मानव सभ्यता सदियों से जंगलों पर निर्भर रही है। बीसवीं सदी के प्रारंभ में सिन्धु घाटी में खुदाई में मिली सीलों और रंगे हुए मिट्टी के पात्रों में पीपल और बबूल के पेड़ों के प्रतीकात्मक चित्रण से यह संकेत मिलता है कि मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की सभ्यता (5000-4000 ई.पू.) में भी इमारतों के लिए लकड़ियां आदि तमाम वनोपजों का प्रयोग होता था। गुप्तकाल (200-600 ई.) का वनों से संबंधित विवरण, मौर्य काल से मेल खाता है। वहीं मुग़लकाल (1526-1707) में इमारती लकड़ी और खेती के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों का सफाया किया गया। ब्रिटिश शासन आने के बाद, सरकार और आदिवासियों में सीधा टकराव शुरू हुआ और वन इसका एक प्रमुख कारण थे।