h n

केंद्रीय मंत्रियों के साथ मंच साझा नहीं करेंगे सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा

अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस ने खबर प्रकशित किया कि सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा श्रीराम कॉलेज ऑफ काॅमर्स के बिजनेस कान्क्लेव में मुख्य वक्ता होंगे। कहा गया कि वे इस मौके पर केंद्रीय मंत्रियों के साथ मंच साझा करेंगे। परंतु, फारवर्ड प्रेस ने इस संबंध में आयोजकों से पूछा तो जानकारी मिली कि उन्हें अभी तक आलोक वर्मा की तरफ से कोई सूचना नहीं मिली है

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर से आयोजकों का इनकार

पिछले दिनों विवादित परिस्थितियों में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक पद से हटाए गए आलोक वर्मा दिल्ली के प्रतिष्ठित श्रीराम काॅलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) के कार्यक्रम में केंद्र के मंत्रियों के साथ मंच साझा नहीं करेंगे। जबकि इस संबंध में 17 जनवरी 2019 को अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित खबर आलोक वर्मा टू बी ए कीनोट स्पीकर ऐट एसआरसीसी इवेंट नेक्सट मंथ’ में कहा गया कि आलोक वर्मा न केवल मुख्य वक्ता होंगे बल्कि वे दो केंद्रीय मंत्रियों स्मृति ईरानी और सुरेश प्रभु के साथ मंच भी साझा करेंगे। तीन दिवसीय यह आयोजन आगामी 14-16 फरवरी 2019 को निर्धारित है।

केंद्र सरकार और सीबीआई के पूर्व निदेशक के बीच विवाद संबंधी खबरें पूर्व से ही सुर्खियाें में हैं। ऐसे में खबर की पुष्टि के लिए फारवर्ड प्रेस ने जब आयोजकों से पूछा तो बताया गया कि इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित खबर में तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया है। उनके अनुसार, आलोक वर्मा की ओर से कान्क्लेव में शामिल होने की मंजूरी दिए जाने संबंधी कोई सूचना नहीं मिली है।

17 जनवरी 2019 को इंडियन एक्सप्रेस द्वारा पहले पृष्ठ पर प्रकाशित खबर जिसमें तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया है

बिजनेस कान्क्लेव आयोजक टीम के प्रमुख संयोजक ने कहा, “हम बिजनेस कान्क्लेव के लिए हर साल प्रमुख लोगों के साथ-साथ देश की अहम संस्थाओं में पदासीन लोगों को आमंत्रण भेजते हैं। हमलोगों ने आलोक वर्मा को निमंत्रण भेजा तो वो उस समय सीबीआई प्रमुख के पद पर थे। अभी तक हमें आलोक वर्मा की ओर से किसी तरह का कोई कंफर्मेशन नहीं मिला है। इसलिए अभी यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि वे कान्क्लेव में शामिल होंगे। वैसे हम भी जानने के उत्सुक हैं कि क्या वे कान्क्लेव में शिरकत करेंगे?”

आयोजक टीम के प्रमुख संयोजक ने यह भी कहा, “अभी तक हमलोगों ने ना तो कान्क्लेव के विषय तय किया है और न ही कार्यक्रम का अंतिम रूप तय किया है।”

सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा

जबकि इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित खबर और उसके हवाले से विभिन्न मीडिया संस्थानों द्वारा यह खबर प्रसारित की जा रही है। इसे लेकर कई तरह की कयासबाजियां भी लगाई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि मुख्य वक्ता बनने के निमंत्रण को आलोक वर्मा स्वीकार कर चुके हैं और माना जा रहा है कि वह अपनी कहानी (हाल की विवादित परिस्थितियों में सीबीआई प्रमुख पद से हटाने और नौकरी छोड़ने) पर बात रखेंगे। इतना ही नहीं, खबरों में यह सवाल भी उठाया जा रहा है कि कोई व्यक्ति ऐसे मंच का उपयोग व्यक्तिगत उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कैसे कर सकता है। हवा में यह चर्चा तब उछाली जा रही है जबकि आलोक वर्मा ने कार्यक्रम में शामिल होने के संबंध में कोई सूचना आयोजकों को दी ही नहीं है। यहां तक कि आयोजकों ने कार्यक्रम के विषय और फॉर्मेट तक तय नहीं किया है। सवाल उठता है कि इन खबरों का आधार क्या है?

आयोजकों ने फारवर्ड प्रेस को बताया कि “हमें यह भी पता नहीं है कि वह किस दिन आ रहे हैं। अभी जो भी खबरें आ रही है वो हमारी ओर से सत्यापित नहीं है। ना ही हमने इंडियन एक्सप्रेस में खबर के लिए एप्रोच किया।”  

श्रीराम कॉलेज ऑफ काॅमर्स, नई दिल्ली

गौर तलब है कि श्रीराम कॉलेज ऑफ काॅमर्स द्वारा प्रति वर्ष आयोजित किया जाने वाला यह बिजनेस कान्क्लेव हर बार सुर्खियों में रहता है।  इसी आयोजन के मंच से 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रचार अभियान की शुरुआत की थी और कहा था कि देश में वोट बैंक की सियासत ने किस तरह से विकास का रास्ता रोक दिया है।

बताते चलें कि आमतौर पर बिजनेस कॉन्क्‍लेव के लिए श्रीराम कालेज में छात्रों से रायशुमारी की जाती है कि वो किस उद्यमी को सुनना चाहते हैं। इसी आधार पर आयोजक मेहमानों को बुलाते हैं। लेकिन यह परंपरा 2014 में टूट गई थी जब भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी को छात्रों की मुख्य पसंद बताकर मंच प्रदान किया गया। छात्रों के बीच तब कथित तौर पर जो रायशुमारी की गई थी, उनमें रतन टाटा, नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी (उस समय कांग्रेस के महासचिव) के नाम शामिल थे।

वर्ष 2014 में श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के बिजनेस कान्क्लेव को संबोधित करते नरेंद्र मोदी

बहरहाल, ‘बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले’ के तर्ज पर सीबीआई से निकाले गए आलोक वर्मा यदि इस कार्यक्रम में शामिल होते तो एक प्रतिष्ठित मंच उनकी पहली सार्वजनिक उपस्थिति होती। जाहिर तौर पर ऐसे में इस बात की संभावना कम ही है कि ऐसे मौके का उपयोग वह यह बताने के लिए करते कि उन्हें पद से हटाने के लिए केंद्र ने किस तरह तानाशाही रवैया अपनाया। इसके विपरीत जो खबरें चलाई जा रही हैं, उन्हें इस अंदाज में लिखी जा रही है जैसे नरेंद्र मोदी ने पीएम बनने की पहली तैयारी श्रीराम काॅलेज से की थी, कुछ उसी तरह आलोक वर्मा भी अपनी कोई नई पारी की शुरुआत करने वाले हैं!

(कॉपी संपादन : एसपी डेस्क/ प्रमोद कौ.)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें 

 

मिस कैथरीन मेयो की बहुचर्चित कृति : मदर इंडिया

बहुजन साहित्य की प्रस्तावना 

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक’

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

लेखक के बारे में

एफपी डेस्‍क

संबंधित आलेख

स्मृतिशेष : केरल में मानवीय गरिमा की पुनर्स्थापना के लिए संघर्ष करनेवाले के.के. कोचू
केरल के अग्रणी दलित बुद्धिजीवियों-विचारकों में से एक 76 वर्षीय के.के. कोचू का निधन गत 13 मार्च, 2025 को हुआ। मलयाली समाज में उनके...
बिहार : क्या दलित नेतृत्व से सुधरेंगे कांग्रेस के हालात?
सूबे में विधानसभा चुनाव के सात-आठ महीने रह गए हैं। ऐसे में राजेश कुमार राम के हाथ में नेतृत्व और कन्हैया को बिहार में...
फ्रैंक हुजूर के साथ मेरी अंतिम मुलाकात
हम 2018 में एक साथ मिलकर ‘21वीं सदी में कोरेगांव’ जैसी किताब लाए। आगे चलकर हम सामाजिक अन्याय मुक्त भारत निर्माण के लिए एक...
पसमांदा मुसलमानों को ओबीसी में गिनने से तेलंगाना में छिड़ी सियासी जंग के मायने
अगर केंद्र की भाजपा सरकार किसी भी मुसलमान जाति को ओबीसी में नहीं रखती है तब ऐसा करना पसमांदा मुसलमानों को लेकर भाजपा के...
क्या महाकुंभ न जाकर राहुल गांधी ने सामाजिक न्याय के प्रति अपनी पक्षधरता दर्शाई है?
गंगा में डुबकी न लगाकार आखिरकार राहुल गांधी ने ज़माने को खुल कर यह बताने की हिम्मत जुटा ही ली कि वे किस पाले...