गए दिनों जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. हेमलता माहेश्वर अपने शोधकर्ता छात्र के साथ मेरे घर आई थीं। तब उनके साथ दलित साहित्य आंदोलन के इतिहास पर बातों-बातों में एक गंभीर चर्चा हुई। पहली पीढी के रचनाकारों के संघर्ष को सुन/जानकर वो इतनी अचंभित हुईं कि यकायक उनके मुख से निकल पड़ा कि पूर्वी दिल्ली का शाहदरा क्षेत्र तो दलित साहित्य के विकास, प्रचार और प्रसार के लिहाज से जैसे मुम्बई ‘धारावी’ है। उसी दिन दैनिक जागरण में छपी खबर के जरिए यह भी जानने को मिला कि विश्व विख्यात मुक्केबाज माइक टायसन ने कहा कि वे झुग्गियों से आते हैं: स्टार टायसन ने यह भी कहा कि उनकी इच्छा ताजमहल व मुंबई की ‘धारावी’ को देखने की है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों रजनीकांत की फिल्म ‘काला’ देखी तो झोपड़पट्टी से उठी ज्वालामुखी को काले, लाल रंग में फटते देखा और देखते ही देखते समता व स्वतंत्रता की विजय चाहत से पूरा ‘धारावी’ जनसमूह धरती आसमान सहित नीला-नीला दिखने लगा !
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