h n

सवर्णों को चाहिए बहुजनों से हनुमान जैसी वफादारी

बीते सप्ताहांत दिल्ली में लाल किले के सामने चांदनी चौक इलाके में रातों-रात एक हनुमान मंदिर बना दिया गया। इसके पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने बीच सड़क बने एक पुराने मंदिर को हटाने का आदेश दिया था। अब रातों-रात बने हनुमान मंदिर के समर्थन में सभी राजनीतिक दलों के नेता उतर आए हैं। इस घटनाक्रम के बहाने भारतीय राजनीति में हो रहे बदलाव को रेखांकित कर रहे हैं भंवर मेघवंशी

दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर गत 9 जनवरी को दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में सड़क पर स्थित एक हनुमान मंदिर को सौंदर्यीकरण के लिये हटा दिया गया। एक ऐसे वक्त में जब मंदिर निर्माण भारत का राष्ट्रीय कार्यक्रम बना हुआ है, राम के भक्त हनुमान का मंदिर हटा दिया जाना बेहद संवेदनशील मुद्दा तो बनना ही था। यह उन लोगों के लिए एक बड़े अवसर की संभावना को भी चिह्नित करता है कि जो मंदिर के मुद्दे से सत्ता प्राप्ति की कारीगरी खूब जानते है।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : सवर्णों को चाहिए बहुजनों से हनुमान जैसी वफादारी

लेखक के बारे में

भंवर मेघवंशी

भंवर मेघवंशी लेखक, पत्रकार और सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में अपना सार्वजनिक जीवन शुरू किया था। आगे चलकर, उनकी आत्मकथा ‘मैं एक कारसेवक था’ सुर्ख़ियों में रही है। इस पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद हाल में ‘आई कुड नॉट बी हिन्दू’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ है। संप्रति मेघवंशी ‘शून्यकाल डॉट कॉम’ के संपादक हैं।

संबंधित आलेख

संघ-भाजपा की तरह बिरसा की पाखंड पूजा न करें हेमंत सोरेन
यह कैसी विडंबना है कि जो बात इंडिया गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में आज हेमंत सोरेन कह रहे हैं, वही बात, यानि झारखंड...
यात्रा संस्मरण : जब मैं अशोक की पुत्री संघमित्रा की कर्मस्थली श्रीलंका पहुंचा (अंतिम भाग)
चीवर धारण करने के बाद गत वर्ष अक्टूबर माह में मोहनदास नैमिशराय भंते विमल धम्मा के रूप में श्रीलंका की यात्रा पर गए थे।...
जब मैं एक उदारवादी सवर्ण के कवितापाठ में शरीक हुआ
मैंने ओमप्रकाश वाल्मीकि और सूरजपाल चौहान को पढ़ रखा था और वे जिस दुनिया में रहते थे मैं उससे वाकिफ था। एक दिन जब...
When I attended a liberal Savarna’s poetry reading
Having read Om Prakash Valmiki and Suraj Pal Chauhan’s works and identified with the worlds they inhabited, and then one day listening to Ashok...
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में महाबोधि मंदिर पर बौद्धों के अधिकार का सवाल
भारत में बौद्ध धर्म और ब्राह्मणवाद के बीच टकराव का लंबा इतिहास रहा है। जहां बौद्ध धर्म समानता का संदेश देता है वहीं ब्राह्मणवाद...