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किसान आंदोलन सफल, लेकिन हम दलित खेतिहर मजदूरों के सवाल शेष : गुरुमुख सिंह

‘संयुक्त किसान मोर्चा में दलित लीडरशिप है ही नहीं! वह उन किसानों का मोर्चा है जिनके पास जमीनें हैं, उनमें कोई भी दलित नहीं है। लोग ऐसा भी कहते हैं कि हम किसानों की हिमायत क्यों करें? पहले वे हमारी मांगें बीच में रखें। हमने कहा– ऐसा कैसे हो सकता है?’ पढ़ें जमीन प्राप्ति संघर्ष समिति के वरिष्ठ सदस्य गुरुमुख सिंह का यह साक्षात्कार

साक्षात्कार  

[केंद्र सरकार ने किसानों की सारी मांगों को अपनी सहमति दे दी है। इस प्रकार पिछले एक साल 13 दिनों तक चला आंदोलन खत्म हो गया है और दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान अपने घरों को लौटने लगे हैं। इस आंदोलन में दलितों की भूमिका कैसी रही और उन्हें इस आंदोलन से क्या हासिल हुआ अथवा क्या हासिल होने की उम्मीद है, इस संबंध में पंजाब के जमीन प्राप्ति संघर्ष समिति से जुड़े गुरुमुख सिंह ने फारवर्ड प्रेस से दूरभाष पर विशेष बातचीत की। प्रस्तुत है इस बातचीत का संपादित अंश]

कृपया आप अपना परिचय एवं अपने संगठन और उसके उद्देश्यों के बारे में हमारे पाठकों को बतायें। 

हमारे संगठन का नाम ‘जमीन प्राप्ति संघर्ष समिति’ है और मेरा नाम गुरुमुख सिंह है। मैं उसका जोनल कमेटी सदस्य हूं। हमारी जमीन प्राप्ति संघर्ष समिति दलितों के जमीन के मुद्दों एवं अन्य जातियों के जमीन के सवाल को लेकर संघर्ष करती है। अगर कहीं दलित एवं खेत मजदूरों पर हिंसा एवं अत्याचार होता है तो उन्हें न्याय दिलाने के लिए भी हम संघर्ष करते हैं।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : किसान आंदोलन सफल, लेकिन हम दलित खेतिहर मजदूरों के सवाल शेष : गुरुमुख सिंह

लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

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