महाराष्ट्र की संभाजी ब्रिगेड इस वर्ष देश की बहुजन महिला विभूतियों के सम्मान में नवरात्रोत्सव मना रहा है। लीक से हटकर मनाए जाने वाले इस उत्सव की महाराष्ट्र सहित पूरे देश में चर्चा है। गौरतलब है कि संभाजी ब्रिगेड ने भारतीय इतिहास में आदर्श नायिका की छवि वाली बहुजन महिलाओं का स्मरण करते हुए इस नवरात्रोत्सव को देश की कृषि-संस्कृति से जोड़कर मनाने का फैसला किया है। संभाजी ब्रिगेड की तरफ से इस विशेष नवरात्रोत्सव का जो पोस्टर जारी किया गया है उसमें सावित्रीबाई फुले, व फातिमा शेख सहित कई प्रेरणादायी महिलाओं के चित्र हैं। इसी तर्ज पर महाराष्ट्र में कई बड़े कार्यक्रमों का आयोजन होना है। वहीं मराठा सेवा संघ की महिला शाखा महाराष्ट्र जिजाऊ ब्रिगेड की तरफ से भी कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और व्याख्यान आयोजित किए जाएंगे।
संभाजी ब्रिगेड के प्रवक्ता डॉ. विकास पाटील ने कहा कि बहुजन महिलाओं का स्मरण करते हुए नवरात्रोत्सव मनाने का उद्देश्य महिलाओं को जागरूक बनाना है। महिलाओं को जो अधिकार दिए गए हैं उनका 10 प्रतिशत भी कार्यान्वयन नहीं हो पा रहा है इसलिए हम चाहते हैं कि महिलाएं इस विशेष नवरात्रोत्सव से जागरूक हों और अपनी ताकत को पहचानें। उन्होंने कहा कि इन दिनों बलात्कार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और महिलाओं को ही इनके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यह बहुत गलत है। महिलाओं को अपनी ताकत और अपने अधिकारों को समझना होगा।
उन्होंने कहा कि पुरुषों के ‘चरित्र’ पर कोई ऊँगली नहीं उठाता परन्तु महिलाओं को बात-बात पर कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है। अगर छत्रपति शिवाजी महाराज और बाबासाहेब आंबेडकर के बारे में स्कूलों में ठीक से पढ़ाया जाए तो पुरुष स्वयं ही स्त्रियों का सम्मान करना सीख जाएंगे। इसी तरह, इतिहास के पन्नों में दर्ज महान महिलाओं से आजकल की लड़कियों को प्रेरणा मिल सकेगी। यही सोचकर हमने यह विशेष नवरात्रोत्सव मनाने का फैसला किया है।
डॉ. विकास पाटील ने कहा कि काल्पनिक चरित्रों से प्रेरणा लेने से कहीं बेहतर है इतिहास की महान महिलाओं से प्रेरणा लेना। इससे महिलाओं का सशक्तिकरण होगा, जो आज के समय में बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि मराठा सेवा संघ की महिला विंग, महाराष्ट्र जिजाऊ ब्रिगेड, द्वारा भी इस नवरात्रोत्सव में कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इन नौ दिनों में सांस्कृतिक कार्यक्रम और व्याख्यान आयोजित होने हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश की कई महिलाओं का जीवन प्रेरणादायी रहा है, जिनमें जिजामाता, सावित्रीबाई फुले, अहिल्यादेवी होलकर, रमाबाई और पहली महिला संपादक ताराबाई शिंदे शामिल हैं। इन सब महान महिलाओं का इतिहास जब आज की महिलाएं जानेंगी, तभी वे किसी भी कठिन परिस्थिति से दो-दो हाथ कर कर पाएंगी।
डॉ. पाटील का कहना है कि नवरात्रोत्सव, भूमि और माता दोनों की रचनात्मकता के लिए आभार का उत्सव है। लोग प्राचीन काल से ही भूमि और माता को एक समान मानते रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं ने कृषि का आविष्कार किया था, इसलिए यह त्योहार कृषि संस्कृति का एक सच्चा प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य मां और भूमि को गौरवान्वित करना है, लेकिन हमें इसके दायरे का विस्तार करना होगा। सिर्फ भूमि और मां तक इस त्योहार को सीमित करने के बजाय, हम जीवन के सभी क्षेत्रों में इसको लेकर कुछ नया करना चाहते हैं।
वहीं संभाजी ब्रिगेड के सोशल मीडिया प्रमुख विद्यानंद पाटील ने कहा है कि नवरात्रोत्सव के दौरान किसानों को सम्मानित करने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाना चाहिए। कृषि मानव जाति के एक बड़े हिस्से की आजीविका का स्त्रोत है। इस कार्यक्रम को तीन या पांच दिन तक मनाने के विकल्प को भी स्वीकार किया जा सकता है। विद्यानंद पाटील ने कहा कि सावित्रीबाई फुले और उनके बाद की महत्वपूर्ण कार्य करने वाली सभी महिलाएं हमारी आदर्श हैं और प्रेरणा हैं।
महाराष्ट्र की आंबेडकरवादी विचारक डॉ. निशा शिंदे संभाजी ब्रिगेड के इस पहल को महत्वपूर्ण मानती हैं। उनके मुताबिक महाराष्ट्र में ओबीसी जातियां ब्राह्मणवाद की शिकार हैं। उन पर ब्राह्मणवाद का असर है और इस कारण वे अंधविश्वास में फंसे हैं। वहीं इस वर्ग की महिलाओं में भी अंधविश्वास है। संभाजी ब्रिगेड ओबीसी जातियों के कल्याण एवं जागरूकता के लिए पहल कर रहा है। यह बेहद सकारात्मक है।
(संपादन : नवल/अमरीश)
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