h n

अकुशल मजदूरों से कम तनख्वाह पाते हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के अतिथि शिक्षक

बीते 27 जनवरी, 2021 को दिल्ली विश्वविद्यालय के अतिथि शिक्षकों ने भूख हड़ताल करने का प्रयास किया। लेकिन प्रशासन ने कोरोना का भय बताकर उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। अनिल कुमार की खबर

दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी निर्धारित है। मसलन अकुशल मजदूरों के लिए प्रति माह न्यूनतम 15 हजार 310 रुपए की मजदूरी का प्रावधान है। वहीं अर्द्धकुशल मजदूरों के लिए यह राशि 16 हजार 681 रुपए और कुशल मजदूरों के लिए 18 हजार 565 रुपए प्रति माह तय है। लिपिकीय व पर्यवेक्षण कार्य करने वाले स्नातक पास अथवा उससे अधिक पढ़े-लिखे मजदूरों के लिए सरकार ने कम से कम 20 हजार 196 रुपए की राशि तय है। इसकी तुलना में दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों को जो मजदूरी दी जाती है, वह चौंकाने वाली है। इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि एक अतिथि शिक्षक प्रति माह अधिक से अधिक 12 हजार पांच सौ रुपए ही कमा पाता है।

बात केवल इतनी भर नहीं है। दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) और नॉन काॅलेजिएट वूमेंस एजुकेशन बोर्ड (एनसीडब्ल्यूईबी) के शिक्षकों को 2019 से वेतन नहीं मिला है। साथ ही उनके निर्धारित वेतन 1500 रुपये प्रति कक्षा में से गैरकानूनी ढंग से 500 रुपये प्रति कक्षा काटा गया है। परीक्षा की कॉपी जांच करने के लिए निर्धारित पैसे भी उनको नहीं दिए गए। एसओएल और एनसीडब्ल्यूईबी में सिर्फ शनिवार और रविवार को कक्षाएं होती हैं और शिक्षकों को मुश्किल से 25,000 रुपये महीना वेतन मिल पाता है और वह भी तब जब कक्षाएं चल रही हों। 

बताते चलें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एक साल में लगभग छह महीने ही कक्षाएं होती हैं इस तरह शिक्षकों का औसत वेतन लगभग 12,500 रुपये महीना ही है। ऐसे में उनके वेतन से पैसे काटना, परीक्षा की कॉपी चेक करने के पैसे न देना और 2019 से वेतन का भुगतान नहीं किया जाना शिक्षकों के प्रति अन्याय है। यह उन विद्यार्थियों के प्रति भी अन्याय है जिनको वे पढ़ाते हैं, क्योंकि जब शिक्षक को ही वेतन नहीं मिलेगा तो वह कैसे बच्चों को बेहतर शिक्षा देगा? 

इन्हीं सब मुद्दों को लेकर 27 जनवरी, 2021 को दिल्ली विश्वविद्यालय के द्वार संख्या 4 पर दोपहर 2 बजे से अपनी मांगें पूरी होने तक रिले हंगर स्ट्राइक का आयोजन किया गया। इनकी प्रमुख मांगें इस प्रकार थीं(1) शिक्षणसत्र सितंबर – दिसम्बर 2019 से एसओएल के अतिथि शिक्षाकों का वेतन नहीं दिया गया है, उनका भुगतान किया जाए। (2)  शिक्षणसत्र सितंबर-दिसम्बर, 2019 के निर्धारित वेतन 1500 रुपये प्रति कक्षा में से एनसीडब्ल्यूईबी के अतिथि शिक्षकों का वेतनमान 500 रुपये प्रति कक्षा काटे जाने का विरोध और उसे वापस दिया जाए। (3) एनसीडब्ल्यूईबी के शिक्षकों का शिक्षण सत्र जनवरी-मई 2020 से वेतन नहीं मिला है, उसका भुगतान तुरंत किया जाए। (4) एनसीडब्ल्यूईबी और एसओएल के अतिथि शिक्षकों का वेतन माह के अंत में देने का प्रावधान की मांग। (5) एसओएल और एनसीडब्ल्यूईबी द्वारा उत्तर पुस्तिका जाँचने के पैसे का भुगतान न किए जाने की मांग।

स्कूल ऑफ ओपेन लर्निंग, दिल्ली विश्वविद्यालय

इस आंदोलन का नेतृत्व अतिथि शिक्षक संघ की राष्ट्रीय अध्यक्ष आरती रानी प्रजापति, उपाध्यक्ष संदीप, और सचिव रवि कर रहें थे। इस मौके पर आरती रानी प्रजापति ने कहा कि वर्तमान सरकार कोरोना के बहाने देश के नागरिकों के मौलिक राजनीतिक अधिकारों को कुचल रही है। उन्होंने कहा कि जब भूख हड़ताल के लिए टेंट लगाने की कोशिश हुई तो दिल्ली विश्वविद्यालय के द्वार संख्या 4 पर तैनात सुरक्षा कर्मियों ने कहा कि प्रॉक्टर ऑफिस से परमिशन लेकर आओ। जब प्रॉक्टर ऑफिस गए तो वहां कहा गया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में टेंट लगने की अनुमति नहीं है। 

आरती रानी प्रजापति ने बताया कि जब उन्होंने प्रशासन से पूछा कि अन्य शिक्षक संगठनों को दो महीने तक कुलपति कार्यालय के सामने प्रदर्शन की अनुमति कैसे दी गई? उनके पास जवाब नहीं था। इतने में ही मोरिस नगर थाना से भी पुलिस आ गई और अतिथि शिक्षक संघ के पदाधिकारियों को हिरासत में लेकर थाने ले गई। साथ ही आंदोलन के समर्थन में जो लोग भी आए थे उन अतिथि शिक्षकों को बलपूर्वक तितर-बितर कर दिया गया। अतिथि शिक्षकों को थाने में ले जाकर पुलिस ने बताया कि वे उन्हें कोई भी आंदोलन या धारणा-प्रदर्शन नहीं करने देंगें, क्योंकि देश कोरोना की महामारी से जूझ रहा है। जब धरना-प्रदर्शन में आए अतिथि शिक्षक को बल पूर्वक तितर-बितर कर दिया गया तब अतिथि शिक्षक संघ के पदाधिकारियों को चेतावनी देकर थाने से छोड़ दिया गया। 

(संपादन : नवल)

लेखक के बारे में

अनिल कुमार

अनिल कुमार ने जेएनयू, नई दिल्ली से ‘पहचान की राजनीति’ में पीएचडी की उपाधि हासिल की है।

संबंधित आलेख

केशव प्रसाद मौर्य बनाम योगी आदित्यनाथ : बवाल भी, सवाल भी
उत्तर प्रदेश में इस तरह की लड़ाई पहली बार नहीं हो रही है। कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह के बीच की खींचतान कौन भूला...
बौद्ध धर्मावलंबियों का हो अपना पर्सनल लॉ, तमिल सांसद ने की केंद्र सरकार से मांग
तमिलनाडु से सांसद डॉ. थोल थिरुमावलवन ने अपने पत्र में यह उल्लेखित किया है कि एक पृथक पर्सनल लॉ बौद्ध धर्मावलंबियों के इस अधिकार...
मध्य प्रदेश : दलितों-आदिवासियों के हक का पैसा ‘गऊ माता’ के पेट में
गाय और मंदिर को प्राथमिकता देने का सीधा मतलब है हिंदुत्व की विचारधारा और राजनीति को मजबूत करना। दलितों-आदिवासियों पर सवर्णों और अन्य शासक...
मध्य प्रदेश : मासूम भाई और चाचा की हत्या पर सवाल उठानेवाली दलित किशोरी की संदिग्ध मौत पर सवाल
सागर जिले में हुए दलित उत्पीड़न की इस तरह की लोमहर्षक घटना के विरोध में जिस तरह सामाजिक गोलबंदी होनी चाहिए थी, वैसी देखने...
फुले-आंबेडकरवादी आंदोलन के विरुद्ध है मराठा आरक्षण आंदोलन (दूसरा भाग)
मराठा आरक्षण आंदोलन पर आधारित आलेख शृंखला के दूसरे भाग में प्रो. श्रावण देवरे बता रहे हैं वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण...