h n

कर्ज से राहत और वाजिब कीमत के लिए लड़ रहे किसानों को मिला विपक्षी दलों का साथ

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के बैनर तले हजारों किसान बीते 30 नवंबर 2018 को दिल्ली में एकत्रित हुए और संसद मार्ग तक मार्च निकालकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की। इस अवसर पर विपक्षी दलों के नेता भी किसानों के साथ नजर आए। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :

लोकसभा चुनाव से पहले किसानों ने बीते 30 नवंबर 2018 को रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक मार्च निकालकर सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। इस क्रांति मार्च में देश भर से आए 207 छोटे-बड़े किसान संगठन शामिल हुए। इसके साथ-साथ किसानों के समर्थन में विपक्ष के 21 दल भी एकजुट नजर आए। किसान कर्ज माफी के साथ-साथ फसलों के उचित दाम की मांग कर रहे थे। इस मौके पर राजनीतिक दलों से इन दोनों मांगों से जुड़े दोनों विधेयक संसद का विशेष सत्र बुलाकर जल्द से जल्द पास कराने की अपील की गई और साथ ही चेतावनी भी दी गई कि अगर मांगें नहीं मानी गईं, तो सड़क पर आंदोलन होगा।

ऑल इंडिया किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह ने तो केंद्र में सत्तासीन मोदी सरकार पर सीधे-सीधे प्रहार करते हुए कहा कि 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे, तब उन्होंने वादा किया था- किसानों की फसलाें की कीमत दोगुनी करने का, जबकि आज हकीकत यह है कि किसानों को अपने खर्च का आधा भी नहीं मिल रहा है। देश भर से किसानों की आत्महत्या की खबरें आ रही हैं। यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि किसान मोदी सरकार से नाराज हैं और मोदी सरकार को चुनाव में हराने के लिए एकजुट हो रहे हैं।

दिल्ली में हुए किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुए सीताराम येचुरी, फारुख अब्दुल्ला, राहुल गांधी, शरद यादव और डी. राजा (बायें से दायें)

किसान महासभा के नेशनल सेक्रेटरी पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने की बजाय किसानों के पैसे को लूटा है और उसे बड़े-बड़े कॉरपोरेट घरानों तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि किसानों की मुख्य मांग यह है कि किसानों के ऊपर चढ़ा कर्ज तत्काल माफ हो और किसानों को खर्चे की कम से कम दोगुनी राशि फसलों की कीमत के रूप में मिले। इस बाबत दो टूक शब्दों में कहा गया कि किसानों से जुड़े चार्टर ऑफ डिमांड मोदी सरकार को भेज दिया गया है और अब गेंद उनके (मोदी सरकार के) पाले में है। सरकार उसे स्वीकार करे या फिर किसानों के गुस्से को झेलने के लिए तैयार रहे।

  • किसानों से जुड़ी समस्याओं पर संसद सत्र बुलाने की मांग
  • कर्ज माफी और सही कीमत की गारंटी विधेयक पास कराएं राजनीतिक दल
  • मांग नहीं माने जाने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी

विपक्ष भी किसानों के साथ

किसानों के पक्ष में माकपा व भाकपा, कांग्रेस, एनसीपी, टीएमसी, सपा और आम आदमी पार्टी सहित 21 छोटे-बड़े दल एकजुट दिखे और इनमें से ज्यादातर दलों के वरिष्ठ नेता प्रदर्शन में शामिल हुए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों की मांगों को जायज ठहराते हुए कहा कि मोदी सरकार ने किस हद तक वादा खिलाफी की है, इसका एक उदाहरण है किसानों की समस्या। देश के समक्ष किसानों के भविष्य व युवाओं के रोजगार का मुद्दा प्रमुख है। समय आ गया है, जब किसानों के लिए पीएम को बदलना पड़े, तो बदल देना चाहिए।

विरोध-प्रदर्शन में शामिल लोग

वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविन्द केजरीवाल ने भी मोदी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि इस सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है। स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने के वादे को मोदी सरकार भूल गई। स्वामीनाथन रिपोर्ट के तहत वादा किया गया था कि 100 रुपए लागत पर 50 रुपए मुनाफा। अब सुप्रीम कोर्ट जाकर हलफनामा दाखिल कर आए हैं कि स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू नहीं कर सकते। इसी तरह माकपा प्रमुख सीताराम येचुरी ने भी कहा कि आज एक वैकल्पिक सरकार की जरूरत है। किसान मोदी सरकार को हटाएंगे और ऐसी सरकार लाएंगे, जो उनके हित में नीतियां बनाए।

(कॉपी संपादन : प्रेम/एफपी डेस्क)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें 

 

बहुजन साहित्य की प्रस्तावना 

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक’

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

लेखक के बारे में

कुमार समीर

कुमार समीर वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सहारा समेत विभिन्न समाचार पत्रों में काम किया है तथा हिंदी दैनिक 'नेशनल दुनिया' के दिल्ली संस्करण के स्थानीय संपादक रहे हैं

संबंधित आलेख

मोदी के दस साल के राज में ऐसे कमजोर किया गया संविधान
भाजपा ने इस बार 400 पार का नारा दिया है, जिसे संविधान बदलने के लिए ज़रूरी संख्या बल से जोड़कर देखा जा रहा है।...
केंद्रीय शिक्षा मंत्री को एक दलित कुलपति स्वीकार नहीं
प्रोफेसर लेल्ला कारुण्यकरा के पदभार ग्रहण करने के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा में आस्था रखने वाले लोगों के पेट में...
आदिवासियों की अर्थव्यवस्था की भी खोज-खबर ले सरकार
एक तरफ तो सरकार उच्च आर्थिक वृद्धि दर का जश्न मना रही है तो दूसरी तरफ यह सवाल है कि क्या वह क्षेत्रीय आर्थिक...
विश्व के निरंकुश देशों में शुमार हो रहा भारत
गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय, स्वीडन में वी-डेम संस्थान ने ‘लोकतंत्र रिपोर्ट-2024’ में बताया है कि भारत में निरंकुशता की प्रक्रिया 2008 से स्पष्ट रूप से शुरू...
मंडल-पूर्व दौर में जी रहे कांग्रेस के आनंद शर्मा
आनंद शर्मा चाहते हैं कि राहुल गांधी भाजपा की जातिगत पहचान पर आधारित राजनीति को पराजित करें, मगर इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की...