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छत्तीसगढ़ चुनाव : राहुल और शरद  से मिलने के बाद संयुक्त मोर्चा ने ठोंका 40 सीटों पर दावा

संयुक्त माेर्चा के संयोजक विवेक के अनुसार छत्तीसगढ़ में 3 फीसदी सवर्ण हैं। इस हिसाब से इस वर्ग के अधिक से अधिक 11 उम्मीदवारों को कांग्रेस द्वारा सीटें दिया जाना न्यायसंगत होगा। यदि कांग्रेस 15 से अधिक सवर्णों को उम्मीदवार बनाती है तब उसे एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ेगा। फारवर्ड प्रेस की खबर

सवर्ण उम्मीदवारों को वोट नहीं देने का आह्वान करने वाले ‘एससी, एसटी, ओबीसी व अल्पसंख्यक संयुक्त मोर्चा’ ने छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। मोर्चा समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ राजनीतिक समीकरण बनाने की कोशिश में जुटा है। गौरतलब है कि इसी मोर्चें ने पिछले दिनों छत्तीसगढ में दलित, ओबीसी और आदिवासियों का आह्वान किया था कि वे न तो सवर्ण उम्मीदवारों को वोट दें और न ही उनकी दुकानों से सामान नहीं खरीदें। इस आह्वान का अच्छा-खासा असर भी हुआ था तथा मामला काफी चर्चा में आया था। मोर्चा ने छत्तीसगढ विधान सभा की कुल 90 सीटों में से 40 पर अपना दावा ठोंका है।

पिछले दिनों मोर्चा के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी। कांग्रेस आलाकमान के अतिरिक्त  मोर्चा के नेताओं ने लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव से भी मुलाकात की है। शरद यादव ने उन्हें चुनाव में सहयोग करने का आश्वासन दिया है। फारवर्ड प्रेस से बातचीत में मोर्चा के संयोजक विवेक कुमार सिंह ने बताया कि वे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सह राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव से मिलकर व्यापक गोलबंदी के प्रयास में जुटे हैं।

  • संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने की राहुल गांधी से मुलाकात

  • छत्तीसगढ़ में सवर्ण केवल 3 फीसदी, अधिक से अधिक 11 सीटें दिया जाना न्यायसंगत

  • शरद यादव, अखिलेश यादव और तेजस्वी प्रसाद यादव से मिलकर व्यापक गोलबंदी के प्रयास

राहुल गांधी से मुलाकात करते संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधि

अपने दावों के बारे में विवेक बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में एससी, एसटी, ओबीसी व अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाताओं की हिस्सेदारी कुल मतों का 97 फीसदी है। इनमें सबसे अधिक ओबीसी 50 फीसदी, एसटी 32 फीसदी, एससी 13 फीसदी और अल्पसंख्यक 2 फीसदी हैं।

विवेक के अनुसार 15 सीटों पर ओबीसी समाज के उन जातियों के लोगों को उम्मीदवार बनाया जाय जिनका आज तक कोई विधायक भी नहीं बन सका है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 3 फीसदी सवर्ण हैं। इस हिसाब से इस वर्ग के अधिक से अधिक 11 उम्मीदवारों को कांग्रेस द्वारा सीटें दिया जाना न्यायसंगत होगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कांग्रेस 15 से अधिक सवर्णों को उम्मीदवार बनाती है तब उसे एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ेगा।

बहुजन विमर्श को विस्तार देतीं फारवर्ड प्रेस की पुस्तकें

विवेक ने बताया कि मोर्चा द्वारा कांग्रेस को एक संभावित समझौते के बारे में बताया गया है जिसके हिसाब से सबसे अधिक आबादी वाले ओबीसी वर्ग के व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाय तथा एसटी और एससी वर्ग के उपमुख्यमंत्री पद हों। उनका कहना है कि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस के सामने जो चुनौती है उसमें संयुक्त मोर्चा निर्णायक भूमिका का निर्वहन कर सकती है। यदि कांग्रेस सोशल एलायंस करने को तैयार हो तो भाजपा को आसानी से हराया जा सकता है।

मायावती और अजीत जोगी के बीच गठबंधन के बाद कांग्रेस पर बढ़ा दबाव

गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया है। वे राज्य की 35 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगी। लेकिन विवेक का कहना है कि बसपा को इसका बहुत अधिक लाभ नहीं मिलेगा। बेहतर तो यह होता कि वह भी संयुक्त मोर्चा के साथ गठबंधन में शामिल होती।

यह भी पढ़ें : मध्य प्रदेश चुनाव : एससी-एसटी और ओबीसी ने कहा, नहीं देंगे सवर्णों को वोट

उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें 39 एससी व एसटी के लिए आरक्षित हैं। इन क्षेत्रों में भी संयुक्त मोर्चा की पैठ है। इसी प्रकार राज्य में कुल 51 सीटें सामान्य हैं। यदि कांग्रेस 40 सीटों पर ओबीसी व अल्पसंख्यक वर्ग के उम्मीदवारों को टिकट दे तब उसकी जीत का मार्ग आसानी से प्रशस्त हो सकता है।

बहरहाल, राजनीतिक संभावनायें तलाशते इस मोर्च के नेताओं यथा मुख्य संयोजक रामकृष्ण जांगड़े, पूर्व सांसद टी. आर. खूंटे, अखिलेश एडगर, डॉ. रामगोपाल घृतलहरे, रघुनंदन साहू, अनीमा एक्का, विवेक कुमार सिंह, नवनीत चांद और डॉ. सत्येंद्र जायसवाल आदि विभिन्न दलों के नेताओं से मिल रहे हैं। हालांकि उनकी कोशिशों का परिणाम क्या होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

(कॉपी संपादन : सिद्धार्थ/रंजन)


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