बहुजन साप्ताहिकी
आजादी के 75 साल बाद भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों में ऊंची जातियों के अभ्यर्थियों के स्तर की मेधा नहीं हो पाई है। इसलिए भारत सरकार की ग्रुप ‘ए’ की नौकरियों में इन वर्गों की भागीदारी बहुत कम है। ये बातें बीते 6 अक्टूबर, 2021 को भारत सरकार की ओर से के. वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कही। न्यायाधीश एल. नागेश्वर राव, न्यायाधीश संजीव खन्ना व न्यायाधीश बी. आर. गवई की खंडपीठ ने उनसे कहा कि आप (सरकार) ग्रुप ‘बी’ और ग्रुप ‘सी’ में प्रतिनिधित्व बढ़ाने की बात क्यों करते हैं। यह तो आपको करना ही है। लेकिन ग्रुप ‘ए’ की नौकरियों में इन वर्गों की भागीदारी क्यों नहीं बढ़ रही है, जो कि न्यायसंगत नहीं है।
छत्तीसगढ़ : सीएम के विपरीत आदिवासियों ने रावण और महिषासुर को अपना पुरखा, हिंसात्मक प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग
आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ राज्य में एक बार फिर सांस्कृतिक सवाल सुर्खियों में है। हाल ही में बीते 7 अक्टूबर को प्रांत के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ब्राह्मणों के ग्रंथ रामायण में वर्णित पात्र राम से जुड़े राम वन गमन पथ योजना का आगाज किया। वहीं राज्य के आदिवासियों ने महिषासुर और रावण को अपना पुरखा बताया है। वे अब मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार ऐसे आयोजनों पर रोक लगाए जिसमें रावण की प्रतिमा को जलाया जाता है या फिर दुर्गा की प्रतिमा के साथ महिषासुर की प्रतिमा लगाई जाती है। आदिवासियों का कहना है कि उनके पुरखों को हिंसात्मक तरीके से दिखाना और उनके वध का प्रदर्शन किए जाने से उनकी भावनाएं आहत होती हैं।
इससे पहले बीते 7 अक्टूबर को रायपुर में राम वन गमन पथ योजना का उद्घाटन करते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि भगवान राम जिस वन पथ पर चलकर मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाए आज छत्तीसगढ़ में वह वन पथ देश-दुनिया के लिए खुल गया है। उन्होंने कहा कि भगवान राम का छत्तीसगढ़ से बड़ा गहरा नाता है। वह हम छत्तीसगढ़ियों के जीवन और मन में रचे बसे हैं।

जबकि इससे पहले 4 अक्टूबर, 2021 को जिला सर्व आदिवासी समाज, बलरामपुर के सदस्यों ने स्थानीय जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा। अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि “नवरात्रि महोत्सवर के दौरान दुर्गा प्रतिमा के साथ महिषासुर की प्रतिमा न लगाने और दशहरा में रावण दहन पर रोक लगाने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधिमंडल ने जिले के कलेकटर को ज्ञापन सौंप कर उचित कार्यवाही की मांग की है। समस्त जिला एवं विकास खंडों में एक एवं ग्राम पंचायतों में जगह-जगह दुर्गा प्रतिमा की स्थापना की जाती है, जिसमें दुर्गा जी के द्वारा आदिवासी असुर शासक महिषासुर का वध करके हिंसात्मक चित्र प्रदर्शित किया जाता है, जिससे आदिवासी मूल समाज की भावनाओं को आघात पहुंचता है। उन्होंने दशहरा पर्व पर रावण दहन की परंपरा को न्याय के विपरीत बताते हुए अपने ज्ञापन में लिखा है कि रावण की प्रतिमा को जलाना आदिवासी समाज के साथ न्यायसंगत नहीं है।”
इस ज्ञापन में आदिवासियों ने विशेष रूप से उद्धृत किया है कि यदि उनके आवेदन के आलोक में कोई कार्रवाई नहीं की गयी और यदि महिषासुर एवं रावण की अपमानित रूप से प्रदर्शित करने पर रोक नहीं लगाई गई तो वे जिला प्रशासन के विरूद्ध झंडा जुलूस निकालेंगे और इसकी जवाबदेही जिला प्रशासन की होगी।

तबरेज अंसारी के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए अली अनवर ने हेमंत सोरेन को लिखा पत्र
पूर्व राज्यसभा सांसद सह राष्ट्रीय पसमांदा मुस्लिम महाज के अध्यक्ष अली अनवर ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर तबरेज अंसारी के परिजनों को न्याय दिलाने की मांग की है। बीते 22 सितंबर, 2021 को लिखे अपने पत्र में अनवर ने कहा है कि तबरेज अंसारी की हत्या के सभी 12 आरोपियों को झारखंड हाई कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार या तो हाई कोर्ट की बड़ी बेंच में सुनवाई हेतु पुनर्विचार याचिका दायर करे अथवा सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दे।
बताते चलें कि जून, 2019 में झारखंड के जमशेदपुर में तबरेज अंसारी नामक एक नौजवान को धर्म विशेष के लोगों की भीड़ ने घेरकर उससे जयश्री राम और जय हनुमान का नारा लगाने के लिए कहा था। उसके द्वारा इंकार किए जाने पर तबरेज अंसारी के साथ मारपीट की गई थी। साथ ही, इसका वीडियो सोशल मीडिया पर साझा कर दिया गया था। घटना के दूसरे ही दिन तबरेज अंसारी को मोटरसाइकिल चोरी के आरोप में गिरफ्तार जेल भेज दिया गया था, जहां पुलिस की हिरासत में उसकी मौत हो गई थी। इस संबंध में तब पुलिस ने तबरेज की मौत की वजह हृदयाघात कही थी।
अली अनवर ने हेमंत सोरेन से कहा है कि वह इसके लिए उनके प्रति आभार प्रकट करते हैं कि एक समय सोरेन ने तबरेज की पत्नी शाइस्ता परवीन को झारखंड की बेटी की संज्ञा दी थी और उसे न्याय दिलाने के लिए आंदोलन भी किया था। उन्होंने कहा कि अब वे स्वयं मुख्यमंत्री हैं तो झारखंड की बेटी को न्याय मिले, इसके लिए पहल करें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि शाइस्ता परवीन अथवा तबरेज अंसारी के किसी एक आश्रित को सरकारी नौकरी दी जाय।
दिल्ली दंगा मामले में पुलिस को बैकफुट पर लाने वाले जज विनोद यादव का तबादला
पिछले वर्ष 2020 में दिल्ली में हुए दंगे मामले की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव का तबादला कर दिया गया है। हालांकि उनके साथ कड़कड़डूमा कोर्ट के तीन और अतिरिक्त सत्र न्यायाधीशों का तबादला भी किया गया है। लेकिन सबसे अधिक सवाल विनोद यादव के तबादले को लेकर उठाया जा रहा है। इसकी वजह यह है कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने सुनवाई के दौरान दिल्ली दंगे को लेकर दिल्ली पुलिस द्वारा किए गए व्यवहार पर सवाल उठाया था और उनके सवालों से दिल्ली पुलिस असहज हो गई थी। इसलिए यह अनुमान लगाया ज रहा था कि जस्टिस विनोद यादव दंगा के मामले में जनपक्षीय फैसला सुनाएंगे। लेकिन सुनवाई पूरी होने के पहले ही उनका तबादला कर दिया गया है। अब उन्हें सीबीआई का विशेष न्यायाधीश बना दिया गया है, जहां वे वित्तीय मामलों में सुनवाई करेंगे।
(संपादन : अनिल)
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