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कोरोना महामारी के इस दौर में उम्मीद और हिम्मत है दवा

अगर आप कोविड से संक्रमित पाए जाते हैं तो घबराने की कतई ज़रुरत नहीं है। इस बीमारी के शुरूआती चरणों में इससे लड़ने के लिए बहुत सरल और कारगर तरीके उपलब्ध हैं

मार्च, 2020 में मैंने फारवर्ड प्रेस में एक लेख लिखा था जिसका शीर्षक था “कोविड 19 : आस्था रखें, विवेक से काम लें”। उसके बाद फारवर्ड प्रेस के संपादकों ने मुझसे इस लेख का फॉलोअप लिखने के लिए कहा। परन्तु उस समय तक संपूर्ण परिदृश्य अस्पष्ट था। 

सन् 2020 को हम पीछे छोड़ आए हैं। वह एक ऐसा साल था, जिसे हम में से बहुत से कभी भुला नहीं पाएंगे। एक अदृश्य वायरस ने हमारी पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया। हालात को ‘सामान्य’ होने में काफी वक्त लगेगा। यह भी हो सकता है कि वे कभी सामान्य हों हीं ना। 

एक परिवार के रूप में यह साल हमारे लिए कई चुनौतियों से भरा रहा। परंतु हम ईश्वर के प्रति कृतज्ञ हैं कि उसने हमारी रक्षा की। इस महामारी ने बड़ी संख्या में लोगों की जानें लीं, परंतु हमारा परिवार इससे बचा रहा। हालांकि मैंने अपनी एक बहन को खो दिया, परंतु दूसरी बहन कोविड पर विजय प्राप्त करने में सफल रही। इसी साल हमारा सातवां प्रपौत्र भी इस दुनिया में आया। 

इन दिनों हमारे प्यारे देश भारत में अफरातफरी और अराजकता का माहौल है। लोग मर रहे हैं। कुछ वेंटिलेटर के सहारे हैं तो कुछ अस्पतालों में बिस्तर और यहां तक कि ऑक्सीजन सिलिंडर से लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। 

इस त्रासदी में भी कुछ गिद्ध, मुसीबतजदा लोगों का मांस नोंच रहे हैं। ऑक्सीजन सिलिंडर से लेकर एम्बुलेंस और जीवनरक्षक दवाईयों तक की कालाबाज़ारी हो रही है। कुछ लोग ज़रूरी दवाओं की जमाखोरी कर रहे हैं। इस त्रासदी ने यह दिखा दिया है कि हमारी आत्मा किस हद तक सड़-गल चुकी है। 

कुछ लोग इतने चिंतित और डरे हुए हैं कि उन्हें रात में नींद नहीं आती। यह स्थिति हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के लिए बहुत घातक है। बाइबिल का जो संदेश इस चुनौतीपूर्ण काल में भी मुझे शांति देता रहा है, वह है फिलिप्पियों 4: 6-7 :

“किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परंतु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शांति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।”

इसलिए मैं आप सबसे अनुरोध करना चाहतीं हूं कि न घबराएं और ना ही डरें। नकारात्मक सोच को अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर न करने दें। दुआ करें, ईश्वर में आस्था रखें, गीत गाएं, अपने परिवार के प्रति प्रेम रखें और जीवन के हर क्षण का उत्सव मनाएं।

वर्क फ्रॉम होम ने हम सभी को तनाव के नए कारण दिए हैं। परन्तु आइए हम हालात के नकारात्मक पहलुओं की बजाय उसके उजले पक्ष को देखें। हमारे युवा और हमारे बच्चे भी एक कठिन दौर से गुज़र रहे हैं। वे अकेलेपन से जूझ रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षा से तालमेल बिठाना उनके लिए आसान नहीं है। कितना अच्छा हो कि हम स्वयं पर या अपने करियर पर फोकस करने की बजाय अपने जीवनसाथी के बेहतर पति या पत्नी बनने का प्रयास करें। क्या हम अपने बच्चों के प्रति अपने प्रेम और अपनापन की अभिव्यक्ति कर सकते हैं? पूरे परिवार का एक साथ मिल कर कोई बोर्ड गेम खेलना भी बहुत आनंदित करने वाला अनुभव हो सकता है। क्या हम ऐसे घर बना रहे हैं जो आनंद से भरे हों? या हमारे परिवार केवल इस इंतजार में हैं कि हम कब फिर से घर से बाहर जाना शुरू करें? इस बीमारी से मरने वाले लाखों लोग अपने साथ कुछ भी नहीं ले गए हैं। डिग्रियां, सोना, पैसा और उपाधियां सब यहीं छूट गईं हैं। चिता में केवल राख बचती है। 

क्या लॉकडाउन के कारण अगर हमारे घरेलू कामगार काम पर नहीं आ पाते तो हम उनके वेतन में कटौती करते हैं और साथ ही यह भी चाहते हैं कि हमारी तनख्वाह में ज़रा सी भी कमी न आये? क्या हम अपने उन प्रियजनों की मदद करते हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है? क्या हम इस पर नज़र रख रहे हैं कि हमारे आसपास कोई भूखे पेट तो नहीं सो रहा है और अगर हाँ, तो क्या हम उसे भोजन दे रहे हैं? 

दिल्ली के एक अस्पताल में कोविड मरीज़

जैसा कि मैंने अपने पिछले लेख में लिखा था, मैं महामारी विज्ञान में विशेषज्ञ नहीं हूं। परंतु मैंने अपने उन मित्रों व अन्य ऐसे लोगों के अनुभव सुने हैं जो बिना अस्पताल में भर्ती हुए कोविड से मुक्त हुए हैं और ऐसे लोगों के बारे में पढ़ा भी है। उन्होंने जो व्यावहारिक सुझाव दिए, वे इस प्रकार हैं: 

  • आईवरमेक्टिन (Ivermectin) : वयस्कों के लिए इस दवा की खुराक 12 मिलीग्राम प्रति दिन (पांच दिनों तक) है। जिनके लक्षण मामूली हैं उन्हें पहले दिन 15 मिलीग्राम और फिर तीसरे दिन 15 मिलीग्राम (कुल दो खुराक) यह दवा लेनी चाहिए। यह दवा सामान्यतः पालतू जानवरों या मनुष्यों को परजीवियों को ख़त्म करने के लिए दी जाती है परंतु यह कोविड के इलाज में अत्यंत प्रभावी बल्कि चमत्कारी सिद्ध हुई है। अमेज़न पर उदाहरण है : https://www.amazon.in/Intas-Neomec-50-Tablets-Strips/dp/B08B14N5GT/ref=sr_1_1?dchild=1&keywords=ivermectin&qid=1619186725&sr=8-1
    यह दवा पूरी तरह सुरक्षित है और इसके साइड-इफेक्ट्स ना के बराबर हैं। एक सज्जन, जो मृत्यु शैय्या पर थे, इस दवा से कुछ ही दिनों में पूरी तरह स्वस्थ हो गए।
  • ब्युड़ेसोनाइड (Budesonide) : इस दवा को 14 दिन तक दिन में दो बार पानी में डालकर भांप के रूप में लेने से कोविड के मामूली और मध्यम गंभीर मरीजों के अस्पताल में भर्ती की संभावना 91 प्रतिशत (अन्य नियमित इलाजरत मरीजों की तुलना में) तक कम हो जाती है। यह बात इसी महीने ‘द लांसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन’ में ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में कही गयी है।

नीचे दिए गए सप्लीमेंट, हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और पॉजिटिव मरीजों के इलाज में उपयोगी होने के साथ-साथ रोग की रोकथाम करने में भी काम आ सकते हैं – 

  • ल्युगोल्स आयोडीन (Lugol’s iodine) : 50 मिलीग्राम प्रति दिन (5% सलूशन में प्रति बूंद 6.25% आयोडीन होती है और 2% सलूशन में 2.5 मिलीग्राम प्रति बूंद)। इसका बायोबैलेंस ब्रांड अमेज़न पर उपलब्ध है : https://www.amazon.in/Bio-Balance-Metals-Free-Solution-Preservative-Free/dp/B081NCKGG3
  • जिंक 50 मिलीग्राम प्रतिदिन 
  • विटामिन डी-3 (विटामिन डी-3 – कोलेकेल्सीफेरोल सॉफ्टजेल्स) 50,000 IU या 60,000 IU प्रतिदिन अगर आप पॉजिटिव हैं या किसी मरीज़ के संपर्क में आये हैं। अन्यथा 60,000 IU प्रति सप्ताह।
  • विटामिन के 2 / एमके 7- 100 मिलीग्राम प्रतिदिन।
  • विटामिन सी / सोडियम एसकोरबेट या एकोरबिक एसिड) 2.5 ग्राम प्रति दिन (अलग-अलग खुराकों में)। इसे लेने का सबसे अच्छा तरीका है सोडियम एसकोरबेट पाउडर की दो टेबल स्पून फुल मात्रा को 2 लीटर पानी में घोल कर उसे धीरे-धीरे पूरी रात (या पूरे दिन) पीना। इसे अमेज़न पर खरीदा जा सकता है: https://www.amazon.in/CHARCO-Internal-Ascorbate-Antioxidant-Protection/dp/B082SWW67S/ref=sr_1_1?dchild=1 

अगर आपको लगता है कि कोई इस बीमारी से ग्रस्त है या उसके ग्रस्त होने की संभावना है तो उसे आईवरमेक्टिन, आयोडीन और विटामिन अवश्य दें। 

अगर आईवरमेक्टिन उपलब्ध नहीं है तो 5-7 दिनों के लिए जिंक, अज़िथ्रोमाईसिन (Azithromycin), जो कि एक एंटीबायोटिक है, विटामिन डी-3 इत्यादि दिए जा सकते हैं। जो सक्षम हैं, उन्हें ऑक्सीमीटर खरीद लेना चाहिए ताकि बीमार पड़ने पर वे अपने ऑक्सीजन स्तर पर नज़र रख सकें। जब तक ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट न हो, अस्पताल जाने की ज़रुरत नहीं है। जो बीमार हैं, उन्हें पीठ की बजाय पेट के बल लेटना चाहिए। 

जिस दिन (अप्रैल 28) मैं यह लिख रही हूं, उस दिन भारत में कोविड के अब तक के सबसे ज्यादा संख्या में नए मरीज़ पाए गए है और सबसे बड़ी संख्या में मौतें हुईं हैं। मुझे उम्मीद है और मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि इस वायरस पर नियंत्रण पाया जा सकेगा और लोगों की जिंदगियां बच सकें। इस तरह की महामारी में कोई नहीं जान सकता कि कल उसका क्या होगा। आइये हम पूरी मानवता के लिए जियें और अपने संकीर्ण स्वार्थों को पूरा करने की जुगत में न लगे रहें। हम मास्क पहनें, भौतिक दूरी बनाए रखें और अपने हाथ नियमित रूप से धोते रहें। परंतु इसके साथ ही हम उन लोगों का साथ भी दें जो हमसे मदद की गुहार लगा रहे हैँ। 

(अनुवाद: अमरीश हरदेनिया, संपादन : नवल)


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लेखक के बारे में

डा. सिल्विया कोस्का

डा. सिल्विया कोस्का सेवानिव‍ृत्त प्लास्टिक सर्जन व फारवर्ड प्रेस की सह-संस्थापिका हैं

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