भारत में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की वास्तविक आबादी का सटीक आंकड़ा फिलहाल भारत सरकार के पास भी नहीं है। अभी जिन आंकड़ों से काम चलाया जा रहा है, वे वर्ष 1931 में हुई जनगणना के हैं। इस जनगणना में ओबीसी की आबादी लगभग 52 फीसदी पाई गई थी। सनद रहे कि वह 1931 और अभी 2021 का अंत है। इस करीब सौ साल की अवधि में एक बार भी ओबीसी की गणना न होने से ही हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि इस देश के बहुसंख्यक वर्ग की हिस्सेदारी के सवाल को कैसे उपेक्षित रखा गया है।
भाजपा के ‘गणेश’
“हमें तो अपने लोगों से मतलब है। हम उनके काम आएं, उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाएं। एक जनप्रतिनिधि होने की यह जिम्मेदारियां हैं और जब मैं यह सब करता हूं तो मुझे बहुत खुशी मिलती है।” पढ़ें, सतना से सांसद और ओबीसी संसदीय समिति के पूर्व अध्यक्ष गणेश सिंह पर केंद्रित नवल किशोर कुमार का यह आलेख