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परियेरुम पेरूमल : काले और नीले रंग का राजनीतिक समागम

काला और कबाली के तर्ज पर दक्षिण भारत में एक और फिल्म सुर्खियां बटोर रही है। यह फिल्म एक कुत्ते और एक दलित युवक की है। युवक कानून की पढ़ाई इसलिए करता है ताकि वह अपने समाज के लोगों की लड़ाई अदालतों में लड़ सके। संजीव की समीक्षा :

फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। हमारी किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, संस्कृति, सामाज व राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के सूक्ष्म पहलुओं को गहराई से उजागर करती हैं। पुस्तक-सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

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दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

लेखक के बारे में

संजीव कुमार

जेएनयू से जुड़े संजीव कुमार सामाजिक विश्लेषक और रंगकर्मी हैं। जेएनयू में इन्होंने जागृति नाट्य मंच की स्थापना की तथा कई छात्र आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं। वर्तमान में ये बिहार के जमुई जिले में दलित बच्चों के एक स्कूल सरल स्कूल से जुड़े हैं

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