बहुजन साप्ताहिकी
यह वर्ष 1921 में गठित बिहार-ओड़िसा गवर्नर लेजिस्लेटिव काउंसिल का शताब्दी साल है। वर्ष 2021 में भारतीय विधायिका और संसदीय लोकतंत्र में आदिवासी भागीदारी, हस्तक्षेप और योगदान के सौ साल पूरे हो रहे हैं। इस मौके को खास बनाने के लिए आगामी 26 अक्टूबर, 2021 को रांची के मोहराबादी स्थित टीआरआई हॉल में एक सेमिनार का आयोजन किया गया है। इस सेमिनार का विषय है “भारतीय विधायिका और संसदीय लोकतंत्र में आदिवासी हस्तक्षेप के शताब्दी वर्ष 1920-2021”। इसका आयोजन डॉ. रामदयाल मुंडा आदिवासी कल्याण शोध संस्थान, कल्याण विभाग, झारखंड सरकार के सहयोग से झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। इस संबंध में आयोजक अश्विनी कुमार पंकज ने बताया कि इस एकदिवसीय सेमिनार का उद्घाटन आदिवासी विषय के प्रसिद्ध अध्येता प्रो. वर्जिनियस खाखा करेंगे। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि झारखंड सरकार के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक व पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री चंपई सोरेन होंगे। इसके अलावा सेमिनार मध्य प्रदेश के विधायक डा. हीरालाल अलावा सहित देश भर के आदिवासी बुद्धिजीवी जुटेंगे।
रेणु के जीवनीकार भारत यायावर का निधन
हिंदी साहित्य को फणीश्वरनाथ रेणु ने नई पहचान दी। उनके उपन्यासों और कहानियों ने मुख्यधारा के साहित्य की दिशा ही बदल दी। उन्हें आज की पीढ़ी से परिचित कराने वालों में भारत यायावर पहले स्थान पर रहे। उन्होंने रेणु की जीवनी के अलावा उन उनकी अनेक प्रकाशित रचनाओं को भी प्रस्तुत किया। कल 22 अक्टूबर, 2021 को अस्तापल में इलाज के दौरान निधन हो गया। अपने निधन के एक दिन पहले यायावर ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा– “प्रायः बोलचाल में लोग पूछ लेते हैं, आपकी तबियत कैसी है? कोई कहता है, इन दिनों मेरी तबियत ठीक नहीं है। तबियत अर्थात स्वास्थ्य। सेहत। दूसरे शब्दों में कहें, तन की स्थिति। लेकिन मन की स्थिति के लिए तबीयत लिखा जाता है।
लेकिन एक शे’र है :
मेरी हिम्मत देखिए, मेरी तबीयत देखिए
जो सुलझ जाती है गुत्थी, फिर से उलझाता हूँ मैं
यहाँ तबीयत का अर्थ है मन का स्वभाव। दुष्यंत कुमार ने कहा है कि एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो। यहाँ तबीयत का अर्थ है मन के पूरे सामर्थ्य के साथ।
कुछ लोग तबियत का रोना रोते रहते हैं, लेकिन जब तक कोई काम तबीयत से नहीं करेंगे तो उनकी पहचान कैसे बनेगी? तबियत खराब होती है, फिर ठीक हो जाती है लेकिन तबीयत प्रायः बनती ही नहीं। जब तबीयत से यानी मन से युक्त होकर कोई मनुष्य कोई काम करता है, तब वह बेहतरीन होता है ।
जहाँ तक बन पड़े तबियत का ध्यान रखिए और अपने तबीयत को बरकरार रखिए।”

जातिगत जनगणना के लिए एन. चंद्राबाबू नायडू ने मोदी को लिखा पत्र
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व आंध्र प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एन. चंद्राबाबू नायडू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे जातिगत जनगणना कराने की मांग की है। बीते 19 अक्टूबर को लिखे अपने पत्र नायडू ने कहा है कि इस देश में पिछड़े वर्ग के लोगों की आबादी बहुसंख्यक है और यह उनके भविष्य से जुड़ा सवाल है। संविधान में उनके लिए आरक्षण की व्यवस्था है। इसके लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 के चौथे उपखंड में इसके लिए प्रावधान भी किए गए हैं कि जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं, उनके विकास के लिए योजनाएं व नीतियों का निर्माण हो। लेकिन यह तो तभी संभव है जब सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों की गणना हो। अपने पत्र में नायडू ने कहा है कि प्रदेश में जब उनकी पार्टी की सरकार थी तब विधानसभा ने सर्वसम्मति से इस आशय का एक प्रस्ताव पारित केंद्र सरकार को भेजा था। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना जरूरी है, क्योंकि इसके बगैर बहुसंख्यक पिछड़े वर्गों के लोगें के समुचित योजनाओं और नीतियों का निर्माण नहीं हो सकेगा।
संयुक्त किसान मोर्चे से एक माह के लिए निलंबित किये योगेंद्र यादव
पिछले 11 महीने से चले रहे किसान आंदोलन में एक अंदरूनी दरार तब सामने आयी जब कल संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने मोर्चे में शामिल स्वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव को एक महीने के लिए निलंबन कर दिया। अपने निलंबन पर अपनी प्रतिक्रिया में यादव ने कहा है कि वे मोर्चे के सामूहिक फैसले का सम्मान करते हैं और निर्धारित सजा को स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा है कि किसानों का आंदोलन एक बड़ा आंदोलन है। यह आंदोलन देश के लिए आशा की एक किरण बनकर आया है। इसकी एकता और सामूहिक निर्णय को बनाए रखना आज के वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है।
बताते चलें कि योगेंद्र यादव पर उपरोक्त कार्रवाई उनके द्वारा बीते दिनों लखीमपुर खीरी में भाजपाई कार्यकर्ताओं द्वारा किसानों को गाड़ी से कुचले जाने के बाद हुई हिंसा में मारे गए एक भाजपा कार्यकर्ता शुभम मिश्र के घर जाने के बाद की गई है। हालांकि किसान मोर्चे के नेता राकेश टिकैत ने अपने बयान में साफ किया है कि योगेंद्र यादव के उपर कार्रवाई शुभम मिश्र के घर जाने अथवा उसके परिजनों के प्रति सहानुभूति रखने के लिए नहीं बल्कि यादव द्वारा बाद में लिखे गए पोस्ट के आलोक में की गई है। यह पोस्ट योगेंद्र यादव ने 12 अक्टूबर, 2021 को साझा किया था। इसके मुताबिक, “शहीद किसान श्रद्धांजलि सभा से वापिसी में बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के घर गए। परिवार ने हम पर गुस्सा नही किया। बस दुखी मन से सवाल पूछे: क्या हम किसान नहीं? हमारे बेटे का क्या कसूर था? आपके साथी ने एक्शन रिएक्शन वाली बात क्यों कही? उनके सवाल कान में गूंज रहे हैं!”
(संपादन : अनिल)
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