वासंती देवी : मैंने पाया कि जातिगत और सांप्रदायिक सोच से आप जितने दूर हैं, यह सचमुच अत्यंत आश्चर्यजनक है। मैंने आपको कहते सुना है कि हमें आज एक ऐसी विचारधारा की जरुरत है, जिसमें मार्क्स, आंबेडकर, गाँधी, पेरियार और नारायण गुरु के विचारों का सम्मिश्रण हो।
पी.एस.कृष्णन : मेरी विचारधारा बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर, नारायण गुरु, महात्मा गाँधी, मार्क्स इत्यादि के विचारों का सम्मिश्रण है। यह मेरे अध्ययन और मेरी बौद्धिक परिपक्वता की उपज है। मैंने पाया कि महात्मा गाँधी और बाबा साहब आंबेडकर के मतभेदों पर चर्चा करने पर व्यर्थ ही बौद्धिक ऊर्जा व्यय की जा रही है। निस्संदेह, दोनों के बीच मतभेद थे, विशेष कर ‘‘अछूत प्रथा” और उसके कुप्रभावों, इस कुत्सित परिघटना के उदय और उसके बने रहने के पीछे के कारकों और सुधारात्मक उपायों के सम्बन्ध में। इन मसलों पर गांधीजी की सोच, आंबेडकर की तुलना में संकीर्ण थी। राजनैतिक मुद्दों पर उनके मतभेद जगजाहिर हैं।
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