होंने अपना पहला सामाजिक आंदोलन चलाया। इस क्रम में उन्होंने क्षत्रिय ठाकुर सेना का गठन किया। इसके बैनर तले उन्होंने गुजरात में ठाकुर समुदाय के अधिकारों के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। साथ ही उन्होंने गुजरात में शराबबंदी के बावजूद शराब की उपलब्धता को लेकर कड़े कानून व उसके अनुपालन के लिए आंदोलन चलाया। उनके सामाजिक कार्यों को गुजरात में मान्यता मिली और वर्तमान में क्षत्रिय ठाकुर सेना के सदस्यों की संख्या 7 लाख से अधिक है। हार्दिक पटेल के पाटीदार आंदोलन के समानांतर अल्पेश ने एक नया आंदोलन शुरू किया। उन्होंने ओएसएस (ओबीसी, एससी और एसटी) एकता मंच बनाया  और आबादी के हिसाब से आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन चलाया। आंदोलन के क्रम में ही 2015 में मेहसाणा जिले में ओबीसी समुदाय की एक बैठक के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया।

मोदी को दी कड़ी चुनौती

गुजरात चुनाव के दौरान अल्पेश ठाकोर ओबीसी नेता के रूप में स्वीकार किये गये। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में रधनपुर विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की। यह अल्पेश का ही प्रभाव था कि कांग्रेस की स्थिति में सुधार आया और वह 77 सीटों पर जीत हासिल कर सकी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए अल्पेश ने कहते हैं कि जब मोदीजी वोट के लिए जनता से अपील करते हैं, तब अपने आप को ओबीसी समुदाय का बताते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद ओबीसी समुदाय को भूल जाते हैं। वे आरोप लगाते हैं कि ‘मोदी ने ओबीसी समुदाय के लोगों के लिए कुछ भी नहीं किया।  उनके मुताबिक अब ओबीसी समुदाय के युवा भी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएंगे, क्योंकि उनके ही नेताओं के कारण वे पिछड़े हुए हैं।

ओबीसी के नाम पर राजनीति करते रहे हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

अब मध्यप्रदेश में ओबीसी एकता

गुजरात के बाद अब अल्पेश मध्यप्रदेश में ओबीसी एकता का अभियान चला रहे हैं। इसके लिए वे सीधे-सीधे शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साध रहे हैं जो स्वयं भी ओबीसी वर्ग से आते हैं। अल्पेश के मुताबिक देश में सरकारी नौकरियों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है लेकिन इसके बावजूद वे अब भी पिछड़े हुए हैं और अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित हैं। मध्यप्रदेश में भी पिछड़ा समुदाय वंचित है। हम तीन महीनों के अंदर मध्यप्रदेश में ओबीसी, एससी, एसटी एवं अल्पसंख्यकों का एक बड़ा सम्मेलन करेंगे।  उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के 29 विधानसभा क्षेत्रों में स्थानीय ओबीसी युवाओं का संगठन तैयार हो चुका है और अगले छह माह में प्रदेश के बाकी बचे हुए 201 विधानसभा क्षेत्रों में भी ओबीसी युवाओं का संगठन बना लिया जाएगा। शिवराज सरकार पर हमला बोलते हुए वे कहते हैं कि यहां पर पिछड़ी जाति का कोई विकास नहीं हो रहा है। हम पिछड़ी जातियों के हक और अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे।

कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल होगा ओबीसी, एससी और एसटी के मुद्दे

अल्पेश ने बताया कि इस साल मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणा पत्र में ओबीसी, एससी एवं एसटी के विकास के बिंदु भी शामिल होंगे। पकौड़ा बेचने को नौकरियों का सृजन बताये जाने वाले मोदी के हाल ही के बयान पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि गरीब और गरीब हो जाये और इसीलिए उच्च शैक्षणिक संस्थाओं से डिग्री प्राप्त युवाओं को पकौड़े बेचने की नसीहत दे रहे हैं।


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लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

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