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सीनियर बघेल की गिरफ्तारी पर दलित-बहुजनों में आक्रोश, गोंडी समुदाय ने की ब्राह्मणवादी मिथकों की पूजा पर रोक लगाने की मांग

नंद कुमार बघेल के समर्थन में छत्तीसगढ़ के गोंड आदिवासी भी आ गए हैं। छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज प्रांतीय उपाध्यक्ष सूरज टेकाम ने दूरभाष पर कहा कि नंद कुमार बघेल की गिरफ्तारी अनुचित है। उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा है जो पहले से विभिन्न इतिहासकारों द्वारा वर्णित नहीं है। तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट

बीते 7 सितंबर, 2021 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के 86 वर्षीय पिता नदं कुमार बघेल को गिरफ्तार कर 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। उनके खिलाफ सर्व ब्राह्मण समाज, छत्तीसगढ़ के द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया था। सीनियर बघेल को जेल भेजे जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ में ब्राह्मण धर्म का विरोध रूक नहीं रहा है। अब गोंडी समुदाय के लोगों ने स्थानीय न्यायालयों से आदिवासी इलाकों में ब्राह्मण धर्म के मिथकों की सार्वजनिक पूजा पर रोक लगाने की मांग की है। वहीं छत्तीसगढ़ के सामाजिक, जनवादी, प्रगतिशील और जन संगठनों का संयुक्त मंच छत्तीसगढ़ नागरिक संयुक्त संघर्ष समिति के सदस्यों ने सीनियर बघेल की गिरफ्तारी का विरोध किया है तथा उन्हें बिना किसी शर्त के रिहा करने की मांग की है। 

गिरफ्तारी का विरोध करने वाले जनसंगठनों का तर्क

गौरतलब है कि पिछले दिनों नंदकुमार बघेल ने उत्तर प्रदेश में एक बयान दिया था, जिसे ब्राम्‍हण विरोधी कहा जा रहा है। सीनियर बघेल ने अपने बयान में कहा था कि “ब्राम्‍हण विदेशी हैं, उन्‍हे गंगा से वोल्‍गा भेजा जाना चाहिए।” छत्तीसगढ़ नागरिक संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि “अगर सर्व ब्राह्मण समाज द्वारा दर्ज करायी गयी आपत्‍ति सही है तो सबसे पहले उन ब्राह्मणों को जेल भेजा जाना चाहिए, जिन्होंने अपने पूर्वजों को विदेशी होने की बात कही है। जैसे ‘वोल्‍गा से गंगा’ में महापंडित राहुल सांस्‍कृतियांन, ‘भारत एक खोज’ में पंडित जवाहर लाल नेहरू, तिलक आदि आदि।”

सीनियर बघेल ने अदालत ने नहीं मांगी जमानत

ध्यातव्य है कि नंद कुमार बघेल को जब 7 सितंबर, 2021 को गिरफ्तार कर दिल्ली से रायपुर लाकर एक निचली अदालत में पेश किया गया तो उन्होंने अपनी जमानत के लिए कोई याचिका दायर नहीं की। जबकि सामान्य तौर पर यह देखा जाता है कि लोग अपनी अग्रिम जमानत के लिए न्ययालय में अर्जियां लगाते हैं।

समिति द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि “जब एक जाति विशेष के लोग दिल्ली के जंतर-मंतर पर संविधान की प्रतियां जलाते हैं और मनुस्‍मृति को लागू करने के नारे लगाते हैं, तब उनकी गिरफ्तारी नहीं की जाती है। संविधान प्रदत्त हक-अधिकार, आरक्षण, जाति जनगणना के खिलाफ बोलने या लिखने से गिरफ्तारियां नही होतीं।”

पिता के बहाने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर निशाना

समिति ने आगे अपने बयान में कहा है कि नंद कुमार बघेल छत्तीसगढ़ में लंबे समय से बहुजन जागृति के लिए कार्य करते आ रहे है। यह समझने की जरूरत है कि ब्राह्मण वर्ग को असली परेशानी सीनियर बघेल के भाषण से नही है। उनकी परेशानी है कि एक ओबीसी मुख्‍यमंत्री, जिन्‍होने ओबीसी आरक्षण का मार्ग प्रशस्त हो सके, इसके लिए केंद्र सरकार से मांग करने के साथ ही, राज्य सरकार के स्तर पर करवाने की बात कही है। सीनियर बघेल के बहाने वे ओबीसी मुख्‍यमंत्री के उपर निशाना साधना चाहते हैं।

उल्लेखनीय है कि हाल के दिनों में सूबे की सियासत में बवाल तब मचा जब सीएम पद को लेकर उठापटक चल रहा था। रायपुर से लेकर दिल्ली तक खलबली मच गयी थी। कहा यह जा रहा था कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व सूबे में भूपेश बघेल को सीएम पद से हटाकर उनके कबीना सहयोगी त्रिभुवन सिंह सिंहदेव को बिठाएगी। लेकिन यह कयासबाजी अभी तक महज कयासबाजी ही साबित हुई है। 

नंद कुमार बघेल को गिरफ्तार कर ले जाती छत्तीसगढ़ पुलिस

हालांकि अपने पिता की गिरफ्तारी के संबंध में भूपेश बघेल ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया है कि उनकी नजर में कानून सबसे उपर है। नंद कुमार बघेल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने के बाद बीते 5 सितंबर, 2021 को भूपेश बघेल ने ट्वीटर पर जारी अपने संदेश में कहा कि “एक पुत्र के रूप में मैं अपने पिता जी का सम्मान करता हूँ लेकिन एक मुख्यमंत्री के रूप में उनकी किसी भी ऐसी गलती को अनदेखा नहीं किया जा सकता जो सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाली हो। हमारी सरकार में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है फिर चाहे वो मुख्यमंत्री के पिता ही क्यों न हों।”

इन संगठनों ने नंद कुमार बघेल के समर्थन में उठायी आवाज

छत्तीसगढ़ नागरिक संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से नंद कुमार बघेल को बिना शर्त रिहा करने की मांग करने वाले सहभागी संगठनों में दलित मुक्ति मोर्चा, दलित स्टडी सर्कल, दलित मूवमेंट असोसीएशन, जाति उन्मूलन आंदोलन, भारतीय संवैधानिक समाज, छत्तीसगढ़ पिछड़ा समाज, सामाजिक न्याय मंच, छत्तीसगढ़ महिला अधिकार मंच, महिला मुक्ति मोर्चा, छत्तीसगढ़ महिला जागृति संगठन, सबला दल, छत्तीसगढ़ बाल श्रमिक संगठन, राष्ट्रीय आदिवासी संगठन, बिरसा अम्बेडकर छात्र संगठन, संयुक्त ट्रेड यूनियन काऊन्सिल, अलाइयन्स डिफ़ेंडिंग फ़्रीडम, इंडिया, छत्तीसगड़ क्रिश्चयन फोरम, खीस्तीय जन जागरण मंच, यंग मेन्स क्रिश्चयन ऐसोसिऐशन, रायपुर, छत्तीसगढ़ क्रिश्चयन फैलोशिप, मुस्लिम खिदमत संघ, यंग मुस्लिम सोशल वेलफेयर सोसायटी, छत्तीसगढ़ बैतुलमाल फाऊंडेशन, तथागत संदेश परिवार, पी०यू०सी०एल छत्तीसगढ़, इंसाफ, छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, छत्तीसगढ़ नागरिक विकास मंच, सिरसा, छत्तीसगढ़, कसम, छत्तीसगढ़ और अखिल भारतीय समता सैनिक दल, रायपुर आदि शामिल हैं।

कौन हैं नंद कुमार बघेल?

नंदकुमार बघेल और ब्राह्मणों के बीच विवाद कोई नया विवाद नहीं है। सन् 2001 में बघेल ने “ब्राह्मण कुमार रावण को मत मारो” शीर्षक एक किताब लिखी, जो तुरंत ही विवादों के घेरे में आ गयी थी। बघेल के मुताबिक यह किताब कुत्सित ब्राह्म्णवादी विचारों का भंडाफोड करती है। इसमें मनुस्मृति के अलावा वाल्मिकी और तुलसीदास द्वारा रचित रामायण के संबंध में समीक्षात्मक टिप्पणियां हैं। साथ ही इसमें दक्षिण के महान दार्शनिक पेरियार के विचारों का उल्लेख है। इस प्रकार यह किताब रामायण की विभिन्न तरीके से समीक्षा करती है और लोगों को बताती है कि राम नाम का चरित्र दलितों, आदिवासियों और मूलनिवासियों पर वर्चस्व स्थापित करने के लिए गढ़ा गया है। इस किताब को तत्कालीन अजित जोगी सरकार ने प्रतिबंधित किया था। तब नंदकुमार बघेल ने हाई कोर्ट में सरकार के फैसले को चुनौती दी। करीब 17 साल बाद वर्ष 2017 में हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया और सरकार के फैसले को बरकरार रखा। नतीजतन उनकी किताब “ब्राह्मण कुमार रावण को मत मारो” अभी तक प्रतिबंधित है। 

यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ : राम की तलाश में जुटे बघेल, पिता सहित अनेक ने की आलोचना

बघेल के समर्थन में उतरे गोंड आदिवासी, गणेश-दुर्गा की स्थापना पर रोक लगाने की मांग

नंद कुमार बघेल के समर्थन में छत्तीसगढ़ के गोंड आदिवासी भी आ गए हैं।छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज प्रांतीय उपाध्यक्ष सूरज टेकाम ने दूरभाष पर कहा कि नंद कुमार बघेल की गिरफ्तारी अनुचित है। उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा है जो पहले से विभिन्न इतिहासकारों द्वारा वर्णित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ में ब्राह्मण धर्म के मानने वाले लोगों के द्वारा आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा पर आक्रमण कर समाप्त करने की कोशिशें की जा रही हैं। इस संदर्भ में छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज, मानपुर के द्वारा स्थानीय प्रशासन को एक पत्र सौंपा गया है। इस पत्र में पांचवीं अनूसूची के तहत आने वाले क्षेत्र में ब्राह्मण धर्म के मिथकों की सरकारी व सार्वजनिक स्थलों पर स्थापना व पूजा पर रोक लगाने की बात कही गयी है।

छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज, मानपुर द्वारा स्थानीय प्रशासन को सौंपी गयी ज्ञापन की प्रति

अपने ज्ञापन में छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज, मानपुर द्वारा कहा गया है कि “उपरोक्त विषयान्तर्गत लेख है कि संपूर्ण विकास खंड संविधान के 5वीं अनूसूची क्षेत्र घोषित है, जिसमें हम आदिवासियों को कई प्रकार के सामाजिक संरक्षण प्राप्त हैं, जिसके तहत हम रूढी [रूढ़ि] प्रथा, विशेष जनजाति, भाषा, संस्कृति से सुसज्जित हैं, जिसे हिंदू धर्म को मानने वाले लोग निरंतर अपने धार्मिक प्रचार माध्यमों से हमारे संस्कृति और सभ्यता को दूषित करते आ रहे हैं, जिससे हमारी अनादिकाल से चली आ रही रूढ़ीवादी [रूढ़िवादी] संस्कृति और परंपरा खतरा मंडराने लगा है। यह ज्ञात हो कि संविधान के द्वारा संस्कृति और सभ्यता का संरक्षण प्राप्त है।

“अत: महोदय से निवेदन है कि सार्वजनिक एवं शासकीय स्थलों पर गणेश, दुर्गाा की स्थापना पर रोक लगाते हुए ऐसा कृत्य करने वाले पर वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित किया जाय।”

बहरहाल, नंद कुमार बघेल छत्तीसगढ़ में दलितबहुजनों व आदिवासियों के सांस्कृतिक अधिकारों को लेकर आवाज उठाते रहे हैं। पिछले ही साल जब उनके बेटे भूपेश बघेल की सरकार ने सूबे में रामवनगमन पथ योजना को अंजाम देना शुरू किया तब सीनियर बघेल ने आगे बढ़कर विरोध किया था। तब फारवर्ड प्रेस से दूरभाष पर बातचीत में उन्होंने कहा था कि “छत्तीसगढ़ में ऊंची जातियों के लोग हिन्दू संस्कृति को दलित-बहुजनों पर थोप रहे हैं। वे स्वयं इसका विरोध करते रहे हैं और मानते हैं कि दलित-बहुजनों की अपनी संस्कृति, परंपराएं और मान्यताएं हैं, जिनका सम्मान होना चाहिए।”

(संपादन : नवल/अनिल)


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लेखक के बारे में

तामेश्वर सिन्हा

तामेश्वर सिन्हा छत्तीसगढ़ के स्वतंत्र पत्रकार हैं। इन्होंने आदिवासियों के संघर्ष को अपनी पत्रकारिता का केंद्र बनाया है और वे विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रिपोर्टिंग करते हैं

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