h n

डॉ.आंबेडकर और गांधी के बीच टकराहट और संवाद के मुद्दे

डॉ. आंबेडकर और गांधी की टकराहट जगजाहिर है। उनके बीच अनेक मुद्दों पर तीखे मतभेद थे, लेकिन समय-समय पर संवाद भी कायम हुआ। अंततोगत्वा डॉ. आंबेडकर की बात को संविधान में स्वीकृति मिली। लेकिन डॉ. आंबेडकर के अलावा अनेक बहुजन विचारक हैं, जिनके विचारों को जानना-समझना वंचित वर्गों की मुक्ति के लिए जरूरी है

वासंती देवी :  मैंने पाया कि जातिगत और सांप्रदायिक सोच से आप जितने दूर हैं, यह सचमुच अत्यंत आश्चर्यजनक है। मैंने आपको कहते सुना है कि हमें आज एक ऐसी विचारधारा की जरुरत है, जिसमें मार्क्स, आंबेडकर, गाँधी, पेरियार और नारायण गुरु के विचारों का सम्मिश्रण हो।

पी.एस.कृष्णन : मेरी विचारधारा बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर, नारायण गुरु, महात्मा गाँधी, मार्क्स इत्यादि के विचारों का सम्मिश्रण है। यह मेरे अध्ययन और मेरी बौद्धिक परिपक्वता की उपज है। मैंने पाया कि महात्मा गाँधी और बाबा साहब आंबेडकर के मतभेदों पर चर्चा करने पर व्यर्थ ही बौद्धिक ऊर्जा व्यय की जा रही है। निस्संदेह, दोनों के बीच मतभेद थे, विशेष कर ‘‘अछूत प्रथा” और उसके कुप्रभावों, इस कुत्सित परिघटना के उदय और उसके बने रहने के पीछे के कारकों और सुधारात्मक उपायों के सम्बन्ध में। इन मसलों पर गांधीजी की सोच, आंबेडकर की तुलना में संकीर्ण थी। राजनैतिक मुद्दों पर उनके मतभेद जगजाहिर हैं।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : डॉ.आंबेडकर और गांधी के बीच टकराहट और संवाद के मुद्दे

 

 

 

लेखक के बारे में

वासंती देवी

वासंती देवी वरिष्ठ शिक्षाविद और कार्यकर्ता हैं. वे तमिलनाडु राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष और मनोनमेनियम सुन्दरनार विश्वविद्यालय, तमिलनाडु की कुलपति रह चुकी हैं। वे महिला अधिकारों के लिए अपनी लम्बी लड़ाई के लिए जानी जातीं हैं। उन्होंने विदुथालाई चिरुथैल्गल काची (वीसीके) पार्टी के उम्मीदवार के रूप में सन 2016 का विधानसभा चुनाव जे. जयललिता के विरुद्ध लड़ा था

संबंधित आलेख

रैदास: मध्यकालीन सामंती युग के आधुनिक क्रांतिकारी चिंतक
रैदास के आधुनिक क्रांतिकारी चिंतन-लेखन को वैश्विक और देश के फलक पर व्यापक स्वीकृति क्यों नहीं मिली? सच तो यह कि उनकी आधुनिक चिंतन...
जब नौजवान जगदेव प्रसाद ने जमींदार के हाथी को खदेड़ दिया
अंग्रेज किसानाें को तीनकठिया प्रथा के तहत एक बीघे यानी बीस कट्ठे में तीन कट्ठे में नील की खेती करने के लिए मजबूर करते...
डॉ. आंबेडकर : भारतीय उपमहाद्वीप के क्रांतिकारी कायांतरण के प्रस्तावक-प्रणेता
आंबेडकर के लिए बुद्ध धम्म भारतीय उपमहाद्वीप में सामाजिक लोकतंत्र कायम करने का एक सबसे बड़ा साधन था। वे बुद्ध धम्म को असमानतावादी, पितृसत्तावादी...
डॉ. आंबेडकर की विदेश यात्राओं से संबंधित अनदेखे दस्तावेज, जिनमें से कुछ आधारहीन दावों की पोल खोलते हैं
डॉ. आंबेडकर की ऐसी प्रभावी और प्रमाणिक जीवनी अब भी लिखी जानी बाकी है, जो केवल ठोस और सत्यापन-योग्य तथ्यों – न कि सुनी-सुनाई...
व्यक्ति-स्वातंत्र्य के भारतीय संवाहक डॉ. आंबेडकर
ईश्वर के प्रति इतनी श्रद्धा उड़ेलने के बाद भी यहां परिवर्तन नहीं होता, बल्कि सनातनता पर ज्यादा बल देने की परंपरा पुष्ट होती जाती...